5+ रक्षाबंधन पर कविता – Raksha Bandhan Poem in Hindi

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Raksha Bandhan Poem in Hindi : दोस्तों आज हम ने रक्षाबंधन पर कविता लिखी है। रक्षाबंधन त्यौहार बहन भाई की अटूट प्रेम और विश्वास का त्यौहार होता है इसी बहाने वह हर साल मिल पाते हैं और  अपने बचपन के किस्से, यादें फिर से ताजा कर पाते है।

इस बार रक्षाबंधन का त्यौहार 11 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा. इस पावन पर्व पर सभी बहने अपने भाई को राखी बांधी हैं और उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं बदले में भाई बहन की रक्षा करने का वादा करता है।

यह त्यौहार सब त्योहारों से भिन्न इसलिए होता है क्योंकि इस दिन बहन के घर पर आने से मानो पूरा घर खिल उठ जाता है, खुशियां भर भर के घर में आती है  बहुत अच्छा लगता है जब भाई बहन छोटे हो या बड़े एक दूसरे से मिलकर अपनी यादों को साझा करते है।

Raksha Bandhan Poem in Hindi

Raksha Bandhan Poems in Hindi


राखियां बहनों की
शुभ सौगात है
राखियां भाई को
आर्शीवाद है

बांधती जब
भाइयों के हाथों पर
बहनों को होता
अनूठा नाज है

स्नेह के अनसुने सुरीले
गीतों पर
राखी बजता
अलंकृत साज है

राखियों में झलकती
अद्भुत खुशी
राखियां घेवर का
अनुपम स्वाद है

– अनिल कुमार माथुर

Poem on Rakhi in Hindi


लो फिर आया रक्षा बंधन
भाई बहन के अमित प्यार का
बड़ा अनोखा बंधन

एक दूजे की गलबहियो में
बिछे रेत की पगडंडीयों में
बचपन बीता, आई जवानी

रिश्तो ने ली फिर अंगड़ाई
भौतिकता की भागदौड़ ने
स्वार्थपरता की आंधी ने
रिश्तो की गरिमा को छेड़ा तो
भरमाय है

समय ने डाली है इन पर धूल
है तो फिर एक डाली के फूल
कच्चे धागों के यह घेरे
नाजुक है पर नेह घनेरे

देखें कहीं उलझन जाए
उलझ कर कहीं टूट न जाए
बस्ती रहे प्रेम सरगम

लो फिर आया रक्षाबंधन
भाई बहन के अमिट प्यार का
बड़ा अनोखा बंधन

उषा मित्तल

Raksha Bandhan Poetry in Hindi


ना कोई राज है ना कोई साज है
उसके मुख में कोयल सी राग है
जब तू बोलती है भैया
तब पुरे दिन की थकान उतर जाती है

तू लड़ती है तो भी अच्छा लगता है
तेरे बिन घर सूना सूना लगता है
तू है सच्चे रिश्तो की पहचान
तुझ बिन नहीं रक्षाबंधन का त्यौहार

बहती गंगा सी है तू जहां भी जाती है
कर देती है उस घर को हरा भरा
भर देती झोली आनंद और ऐश्वर्य से
खोल देती है तो किस्मत के ताले

याद बहुत आती है तेरी लेकिन कह नहीं पाता
रो लेता हूं कभी अगर सह नहीं पाता
आजा मेरी बहना इस रक्षाबंधन
राखी बांधने के बहाने
अब बिन देखे तुझको रहा नहीं जाता

– नरेन्द्र वर्मा

Rakhi Hindi Poem


बंधन तो मन के होते हैं
पूरे जीवन के होते हैं
जैसे शचि का मध्वन से था
या रघुबीर का लखन से था
कृष्ण का श्याम किशन से था

मन के सब बंधन होते हैं
भाई को बहन सूत्र बांधे
भाई तरुवर को बांधे
मानव हर जीवन को बांधे

यह रक्षाबंधन होते हैं
हम तरुऔ को जीवन देंगे
वे हमको ऑक्सीजन देंगे
आशीष हमें हर क्षण देंगे

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
आपस में हो सच्चे भाई
बंगले झांके सब दंगाई
रिश्ते कंचन से होते हैं
बंधन तो मन के होते है

– डॉ कौशल किशोर श्रीवास्तव

रक्षाबंधन पर कविता बहन के लिए


बचपन में चाहे कितना भी चिढाती हो
पापा से रोज कुटाई भी करवाती है
लेकिन जिस दिन
उसकी विदाई की गाड़ी जाती है

अन्दर एक दुनिया खत्म हो जाती है
भाई को भले निठल्ला बताती है
माँ को भी पक्षपाती दिखाती है

लेकिन जिस दिन खुद माँ बन जाए
बेटे को मामा जैसा ही बनाती है
चुपके से गर्ल फ्रेंड के सारे राज उगलवाती है

और हमारे एक-एक दोस्त को आवारा बताती है
लेकिन जिस दिन कोई लड़का पीछे पड़ जाए
उन्ही आवारा दोस्तों से पिटवाती है

माइके में मेरी कमियाँ बताती है
और ससुराल में मेरी खूबिया गिनाती है
बड़ी कमाल होती है बहने
जिसकी नहीं होती ना उसे ही कदर आती है

कई बार हफ्तों उससे बात नहीं हो पाती है
कई दिन तो उसकी याद तक नहीं आती है
मगर दुनिया मेंकही भी हो भाई
लेकिन आज के दिन उसकी राखी जरुर आती है

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