तू खुद की खोज में निकल – Tu Khud ki Khoj Me Nikal Poem

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Tu Khud ki Khoj Me Nikal Poem in Hindi : दोस्तों आज हमने तू खुद की खोज में निकल कविता लिखी है, इस कविता को गीतकार तनवीर ग़ाज़ी ने लिखा है।

इस कविता को अमिताभ बच्चन द्वारा आवाज दी गयी है यह कविता हमे हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा के साथ-साथ नया साहस पर ऊर्जा प्रदान करती है।

Tu Khud ki Khoj Me Nikal Poem

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Tu Khud ki Khoj Me Nikal Poem in Hindi


तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है,
तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है..

जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ
समझ न इन को वस्त्र तू…
जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ
समझ न इन को वस्त्र तू…

ये बेड़ियां पिघाल के
बना ले इनको शस्त्र तू
बना ले इनको शस्त्र तू
तू खुद की खोज में निकल

तू किस लिए हताश है,
तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है..

चरित्र जब पवित्र है
तो क्यों है ये दशा तेरी…
चरित्र जब पवित्र है
तो क्यों है ये दशा तेरी…

ये पापियों को हक़ नहीं
की ले परीक्षा तेरी
की ले परीक्षा तेरी
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है
तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है..

जला के भस्म कर उसे
जो क्रूरता का जाल है…
जला के भस्म कर उसे
जो क्रूरता का जाल है…

तू आरती की लौ नहीं
तू क्रोध की मशाल है
तू क्रोध की मशाल है
तू खुद की खोज में निकल

तू किस लिए हताश है,
तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है..

चूनर उड़ा के ध्वज बना
गगन भी कपकाएगा…
चूनर उड़ा के ध्वज बना
गगन भी कपकाएगा…

अगर तेरी चूनर गिरी
तो एक भूकंप आएगा
तो एक भूकंप आएगा…

तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है,
तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है..


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