बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध – Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi

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Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi : दोस्तों आज हम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध लिखने जा रहे हैं इससे भारत के सभी स्कूलों के विद्यार्थियों को निबंध लिखने में सहायता मिलेगी और उन्हें कुछ विशेष जानकारियां भी इस निबंध के माध्यम से प्राप्त होगी जो कि उन्हें अभी तक पता नहीं होगी।

हमने इस निबंध को हर क्लास के विद्यार्थियों के लिए अलग अलग भाग में बांटा है. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11 और 12th कक्षा के लिए है.

Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi

Beti Bachao Beti Padhao in Hindi language for students in 100, 200, 400, and 2500 words.

Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi


दोस्तों आइए बात करते हैं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत क्यों करनी पड़ी, ऐसा क्या हुआ कि भारत जैसे पुरातन संस्कृति और अच्छे विचारों वाले देश को बेटियों को बचाने के लिए और उनको पढ़ाने के लिए एक अलग मुहिम चलानी पड़ी।

इसका सबसे मुख्य कारण तो यह है कि लोगों की मानसिकता बहुत छोटी हो गई है,  उनका बेटियों के प्रति रवैया बहुत ही खराब हो गया है और सोचने की बात तो यह है कि उन्हें ऐसा कृत्य करते हुए शर्म भी नहीं आती है।

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ऐसी सोच वाले लोग बेटी और बेटो में भेदभाव करते हैं क्योंकि वह मानते हैं कि बेटे हमारी पूरी जिंदगी भर सेवा करेंगे और बेटियां तो पराई होती हैं उनको पढ़ा लिखा कर क्या फायदा इसलिए वह बेटों को ज्यादा अच्छी शिक्षा दिलाते हैं और उन्हीं का ज्यादा ध्यान रखते हैं।

वर्तमान में उन लोगों की सोच इतनी गिर गई है कि वे लोग बेटियों को अब जन्म लेने से पहले ही मार देते हैं और अगर गलती से उनका जन्म भी हो जाता है तो उनको इसी सुनसान जगह पर फेंक आते हैं।  

हमारी सरकार ने इसके खिलाफ भी कन्या भूण हत्या को रोकने के लिए कई योजनाएं चला रखी हैं लेकिन उनका पालन अच्छी तरह से नहीं हो रहा है।

Beti Bachao Beti Padhao Par Nibandh 100 Words


बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा इसलिए दिया गया क्योंकि भारत में दिन-प्रतिदिन बेटियों की हालात खराब हो रहे हैं उनके साथ उन्हीं के माता पिता भेदभाव कर रहे हैं। वह सोचते हैं कि बेटियां तो पराई होती हैं उनकी कैसे भी जल्दी से शादी करा दो और उनको पढ़ाने-लिखाने का कोई फायदा नहीं है।

इसलिए वे बेटों पर ज्यादा ध्यान देते हैं उनकी अच्छी शिक्षा करवाते हैं और बेटियों को स्कूल में पढ़ने तक नहीं भेजते हैं।

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बेटियों के इस बिगड़ते हुए हालात को देखते हुए हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2015 को बेटियों के हालात सुधारने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को प्रारंभ किया।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य था कि बेटियों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव ना हो और गांव-गांव जाकर इसका प्रचार प्रसार करना था।

Beti Bachao Beti Padhao in hindi 200 Words


हमारा भारत देश पौराणिक संस्कृति के साथ-साथ महिलाओं के सम्मान और इज्जत के लिए जाना जाता था।  लेकिन बदलते समय के अनुसार हमारे देश के लोगों की सोच में भी बदलाव आ गया है। जिसके कारण अब बेटियों और महिलाओं के साथ हैं एक समान व्यवहार नहीं किया जाता है।

लोगों की सोच किस कदर बदल गई है कि आए दिन देश में कन्या भ्रूण हत्या और बलात्कार जैसे मामले देखने को मिलते रहते हैं। जिसके कारण हमारे देश की सभी इतनी खराब हो गई है कि दूसरे देश के लोग हमारे भारत देश में आने से झिझकते हैं।

हमारे देश के लोगों ने मिलकर हमारे देश में पुरुष प्रधान नीति को अपना लिया है जिसके कारण देश की बेटियों के हालात गंभीर रूप से खराब हो गए हैं।  उनके साथ लैंगिग भेदभाव किया जा रहा है और ना ही उन्हें उचित शिक्षा दी जा रही है।

जिसके कारण वह हर क्षेत्र में पिछड़ गई है। उनकी आवाज को इस कदर दबा दिया गया है कि उन्हें घर से बाहर निकलने की आजादी तक नहीं दी जाती है। इस गंभीर मुद्दे को लेकर हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक नई योजना का प्रारंभ किया जिसका नाम Beti Bachao Beti Padhao रखा गया।

इस योजना के अनुसार बेटियों की शिक्षा के लिए उचित व्यवस्था की गई है और लोगों की सोच को बदलने के लिए जगह-जगह इसका प्रचार प्रसार किया जा रहा है जिससे लोग बेटी और बेटियों में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करें।

Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi 400 Words


आज हमारे 21वी सदी के भारत में जहां एक और चांद पर जाने की बातें हो रही हैं वहीं दूसरी तरफ भारत की बेटियां अपने घर से बाहर निकलने पर भी कतरा रही हैं। जिससे यह पता लगता है कि आज भी भारत देश पुरुष प्रधान देश है।

हमारे देश के लोगों की मानसिकता इतनी भ्रष्ट हो चुकी है कि वह महिलाओं और बेटियों का सम्मान नहीं करते हैं। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि जिस देश में महिलाओं का सम्मान नहीं होता वह देश की प्रगति कभी भी नहीं हो सकती है।

हमारे देश के लोगों पर दकियानूसी सोच इतनी बड़ी हो गई है कि वे लोग अब बेटी और बेटियों में फर्क करने लगे हैं। वह बेटों को उचित शिक्षा दिलाते हैं और बेटियों को घर पर ही रहकर घर के काम सीखने को कहते हैं उन्हें किसी भी प्रकार की आजादी नहीं दी जाती है। जिसके कारण बेटियों का भविष्य अंधकार में चला गया है।

हमारे देश की बेटियां आज घर से निकलने पर भी कतराते हैं क्योंकि  कुछ लोगों ने देश का माहौल इतना खराब कर दिया है कि आए दिन हम देखते हैं कि किसी ने किसी की बहन बेटी से बलात्कार की या छेड़छाड़ की घटनाएं सामने आती रहती हैं।

यह घटनाएं हमारे देश के लोगों की सोच को दर्शाती हैं कि उनकी सोच कितनी हद तक गिर चुकी है और इस बात कि ना तो उन्हें शर्म आती है ना ही उन्हें किसी प्रकार का पछतावा होता है।

हमारे देश में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही कन्या भ्रूण हत्या भी लोगों की मानसिकता का परिचय देती है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर कन्या भ्रूण हत्या जैसे मामलों पर जल्द ही कोई संज्ञान नहीं लिया गया तो जनसंख्या से जुड़े संकट उत्पन्न हो सकते हैं।

बेटियों की उचित शिक्षा और उनकी सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नाम की योजना का प्रारंभ किया। इसके साथ ही उन्होंने बेटियों का महत्व भी बताया, उन्होंने कहा कि अगर बेटियां पढ़ी-लिखी नहीं होंगी तो पूरा परिवार ही अनपढ़ रह जाएगा। जिसके कारण हमारा भारत देश विकास विकासशील देश ही बनकर रह जाएगा कभी भी विकसित नहीं हो पाएगा।

उन्होंने इस योजना के माध्यम से  इस बात पर जोर दिया कि बेटियों के साथ जो भी भेदभाव हो रहे हैं उनको खत्म किया जाए और साथ ही उनको पढ़ने लिखने की भी आजादी दी जाए। बेटियों को भी अपना जीवन जीने का पूर्ण अधिकार होना चाहिए।

Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi for all Students


अब हम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ विषय पर विस्तार से निबंध लिख रहे हैं जिसमें बताया गया है कि भारत में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ  जैसी योजनाओं की जरूरत क्यों पड़ी और इन योजनाओं का उद्देश्य क्या है। यह योजनाएं कितनी सफल रही इन सभी पर हम विस्तार से निबंध लिखेंगे। जो की बड़ी कक्षा के विद्यार्थियों को निबंध लिखने में सहायता प्रदान करेगा।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना क्या है-

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP) महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास की एक संयुक्त पहल है।  इस योजना का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 जनवरी 2015 को हरियाणा राज्य के पानीपत जिले में इसका उद्घाटन किया था।

क्योंकि हरियाणा राज्य में 1000 लड़कों पर सिर्फ 775 लड़कियां ही थी। जिसके कारण वहां का लिंगानुपात गड़बड़ा गया था।  इस योजना को शुरुआत में पूरे देश के 100 जिलों में जहां पर सबसे अधिक है लिंगानुपात गड़बड़ाया हुआ था वहां पर इस योजना को प्रभावी तरीके से लागू किया गया। और आगामी वर्षों में इसे पूरे देश में लागू करने की योजना है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के उद्देश्य-

1. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत सामाजिक व्यवस्था में बेटियों के प्रति रूढ़िवादी मानसिकता को बदलना।

2. बालिकाओं की शिक्षा को आगे बढ़ाना।

3. भेदभाव पूर्ण लिंग चुनाव की प्रक्रिया का उन्मूलन कर गांव का अस्तित्व और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना।

4. घर-घर में बालिकाओं की शिक्षा को सुनिश्चित करना।

5. लिंग आधारित भ्रूणहत्या की रोकथाम।

6. लड़कियों की शिक्षा और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना।

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बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की जरूरत क्यों पड़ी-

हमारा भारत देश वैसे तो हमारी पौराणिक संस्कृति है धर्म-कर्म और  स्नेह और प्यार का देश माना जाता है। लेकिन जब से भारतीय नहीं तरक्की करनी चालू की है  और नई तकनीकों का विकास हुआ है तब से भारतीय लोगों की मानसिकता में बहुत बड़ा बदलाव आया है। इस बदलाव के कारण जनसंख्या की दृष्टि से बहुत बड़ा उथल-पुथल हुआ है।

लोगों की मानसिकता इस कदर खराब हो गई है की वे बेटे और बेटियों में भेदभाव करने लगे है। वे बेटियों को एक वस्तु के समान मानने लगे हैं। ऐसे लोग बेटे के जन्म होने पर बहुत खुशियां मनाते हैं और पूरे गांव में मिठाइयां बटवाते है  वही अगर बेटी का जन्म हो जाए तो पूरे घर में सन्नाटा पसर जाता है जैसे कि कोई आपदा या विपदा आ गई हो। वह बेटी को पराया धन मानते हैं क्योंकि एक दिन बेटियों को शादी करके दूसरे घर जाना होता है।

इसलिए गिरी हुई मानसिकता वाले लोग सोचते हैं कि बेटियों पर किसी भी प्रकार का खर्च करना बे मतलब है।  इसलिए वे बेटियों को पढ़ाते लिखाते नहीं और ना ही उनका सही से पालन पोषण करते हैं।

उनको अपनी मर्जी से किसी भी कार्य को करने के लिए आजादी नहीं होती है। कुछ जगहों पर तो बेटियों को घर से बाहर तक नहीं निकलने दिया जाता है।

वहीं इसके विपरीत बेटों को खूब लाड प्यार किया जाता है और उनकी शिक्षा के लिए देश विदेश में भी भेजा जाता है। बेटों को हर प्रकार की छूट दी जाती है। ऐसे लोग मानते हैं कि बेटे हमारे बुढ़ापे की लाठी बनेंगे और हमारी सेवा करेंगे लेकिन आजकल सब कुछ इसके उलट हो रहा है।

बच्चों के लिंग अनुपात (सीएसआर), जो 0-6 वर्ष आयु के प्रति 1000 लड़कों के तुलना लड़कियों की संख्या से निर्धारित होता है। भारत देश के आजादी के बाद पहली जनगणना 1951 में हुई थी जिसमें पाया गया कि 1000 लड़कों पर सिर्फ 945 लड़कियां ही है लेकिन आजादी के बाद स्थिति और भी खराब होती गई जिसके आंकड़े इस प्रकार हैं-

वर्षलिंगानुपात प्रति 1000 लड़कों पर
1991945
2001927
2011918

लड़कियों की इतनी कम जनसंख्या होना यह किसी आपदा से कम नहीं है। यह बच्चे के लिंग चुनाव द्वारा जन्मपूर्व भेदभाव और लड़कियों के प्रति जन्म उपरांत भेदभाव को दर्शाता है।

इस मानसिकता के दिन प्रतिदिन बढ़ने के कारण बेटियों की जनसंख्या में कमी आने लगी क्योंकि बेटियों को गर्भ में ही मारे जाने लगा है। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 5 करोड़ लड़कियों की कमी है

जिसका संज्ञान लेते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत को चेतावनी दी कि अगर जल्द ही लड़कियों की सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया गया तो भारत में जनसंख्या के बदलाव के साथ-साथ अन्य कई विपत्तिया सकती हैं।  इसलिए हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटियों की सुरक्षा और बेटियों की शिक्षा दीक्षा के लिए एक नई योजना का प्रारंभ किया जिसका नाम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ रखा गया।

बेटियों की दुर्दशा के कारण –

भारत में जब से नई तकनीकों का विकास हुआ है लोग जब से सिर्फ अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए जीने लगे हैं तब से बेटियों की स्थिति हमारे देश में बहुत ही दयनीय हो गई है। उनकी इस स्थिति का जिम्मेदार और कोई नहीं आप और हम ही हैं।

क्योंकि हमारे जैसे लोग ही बेटे और बेटियों में भेदभाव करने लगे हैं।  जिस कारण बेटियां देश में SS महसूस करने लगी हैं और उनकी जनसंख्या में भी काफी गिरावट आई है। कई राज्यों में तो हालात इतने खराब हो गए हैं कि वहां के युवाओं की अब शादी भी नहीं हो पा रही है।

आइए जानते हैं कि कौन से कारण हैं जिसके कारण आज हमारे देश की बेटियों की हालत गंभीर रूप से बहुत ही दयनीय हो गई है।

1. लैंगिग भेदभाव –

लैंगिग भेदभाव का मतलब है कि अब लोग बेटियों का जन्म नहीं चाहते है। वे चाहते हैं कि उनके घर सिर्फ बेटे ही पैदा हो। लेकिन वह लोग यह नहीं जानते कि अगर लड़कियों का जन्म नहीं होगा तो भी बहू कहां से लाएंगे बहन कहां से लाएंगे और साथ ही मां कहां से लाएंगे।

2. कन्या भूण हत्या –

बढ़ते लैंगिक भेदभाव के कारण अब लोगों की मानसिकता इतनी खराब हो गई है कि वे बेटियों की गर्भ में ही हत्या कर देते हैं। उनके मन में बेटे की इतनी चाहत बढ़ गई है कि वह अपनी ही बेटी को दुनिया में आने से पहले ही मार देते हैं।

जिसके कारण लड़कियों की जनसंख्या में भारी गिरावट आई है  और एक नई विपदा उभरकर सामने आई है। जिस पर ना तो लोग कुछ कदम उठा रहे हैं ना ही सरकार इस पर कुछ कर रही है। जिसके कारण आए दिन लड़कियों का शोषण हो रहा है

3. शिक्षा की कमी –

शिक्षा की कमी के कारण लोग आज भी बेटियों को बहुत मानते हैं जिसके कारण भारत जैसे देश जहां पर माताओं को पूजा जाता है। उसी देश में बेटियों का शोषण किया जाता है।

बेटियों के माता-पिता पढ़े नहीं होने के कारण वह लोगों की सुनी सुनाई बातों में आ जाते हैं और बेटियों के साथ भेदभाव करने लगते हैं। उन्हें पता ही नहीं होता है कि अगर बेटियों को सही अवसर दिया जाए तो भी बेटों से ज्यादा कर कर दिखा सकती हैं।

4. भ्रष्ट मानसिकता –

भारत में लोगों की मानसिकता का इसी से पता लगाया जा सकता है कि वह बेटियों को एक वस्तु के समान मानने लगे हैं जिसको जैसे चाहे काम में ले लो और फिर फेंक दो।  लोग बेटियों को पराया धन मानते हैं उनको एक खर्चे के रूप में मानते हैं जिसके कारण देश में लड़कियों की स्थिति चिंताजनक हो गई है।

भ्रष्ट मानसिकता वाले लोग मानते हैं कि बेटे ही सब कुछ है वही उनके बुढ़ापे की लाठी बनेंगे और उनकी सेवा करेंगे।  इसलिए वे लोग अब बेटियों का जन्म तक नहीं चाहते उनकी घर में ही हत्या करवा देते हैं। इसलिए लोगों की मानसिकता बदलने का प्रयास करना चाहिए।

5. दहेज प्रथा –

हमारे देश में दहेज प्रथा बहुत गंभीर समस्या है जिसके कारण बेटियों की स्थिति चिंताजनक हो गई है। इस प्रथा के कारण लोग अब नहीं चाहते कि उनकी परिवार में बेटियां पैदा हो क्योंकि जब बेटियों की शादी की जाती है तो उन्हें बहुत सारा दहेज देना पड़ता है।

जिसके कारण लोग बेटियों को एक बहुत बड़ा खर्चा मानने लगे हैं  और बेटे और बेटियों में भेदभाव करने लगे हैं। वर्तमान में तो बेटियों को घर में ही मरवा दिया जाता है जिससे लोगों को उनकी शादी पर दहेज नहीं देना पड़े इसलिए इस प्रथा को समाप्त करना बहुत जरूरी है।

बेटियों की दुर्दशा के दुष्प्रभाव –

यह सब हमको अच्छे से ज्ञात है कि किसी भी चीज की अति या कमी किसी ना किसी विनाशकारी आपदा को  जन्म देती है। चूँकि वर्तमान समय में बेटे और बेटियों में बहुत भेदभाव किया जाने लगा है। जिसके कारण  लड़कियों की संख्या में कमी आई है और उनकी शिक्षा दीक्षा में भी बहुत कमी देखी गई है। इसका दुष्प्रभाव आज हमको देखने को मिल रहा है।

1. जनसंख्या वृद्धि –

लड़के की चाह रखने वाले लोग जब तक उनके घर लड़का पैदा नहीं हो जाता तब तक वह बच्चे पैदा करते रहेंगे जिसके कारण  भारी संख्या में जनसंख्या का विस्तार होगा। इससे हमारे देश के विकास की गति धीमी हो जाएगी जिसके कारण लोगों को उचित रोजगार व उचित भोजन नहीं मिल पाएगा।

 वैसे ही हमारा देश बहुत पिछड़ा हुआ है और अगर जनसंख्या वृद्धि इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो हमारा देश कभी भी विकसित नहीं हो पाएगा। इसलिए लोगों को इस बारे में चर्चा करनी चाहिए और इसके विरुद्ध कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए।

2. लड़कियों की जन्म दर कम होना –

और लोग  लड़कियों के साथ इसी तरह का भेदभाव करते रहे तो लड़कियों के जन्मदिन में  भारी संख्या में गिरावट आ सकती है जबकि भारत के बहुत से राज्य में वर्तमान समय में भी लड़कियों की जनसंख्या बहुत कम है एक आंकड़े के अनुसार वर्ष 1981 में 0 से 6 साल लड़कियों का लिंगानुपात 962 से घटकर 945 ही रह गया था और  वर्ष 2001 में यह संख्या 927 रह गई थी। 2011 आते आते तो स्थिति और भी खराब हो गई थी क्योंकि 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या सिर्फ 914 ही रह गई थी जो कि एक गंभीर समस्या हो गई है।

3. बलात्कार और शोषण की घटनाएं बढ़ना –

लड़कियों की जनसंख्या कम होने के कारण आए दिन आपने एक बार और समाचारों में देखा होगा कि हमारे देश में बलात्कार जैसी घटनाएं बहुत ही तेजी से बढ़ रही है। इसका एक कारण यह भी है कि लड़कियों की जन्म दर बहुत कम हो गई है। पुरुष प्रधान समाज होने के कारण लड़कियों की जनसंख्या जहां पर कम होती है वहां पर पुरुष अपना प्रभुत्व है दिखाते हैं और लड़कियों का शोषण करने से बाज नहीं आते हैं।

4. देश का धीमी गति से विकास –

अगर लड़कियों के साथ भेदभाव किया जाएगा तो देश के विकास की गति धीमी हो जाएगी क्योंकि आज भी हमारे देश में आधी जनसंख्या महिलाओं की है अगर उन्हीं को उचित शिक्षा और सुरक्षा नहीं मिलेगी तो हमारे देश के विकास की गति अपने आप ही धीमी हो जाएगी। और कहा जाता है कि पहला गुरु मां ही होती है अगर वही पढ़ी-लिखी नहीं होगी तो वह अपने बच्चों को कैसे पढ़ाएगी। इसलिए बेटियों को पढ़ाना बहुत जरूरी होता है।

लड़कियों की दुर्दशा सुधारने के उपाय –

देश में बिगड़ती हुई लड़कियों की दुर्दशा  के लिए कहीं ना कहीं आप और हम भी जिम्मेदार हैं क्योंकि जब भी लड़कियों के साथ भेदभाव या फिर उनका शोषण होता है तो हम सिर्फ देखते रहते हैं उसका विरोध तक नहीं करते हैं।

जिसके कारण आज यह स्थिति हमको देखने को मिल रही है। अगर लड़कियों से किसी प्रकार का भेदभाव हो रहा है और अगर हम उसे होते हुए देख रहे हैं तो हम भी उतने ही जिम्मेदार हैं जितना कि भेदभाव करने वाला इसलिए हमें लड़कियों के प्रति भेदभाव पूर्ण नीति के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।

नहीं तो एक दिन ऐसा आएगा कि हमारे देश में लड़कियां ही नहीं रहेंगी। सरकार भी लड़कियों के उत्थान के लिए नई नई योजनाएं लाते आती है जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना महिला सशक्तिकरण योजना जैसी कई योजनाएं चलाती है लेकिन आमजन की रूचि न होने के कारण यह सभी योजनाएं ठंडे बस्ते में चली जाती हैं।

आइए देखते हैं कि हम लड़कियों की दुर्दशा सुधारने के लिए क्या उपाय कर सकते हैं –

1. लिंग जांच को रोकना –

वर्तमान में नई तकनीकों के विकास के कारण गर्भ में ही पता लगा लिया जाता है कि बच्चा लड़का पैदा होगा या लड़की तो लोग इसका फायदा उठा कर पहले ही पता लगा लेते हैं कि उन्हें लड़का पैदा होगा या फिर लड़की अगर उन्हें पता चलता है कि लड़की पैदा होने वाली है तो वे लड़की की गर्भ में ही हत्या करवा देते हैं जिसके कारण लड़कियों का लिंगानुपात निरंतर कम होता जा रहा है।

भारत में लिंग जांच करने वाली मशीनें आसानी से मिल जाती हैं इन मशीनों पर हमें तुरंत रोक लगानी चाहिए। हालांकि भारत सरकार ने इसके ऊपर एक सख्त कानून लाया है लेकिन कुछ लालची डॉक्टरों के कारण आज भी लिंग जांच होती है और लड़कियों की गर्भ में हत्या कर दी जाती है।

2. स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देना –

हमें स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए, अगर समाज में शिक्षित महिलाएं होंगी तो वह कभी भी अपने गर्भ में पल रही बेटियों की हत्या नहीं होने देगी। उनकी हत्या का मुख्य कारण यह है कि महिलाओं को  शिक्षा के बारे में कुछ पता नहीं होता है और उन्हें पुरानी रूढ़िवादी बातों में फंसा कर उनके परिवार वाले अपनी ही बेटी कि गर्भ में हत्या करवा देते हैं। इसलिए जितना स्त्री शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा उतना ही लड़कियों का लिंगानुपात बढ़ेगा।

3. लड़कियों के प्रति भेदभाव को रोकना –

हमारे 21वीं सदी के भारत में जहां एक और कल्पना चावला जैसी महिलाएं अंतरिक्ष में जा रही हैं वहीं दूसरी ओर हमारे समाज के लोग लड़कियों से भेदभाव कर रहे हैं। लड़कियों से लिंग चयन के आधार पर भेदभाव किया जाता है और अगर उनका जन्म हो भी जाता है तो उनको उचित शिक्षा नहीं दी जाती है

उनका उचित पालन पोषण नहीं किया जाता है इस भेदभाव नीति के कारण लड़कियों का विकास सही से नहीं हो पाता है और वे पिछड़ी हुई रह जाती है जिसके कारण वह लड़कों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नहीं चल पाती हैं। हालांकि वर्तमान में शहरों में लड़कियों की स्थिति में कुछ बदलाव आया है।  लेकिन इतना भी बदलाव नहीं आया है कि कहां जा सके कि लड़कियों के साथ भेदभाव नहीं हो रहा है।

4. लोगों की मानसिकता बदलना –

हमारे 21वी सदी के भारत में एक और तो लोग अपने सभ्य होने का दावा करते हैं और दूसरी ओर वह महिलाओं का शोषण करते हैं उनसे छेड़छाड़ करते हैं और बलात्कार जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। यह लोग कोई और नहीं हम में से ही कुछ ऐसे लोग हैं जिनकी मानसिकता इतनी खराब हो चुकी है कि वह महिलाओं को एक वस्तु के समान भोग विलास की वस्तु मानते हैं।

ऐसे लोगों को समाज से बाहर कर देना चाहिए, यह लोग समाज के लिए ही नहीं पूरे विश्व के लिए बहुत ही खतरनाक हैं। इसलिए इन जैसी सोच रखने वाले लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना बहुत जरूरी हो गया है क्योंकि दिन प्रतिदिन ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जिसका परिणाम आप आए दिन अखबारों और समाचारों में देखते रहते हैं।

5. लड़कियों की सुरक्षा के प्रति सख्त कानून का निर्माण करना –

भारत सरकार को लड़कियों की सुरक्षा के लिए सख्त कानूनों का निर्माण करना चाहिए जिससे कि किसी की हिम्मत ना हो लड़कियों से शोषण करने की ओर उनसे भेदभाव करने की। हालांकि सरकार ने कुछ ऐसे कानून बनाए हुए हैं जिनसे महिलाओं की सुरक्षा की जा सकती है लेकिन इन कानूनों में कुछ कमियां होने के कारण लोग इसका फायदा उठाते हैं और बलात्कार जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं।  

हाल ही में सरकार ने एक नया कानून लाया है जिसकी सराहना की जा सकती है जिसमें 12 साल तक की लड़कियों से बलात्कार करने पर फांसी की सजा दी जाएगी। अगर ऐसे ही सख्त कानून बनते रहे तो किसी की भी हिम्मत नहीं होगी कि लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार करें।


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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

24 thoughts on “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध – Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi”

  1. Very nice because muche ye likh kar Sabse phele school mai submit karna tha or apka best Laga or class mai bhi sabhi se acha tha 😊😊😊

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  2. आपके दवा्रा दिए गऐ सुझावों से हम सहमत हैं ।बहुत बढिया सुझाव हैं आपके ।धन्यावाद।

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    • अंजू वर्मा जी आप को हमारे द्वारा लिखा गया लेख पसंद आया हमे बहुत खुशी हुई, ऐसे ही वेबसाइट पर आते रहे आप का बहुत बहुत धन्यवाद.

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  3. इस लेख से तो कुछ भी जानकारी नहीं मिल रही है !जैसे कौन सी सरकारी मदद मिल सकती है ?किस प्रकार की ?किनको ?क्या मदद ???

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    • नन्दलाल जी यह पर हमने बेटी बचाने और बेटी पढ़ाने पर निबन्ध लिखा किसी योजना की जानकारी नही दी है. अगर आप को योजना की जानकारी चाहिए तो आप इस सरकारी वेबसाइट पर जा सकते है – http://www.wcd.nic.in/bbbp-schemes

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