Hindi Poems for Kids : दोस्तों आज हमने बच्चों के लिए कविता कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 & 8 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है.
अक्सर छोटे बच्चों को स्कूलों में कविताएं पढ़ाई जाती हैं फिर उन्हें घर से कविताएं लिखने को कहा जाता है, उनकी सहायता के लिए हमने बच्चों के लिए रोचक कविताएं लिखी है.
Get Some Latest Hindi Poems for Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 & 8 Kids.
विषय-सूची
Best Hindi Poems for Kids
(1) Bacche Dil Ke Sache
बच्चे दिल के सच्चे,
सबको प्यारे लगते।
हंसते मुस्कुराते बच्चे,
अपनी ही दुनिया में खोए रहते।
दौड़ भाग उछल कूद करते बच्चे,
सबको प्यारे लगते बच्चे।
तोतली बोली बोल कर,
सबको अपना बना लेते बच्चे।
ना किसी से बैर रखते बच्चे,
सबके साथ घुलमिल जाते।
अपनी बात मनवाने हो तो रो देते,
बच्चे सबको प्यारे लगते।
मासूम सी प्यारी शरारते करते बच्चे,
बच्चे दिल के सच्चे।
– नरेंद्र वर्मा
(2) Gram Gram Ladoo Sa Suraj
गरम गरम लड्डू सा सूरज,
लिपटा बैठा लाली में,
सुबह सुबह रख आया कौन,
इसे आसमान की थाली मे।
मूंदी आँख खोली कलियों ने,
बागों में रंग बिरंगे फूल खिलाए,
चिड़ियों ने नया गान सुनाया,
भंवरों ने पंखों से ताली बजाई।
फुदक फुदक कर रंग बिरंगी,
तितलियों की टोली आई,
पंख फैलाकर मोर ने नाच दिखाएं,
तो कोयल ने भी कुक बजाई।
उठो उठो अब देर ना हो जाए,
कहीं सुबह की रेल निकल न जाए,
अगर सोते रह गए तो,
आगे नहीं बढ़ पाएंगे।
(3) Latest Hindi Poems on Kids
स्कूल की बस आयी,
पीली चदर ओढ़ के आयी।
जब टी-टी पी-पी करती,
सब बच्चे खींचे चले आते।
रोज घर से स्कूल, स्कूल से घर,
हमें सुरक्षित पहुंचाती।
मम्मी पापा हमें बस में बिठाते,
बस में बैठते ही दोस्त यार मिल जाते।
ड्राइवर दादू बस चलाते,
ब्रेकर आए तो सब उछल जाते।
फिर हम सब शोर मचाते,
खुशी खुशी हम बस में बैठ कर जाते।
देखो देखो स्कूल की बस आयी,
पीली चदर ओढ़ कर आयी।
– नरेंद्र वर्मा
(4) DeKho Kalu Madari Aaya
देखो देखो कालू मदारी आया,
संग में अपनी बंदरिया लाया।
डम डम डम डम डमरू बजाया,
यह देख टप्पू चिंटू-पिंटू आया।
सुनीता पूजा बबीता आयी,
देखो देखो कालू मदारी आया।
फिर जोर-जोर से मदारी ने डमरू बजाया,
बंदरिया ने उछल कूद पर नाच दिखाया।
उल्टा पुल्टा नाच देख कर सब मुस्कुराए,
फिर सब ने जोर-जोर से ताली बजाई।
देखो देखो कालू मदारी आया,
संग में अपनी बंदरिया लाया।
(5) Hindi Kavita for Children
इब्न बतूता पहन के जूता,
निकले है बड़ी शान से।
रास्ते में आया तूफान,
थोड़ी हवा नाक में घुस गई,
घुस गई थोड़ी कान में।
आंखों में मिट्टी फंस गई,
कभी नाक, कभी कान,
तो कभी आंख मलते इब्न बतूता।
इस बीच निकल पड़ा उनका जूता,
उड़ता उड़ता जा पहुंचा जापान में,
गिर पड़े संभल ना पाए।
इब्न बतूता देखते
रह गए आसमान में।
(6) Chuk Chuk Karti Rail Gadi Aayi
छुक छुक करती रेलगाड़ी आयी,
पो पो पी पी सीटी बजाती आयी,
इंजन है इसका भारी-भरकम।
पास से गुजरती तो पूरा स्टेशन हिलाती,
धमधम धमधम धमधम धमधम,
पहले धीरे धीरे लोहे की पटरी पर चलती।
फिर तेज गति पकड़ कर छूमंतर हो जाती,
लाल बत्ती पर रुक जाती,
हरी बत्ती होने पर चल पड़ती।
देखो देखो छुक छुक करती रेलगाड़ी,
काला कोट पहन टीटी इठलाता,
सबकी टिकट देखता फिरता।
भाग भाग कर सब रेल पर चढ जाते,
कोई टूट न पाए इसलिए,
रेलगाड़ी तीन बार सीटी बजाती।
छुक छुक करती रेलगाड़ी आयी।
(7) Chidiya ke Bachhe Char
चिड़ियों के थे
बच्चे चार,
निकले घर से
पंख पखार।
पूरब से
पश्चिम को आए,
उत्तर से
दक्षिण को जाएं।
उत्तर दक्षिण
पूरब पश्चिम,
देख लिया
हमने जग सारा।
अपना घर
खुशियों से भरा,
सबसे न्यारा
सबसे प्यारा।
(8) Hindi Poems on Kids
उठो मेरे प्यारे दुलारे,
नी नी को भगाओ
अब प्यारे।
सब उठ गए
देखो प्यारे,
सूरज दादा छा गए नभ मे।
नहा धोकर हो
जाओ तैयार,
फिर कर लो नाश्ता
गरम गरम है तैयार।
स्कूल की घंटी है
बजने वाली,
चलो अब स्कूल
जाने की करो तैयारी।
आने वाली है स्कूल की गाड़ी,
स्कूल जाकर
भविष्य की करो तैयारी।
पढ़ लिख कर बन
जाओ महान,
सारे जहां में कर दो
मम्मी पापा का नाम।
– नरेंद्र वर्मा
(9) Subh – Child Poem in Hindi
रोज सुबह सूरज आसमान में आकर,
हम सबको नींद से जगाता है।
शाम हुई तो लाली फैलाकर,
अपने घर को चला जाता है।
दिन भर खुद को जला जलाकर,
यह प्रकाश फैलाता है।
कभी नहीं करता आलस्य,
रोज नियम से समय पर आता जाता।
कभी नहीं करता है घमंड,
बादलों के संग भी लुकाछिपी खेलता है।
उसका जीना ही जीना है,
जो काम सभी के आता है।
(10) Titli Rani Badi Sayani
तितली रानी बड़ी सयानी,
रंग बिरंगे फूलों पर जाती है।
फूलों से रंग चुरा कर,
अपने पंखों को सजाती है।
कोई हाथ लगाए,
तो छूमंतर हो जाती है।
पंखों को फड़फड़ा कर,
हर फूल पर वो मंडराती है।
घूम-घूम कर सारे फूलों की,
खुशबू वो ले जाती है।
फूलों का मीठा रस पीकर,
दूर जाकर पंखों को सहलाती है।
रंग बिरंगी तितली रानी,
बड़ी सयानी।
(11) Utho Kanhaiya Jago Bhaiya
उठो कन्हैया
जागो भैया
पूरब में सूरज उगाया
अंधियारे को दूर भगाया।
सदा जरूरी
नींद भी पूरी
भोर में सोना गलत बताया।
मां ने गोदी ले दुलराया
चिड़िया चहकी
बगिया महकी
फूलों का चेहरा मुस्कुराया।
भंवरों ने गुनगुन गाया
पवन सुगंधी मंदी मंदी
भर लाई सेहत की माया
तन को छूती मन हरषाया।
भोर में जगना
रोज घूमना
सेहत का यह राज कहाया
दादाजी ने मंत्र बताया।
उठो कन्हैया
जागो भैया
पूरब में सूरज उगाया
अंधियारे को दूर भगाया।
– विनीत
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baba black sheep
your Poem is really very nice for kids.
Thank a lot sir
Thank you Amrita kumari for appreciation.
Kabita mane bhi likhi hai
Accchi baat hai VINAY KUMAR ji aise hi likhte rahe
कविता अच्छी लगी
श्रीनाथ सिंह जी सराहना के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे
Bacpan pay poem
Thank you Anuradha C Mehta for appreciation.
This essay is helping me in my holidays home work
Thank you
Welcome SHARIF MALIK and thank you for appreciation.