Poem on Sun in Hindi दोस्तों आज हम ने सूरज पर स्लोगन लिखे है. Poem on Sun in Hindi प्रत्येक कक्षा और कॉलेज के विद्यार्थी परीक्षा में लिख सकते हैं और साथ ही लोगों को हमारे देश के बारे में सरल माध्यम से बताने के लिए इन स्लोगन का इस्तेमाल कर सकते है.
दोस्तों सूरज के बारे में कुछ बताना चाहते हैं सूरज हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा तारा है. यह पृथ्वी से कई गुना बड़ा है और यह सबसे चमकीला भी है. अगर सूरज की रोशनी पृथ्वी पर नहीं पड़े तो पृथ्वी बर्फ का गोला बन सकती है सूरज की किरणों के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है इसलिए सूर्य हमारे जीवन के लिए बहुत आवश्यक है.
“सूरज हमें समय के साथ चलने की प्रेरणा देता है”
Get Some Poem on Sun in Hindi for all class student.
विषय-सूची
(1) Poem on Sun in Hindi – Suraj Aaya, Bhor hui
सूरज आया, भोर हुई
नभ में छाया,
सबके मन को भाया
चिड़ियों ने चह चाह कर
मुर्गो ने कुक की बांग देकर,
भानु के स्वागत में गीत गाए
अंधियारा दूर हो गया,
नभ में छा गया उजियारा
सोने वाले सब उठ गए
किसी ने नमन किया,
तो किसी ने ली अंगड़ाई
तितलियों ने भरी बागो में उड़ान
भंवरों ने भी घु घु की तान बजाई,
मधुमक्खियों ने किया फूलों का रसपान
शाम हुई तो
नभ में छोड़ गया लाली माँ,
न जाने कहां छुप गया
सूरज आया, भोर हुई
नभ में छाया,
सबके मन को भाया
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– नरेंद्र वर्मा
(2) Suraj Nikla Gagan Me Poem in Hindi
सूरज निकला गगन में
अँधेरा हो गया छु मंत्र,
हो गया सवेरा
बागों में कलियां खिल गई,
सारा जग हो गया सुंदर प्यारा
ठंडी-ठंडी हवा चल रही है
चिड़िया भी इठलाती हुई उड़ रही है,
खरगोश तेज दौड़ लगा रहे हैं
धरती हो गई सुनहरी प्यारी
ओस की बूंद चमक उठी है,
नई ताजगी चारों ओर फैल रही है
बच्चे सो कर उठ गए,
घर आंगन में खेल रहे है
भूमिपुत्र जा रहा है खेतों में
फसलें भी लहरा रही है,
तप कर तेरी किरणों से फसलें पक रही है
शाम हो गई, लालिमा छा गई है,
सब हो गए थक के चूर
सूरज निकला गगन में,
अँधेरा हो गया छु मंत्र
– नरेंद्र वर्मा
(3) Suraj Aaya kavita in Hindi
सूरज आया,
सुनहरी प्रभात लाया
आसमान में बिखेर कर अपनी किरणे,
एक नए दिन का परचम लहरा रहा है
फूल खिल रहे हैं बागों में,
हो रहा है नए जीवन का आगाज
पंछी उड़ रहे हैं गगन में,
भिन्न-भिन्न आवाजों से नया गीत सुना रहे है
मीठी मीठी ठंडी ठंडी हवा चल रही है,
मंद मंद मुस्का के फसलें लहरा रही है
कल कल करती नदियाँ बह रही है,
झरने भी अनोखी राग सुना रहे है
धरा भी खुश होकर घूम रही है,
हर एक कोना रोशन हो रहा है
हो रहा है तेरा हर तरफ गुणगान,
कोई तुझे नमन करता तो कोई करता पूजा
संध्या होते छिप गया कही दूर गगन में,
छोड़ अपनी निशानी लाली आसमा में
– नरेंद्र वर्मा
(4) Suraj Tere Aane Se Dharti Ho Gyi Pavan
सूरज तेरे आने से हो गई धरती पावन,
तू ना होता तो आज ना होता, कल ना होता
तू आया तो हो गया सवेरा,
काली अंधेरी रात को तूने हटाया
आंखों की रोशनी तेरी किरणों से है,
तू ना होता तो देख न पाते धरती की सुंदरता को
तेरे आने से सारा जग हरसाया,
नवजीवन तुझ में ही समाया
जल, वायु, धरा काम न आते,
अगर नहीं होता तेरी किरणों का साया
तू ना होता तो ये नीला असमा ना होता,
गगन में उड़ते पंछी ना होते
तू ना होता तो जीवन नहीं होता,
तू ना होता तो आज ना होता, कल ना होता
– नरेंद्र वर्मा
(5) Suraj Nikla Aasman Me – Poem on Sun in Hindi
सूरज निकला आसमान में,
ऊर्जा का भंडार भी साथ में लाएं
रोशन हो गया जग सारा,
अंधेरा हो गया कहीं गुम सारा
खुद जलता पृथ्वी को रोशन करता,
घर आंगन में खुशहाली लाता
जीवन का बन रक्षक,
रोज प्राणियों को ऊर्जा से नहलाता
अपनी उर्जा से वाष्प बना बादल बनाता,
जल को पूरी धरती पर फैलाता
बीमारियों को दूर भगा कर,
करता हर पल जीवन की रक्षा
गर्मियों में करता तेज धूप की बारिश,
लेकिन इसके पीछे भी छुपा, इसका एक नेक मकसद
सर्दियों में अपनी किरणों से राहत का मरहम लगाता,
खुद जलता, नहीं करता अपनी चिंता
सूरज निकला आसमान में,
साथ में जीवन का पैगाम लाया
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– नरेंद्र वर्मा
(6) Suraj Nikla, Suraj Nikla – Poem on Sun in Hindi
सूरज निकला, सूरज निकला
देखो देखो पूर्व सूरज निकला,
नन्ही-नन्ही किरणों से कर दिया जग सारा रोशन
गांव-गांव शहर-शहर गली-गली सूरज निकला
आसमान में रंग बिरंगी रोशनी फैलाता,
देखो देखो पूर्व सूरज निकला
किरणों से अपनी सभी को जगाता
पक्षी आसमान में पंख फैलाकर उड़ते,
देखो देखो पूर्व सूरज निकला
बच्चे आंगन में करते हंसी ठिठोली
खेल रहे हैं झूम झूम कर कूद कूद कर,
देखो देखो पूर्व सूरज निकला
दिनभर लुकाछिपी करता बादलों में
कभी निकलता कभी छुपता,
देखो देखो पूर्व सूरज निकला
शाम होते ही छिप गया पश्चिम में
छोड़ गया लालिमा आसमां में,
देखो देखो पूर्व सूरज निकला
– नरेंद्र वर्मा
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यह मेरी बाल कविता है कृपया इसे प्रकाशित करने की कृपा करें
**सूरज चाचा-चन्दा मामा*
रोज सबेरे सूरज चाचा
आ कर हमें जगाते हैं
उठने का वो पाठ पढ़ाते
जीने की राह बताते हैं।।
रात को आते चन्दा मामा
अपने संग तारे लाते हैं
अंधेरे को दूर भगाते
गा कर लोरी सुलाते हैं।।
@ विवेक तिवारी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
सूर्य पर एक और कविता है जिसे आप यहाँ प्रकाशित कर सकते हैं | आप से अनुरोध है कि आप इस कविता का अवलोकन करके यदि यह कविता आपके इस प्रकाशन पटल के योग्य है तो इसे यहाँ प्रकाशित करने की कृपा करें |
धन्यवाद
अविनाशिता कुमार राव जी आप अगर नई कविता लिखते है जो की कही और ना प्रकाशित की गयी हो उसे हम इस पोस्ट में शामिल कर सकते है