3+ प्लास्टिक प्रदूषण पर कविता – Poem on Plastic Pollution in Hindi

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Poem on Plastic Pollution in Hindi : दोस्तों आज हमने प्लास्टिक प्रदूषण पर कविता कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

प्लास्टिक प्रदूषण एक धीमे जहर के समान है जिसके कारण जल, थल, वायु, आकाश सब कुछ प्रदूषित हो रहा है. इसलिए प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने और लोगों में जागरूकता फ़ैलाने के लिए हमने ये कविता लिखी है।

Poem on Plastic Pollution in Hindi

Get Some Latest Poem on Plastic Pollution in Hindi for Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12.

Best Poem on Poem on Plastic Pollution in Hindi


जल, थल, वायु, आकाश,
सब हो रहा है धीरे – धीरे प्रदूषित।
पर्यावरण में घोल रहा है जहर प्लास्टिक,
जीवन की सांसो को रोक रहा है प्लास्टिक।।

अब तो आ रहा है प्लास्टिक यूज़ करने में मजा,
कहीं बन न जाए ये जिंदगी भर की सजा।
बन बैठा है ये पृथ्वी का राजा,
पृथ्वी का घुट रहा है ये गला।।

खाने में, प्लास्टिक पानी में प्लास्टिक,
हर वस्तु का नया रूप हो गया है प्लास्टिक।
बीमारियों की नई फैक्ट्री है प्लास्टिक,
मौत का सुंदर समान है प्लास्टिक।।

अब तो जागो करो बहिष्कार,
करो पर्यावरण को प्लास्टिक मुक्त।
नहीं तो प्लास्टिक से होगा जीना दुश्वार,
अब करना होगा इसका संहार।।

– नरेन्द्र वर्मा

Short Poem on Plastic Pollution


चहरों पर मुस्कान प्लास्टिक,
पैसो का नया रूप प्लास्टिक।
काँच ही हर बोतल हुई प्लास्टिक,
कुर्सी, मेज, बर्तन सब प्लास्टिक।।

खिड़की, दरवाजे, रोशनदान भी प्लास्टिक,
कचरे का नया राजा प्लास्टिक।
दीर्घ आयु का वरदान प्लास्टिक,
आत्मा का नया रूप प्लास्टिक।।

नश्वर संसार में अमर है प्लास्टिक,
तरक्की की रफ्तार है प्लास्टिक।
आविष्कार बना अभिशाप प्लास्टिक,
रक्षक हुआ भक्षक प्लास्टिक।।

पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन प्लास्टिक,
हर जीव को खतरा प्लास्टिक।
करें प्रदूषित जल, थल, आकाश प्लास्टिक,
ढूंढो विकल्प छोड़ो प्लास्टिक।।

छेड़ो अभियान करो बहिष्कार प्लास्टिक,
जीवन तब भी था जब नहीं था प्लास्टिक।
जीवन तभी रहेगा यदि नहीं रहेगा प्लास्टिक,
लेकर प्रण सब त्यागों प्लास्टिक।।

धरा को करे रहित प्लास्टिक,
धरा को करे रहित प्लास्टिक।

– रवि वेद

Plastic Pradushan Par Kavita


सुनो सुनो तुम्हें प्लास्टिक कहानी सुनाओ,
पृथ्वी पर आया ये विज्ञान का आविष्कार बनके।
दिखने में सुंदर, वजन में हल्का,
सस्ता, मजबूत टिकाऊ बनकर आया।।

सब और होने लगे इसके चर्चे,
सब लोगों ने इसको जल्दी-जल्दी अपनाया।
किसी ने इससे बर्तन बनाए किसी ने घर बनाया,
किसी ने सुंदरता का सामान बनाया।।

अब सबको भाने लगा प्लास्टिक,
तब इसने अपना विकराल रूप दिखाया।
करने लगा अपनी मनमानी,
नई-नई बीमारियों को इसने बनाया।।

धीरे-धीरे हो गया इतना बड़ा,
कि चारों ओर दिखाई देने लगी बड़े-बड़े ढेर इसके।
पृथ्वी के हर प्राणी को इसने नुकसान पहुंचाया,
नहीं बक्शा इसने जल, थल, नभ को भी।।

आओ अब इसको सबक सिखाएं,
मिलकर करे बहिष्कार इसका।
प्लास्टिक मुह से मोड़े,
आओ प्लास्टिक की कमर तोड़े।।

– नरेन्द्र वर्मा


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