दोस्तो आज हमने Ped ki Atmakatha in Hindi लिखा है एक पेड़ की आत्मकथा पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए है। इस लेख के माध्यम से हमने एक Ped ki Atmakatha का वर्णन किया है। पेड़ का जीवन बहुत ही साधारण होता है।
वह अपना पूरा जीवन पृथ्वी के प्राणियों की सेवा में लगा देता है। फिर भी अंत में उसको काट दिया जाता है। लेकिन इतनी सब कठिनाइयों के बाद में भी एक पेड़ फिर से जन्म लेता है और फिर से सभी की सेवा करने लग जाता है।
Essay on Ped ki Atmakatha in Hindi
मैं एक पेड़ हूं मेरा जन्म एक बीज के रूप में हुआ था मैं कुछ दिनों तक धरती पर यूं ही पड़ा रहा और धूल में भटकता रहा। कुछ दिनों बाद वर्षा का मौसम आया तो बारिश हुई, बारिश के कुछ समय बाद मैं बीज की दीवारों को तोड़कर बाहर निकला और इस दुनिया को देखा मैं उस समय बहुत ही कोमल था किसी के थोड़ा सा जोर से हाथ लगाने पर ही मैं टूट सकता था।
जब मैं छोटा था तब छोटी सी आहट से ही मुझे डर लगता था मुझे ऐसा लगता था कि कोई पशु पक्षी या फिर इंसान मुझे तोड़ न ले या फिर अपने पैरों के नीचे कुचल ना दे। लेकिन समय बीतता गया और मैं धीरे-धीरे बड़ा होता गया।
कुछ वर्षों में मैं प्रकृति को भी जानने लगा था कि कब बसंत ऋतु आती है, कब वर्षा ऋतु आती है, कब सर्द ऋतु आती है उस हिसाब से मैं अपने आप को ढाल लेता था।
मैंने अपने जीवन को बचाए रखने के लिए बहुत सी बाधाओं को पार किया है जैसे कि गर्मियों में सूरज की तेज धूप को सहा है तो कभी सर्दियों में बहुत अधिक ठंड को सहा है, कभी तेज तूफान आते है तो कभी ओले गिरते है, कभी कोई जानवर मुझे खाने को दौड़ता है तो कभी इंसान मेरी टहनियों को तोड़ लेता है।
इन सभी बाधाओं से मुझे बहुत तकलीफ हुई लेकिन इन बाधाओं ने मेरे को इतना मजबूत बना दिया है कि अब मैं किसी भी बाधा का सामना कर सकता हूं।
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लेकिन अब मैं बड़ा हो गया हूं मुझे अब किसी जानवर के खाने का भय नहीं रहता है और गर्मी सर्दी भी मैं सहन कर लेता हूं बड़ा होने के कारण अभी इंसान भी मेरी टहनियां नहीं तोड़ पाते है।
अब मेरे ऊपर कुछ पुष्प और फल भी लगने लगे है। मेरे पुष्प भगवान के चरणों में अर्पित किए जाते है जो कि मुझे बहुत अच्छा लगता है।
मेरे फल खाने के लिए बच्चे दौड़े चले आते है वह मेरे कच्चे फल ही खा जाते है। मेरे फल खाकर छोटे बच्चे बहुत खुश होते है यह देखकर मेरे हृदय में को भी सुकून मिलता है की मेरे होने से किसी को तो खुशी मिल रही है। और हम पेड़ों का असली मकसद ही यह रहता है कि हम जीवन भर कुछ ना कुछ इस धरती के प्राणियों को देते रहें।
समय व्यतीत होता रहा और मेरी टहनियां और मजबूत हो गई मेरी टहनियों के मजबूत होते ही बच्चों ने मेरे ऊपर झूले डाल दिए और जोर-जोर से झूलने लगे। बच्चे जब झूल रहे थे तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था झूले की रस्सियों से मुझे चुभन और दर्द तो हो रहा था लेकिन बच्चों की प्यारी मुस्कान के आगे वह दर्द कुछ नहीं था इसलिए मैं भी अपनी डाल को हिलाकर उन्हें ठंडी हवा दे रहा था।
धीरे-धीरे समय बीत रहा था और मैं पहले से ज्यादा बड़ा और मजबूत होता जा रहा था मेरी शाखाएं दूर-दूर तक फैलने लगी थी। गर्मियों में जब भी कोई राही तेज धूप से बचने के लिए मेरे नीचे आकर बैठता और आराम करता तो मैं उसे ठंडी छांव देता और टहनियों को हिला कर उन्हें हवा देता वह प्रसन्न होकर मुझे खूब दुआएं देते यह देख कर मुझे अच्छा लगता।
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कुछ लोग बारिश से बचने के लिए मेरे नीचे आकर खड़े हो जाते हैं मैं भी उनको बारिश से बचाने के लिए अपने पत्तों का ऐसा जाल बनता कि वह छतरी के समान बन जाता जिससे वह लोग बारिश में भीग नहीं पाते थे और बारिश खत्म होने पर भी खुशी-खुशी घर चले जाते थे।
मेरी विशाल शाखाओं पर बहुत सारे पक्षी आते है और उनमें से कुछ पक्षी मेरी शाखाओं पर अपना घोंसला बनाते है यह मुझे अच्छा लगता है कि कोई मेरी शाखाओं पर अपना घर बसा कर अपना जीवन यापन कर रहा है।
कुछ पक्षी उड़ते हुए थक जाते थे तो वे मेरी टहनियों के ऊपर आकर आराम करते हैं और मेरा धन्यवाद करके फिर से अपनी मंजिल की ओर उड़ कर चले जाते। लेकिन जिन पक्षियों ने मेरे ऊपर घर बनाया था वह सुबह दाना चुगने के लिए जाते और शाम को अपने घोंसले में लौट आते है।
वे पक्षी जब दाना चुगने जाते तब मैं उनके घोंसले की रक्षा करता था और उन पक्षियों के साथ मेरा एक अनूठा प्रेम बन गया था मानो ऐसा लग रहा था कि एक हमारा छोटा परिवार बन गया है।
मैं पहले से ज्यादा लोगों को अब फल और फूल दे रहा था लोग खुश होकर उन्हें खा रहे थे और मेरा धन्यवाद भी कर रहे थे।
जैसे-जैसे समय बीत रहा था मैं भी बूढ़ा हो रहा था और मेरी कुछ शाखाएं सूखने भी लगी थी लेकिन उनकी जगह नई शाखाएं भी आ रही थी। मेरा जीवन अच्छा व्यतीत हो रहा था।
लेकिन कुछ मनुष्य मेरी मोटी टहनियों को देखकर मुझे काटने का विचार करने लगे यह देख कर मुझे बहुत ही दु:ख हुआ कि मैंने जीवन भर इंसानों को सब कुछ दिया लेकिन आज ये अपने स्वार्थ के लिए मुझे काटना चाहते है।
कुछ दिन बाद ही कुछ लोग आए और मुझे काटने लगे मुझे बहुत ही पीड़ा हो रही थी लेकिन मैं अपनी पीड़ा जाहिर भी तो नहीं कर सकता था और ना ही कटने से बचने के लिए भाग सकता था।
उन लोगों ने मुझे पूरा काट दिया और फिर मेरी कुछ लकड़ियों को जला दिया और कुछ लकड़ियों से अपने काम की वस्तुएं बना ली। मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने जीवन भर सब की सेवा की और मरने के बाद भी मेरी लकड़ी लोगों के काम आयी।
लेकिन मेरे मन में आज भी एक सवाल है हमने जीवन भर इंसानों को खूब फल, फूल, लकड़ियां, धूप से बचाने के लिए छांव और सबसे महत्वपूर्ण हमने इंसानों के जीवन के लिए ऑक्सीजन दी जिससे बिना इंसान जीवित नहीं रह सकते, हमने पृथ्वी को हरा भरा बनाए रखा, पृथ्वी के वातावरण में घुली जहरीली गैसों को भी साफ किया।
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फिर भी इंसानों ने अपने थोड़े से स्वार्थ के चलते हमें काट दिया। इस बात को लेकर हम पेड़ों को बहुत दुख होता है। लेकिन शायद इंसान की सोच ऐसी ही होती है कि जब तक किसी से कुछ मिलता रहे तब तक तो उसे पूछते हैं और जब मिलना बंद हो जाता है तो उसे ठुकरा देते है।
अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि मेरी सोच गलत थी कि जानवर हमें खा जाएंगे और मैं जानवरों से डरता था लेकिन बड़े होने पर समझ में आया कि हमें जानवरों से नहीं इंसानों से खतरा है।
मैं पेड़ आप सभी से निवेदन करना चाहूंगा कि आप हम पेड़ों को काटे नहीं और ज्यादा से ज्यादा लगाएं जिससे हम इस पृथ्वी को और खुशियों से भर दे।
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Nibandh or prathana patra
Nice very very good story iam emotional boro
Thank you Tausif for appreciation and share with your friends and family.
Thank u soo much for d lovely atmakhata……I really felt as if tree its self is speaking
Thank you Akshay kannan for appreciation.
Swaroop Biradar
I like the essay very much. Your website helps millions of students all over the world to learn various and valuable lessons in hindi
Once again thanks a lot
Welcome Swaroop and thank you for appreciation.
Good very nicely explained the bio graphy of tree it seems that the tree itself has came alive and speaks this …..Its not just to read this and comment down on it but its about understanding the stuff written there and implement on it ( good things only ) what an inspiring message conved at last.
thank you Bibhash Chandra Bimal for appreciation.
Very good or nice atmakhata
vidhi Chauhan thank you for appreciation, keep visiting Hindi yatra.
thank you very much it helped me a lot
Welcome yashaswi thakur, keep visiting Hindi yatra.
Loved it, Great thoughts……
Tommorow Hindi Board Exam is there….
Your words in essay will definitely help me….
And Sir/Madam(Admin of web) be frank for any technical help from me…. I am a computer student and familiar with online Networking and website development…
Thank you so much!
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I love this essay plz send more
Thank you Ritu Sumesh Pujari for appreciation and we will write more content soon on this topic.
Nice essay 👍 I like this essay very much .
Thank you Sujal Tarde keep visiting hindi yatra.
thankyou for giving a idea for my homework
Welcome amish and thanks for appreciation
Yay very nice you helped me in my homework
Thank you Tejasv Sehgal for appreciation.
Thanks sir
Write Raste ki atamkatha Plz
Suru ji hum jald hi Raste ki atamkatha likhnge, aise hi hindi yatra par aate rahe.
Per ki aatm katha bahut achchhi hai air ye sabhi ko parhna chahiye
Aap ne shi khaa Ranjeet bhagat, aise hi website par aate rhe
Wow ….👍🤗I just loved the essay… Really good
Thank you Nupur for appreciation.
Aap ki atmakatha bahut acchi hai. Supper and thank you so much aap ne ye hum tak bahuchaya hai.
thank you Sana sheikh for Appreciation.
There’s a silly mistake that is in hindi it never comes full stop ” . ” , it comes purnaviram ” । ” please correct it.
We have improved our mistake and we are grateful to you that you made us aware of our mistake, Thank you Sangita
Can u plz send a short form of it nearly in 150-175 words
We will soon write 150-175 words essay on ped ki atmakatha
Nice nnnnniiiiiccccceeeee
Thank you Dev Somani, keep visiting our website.
Aap ki likhi hui pedh ki aatmkatha bahut acchi thi. kya aap ek suraj ki aatmkatha likh sakte he
Rashid Shaikh Pahle to App ke protsahan ke liye dhanyawad, or hum suraj ki aatmkatha bhi jald hi likhnge aap aise hi support banye rakhe.
Pls ek topic ke different essays dijiye for more ideas pls n thank you…….!!!!
Bhavya Pawan kevlani aap ke suggestion ke liye Dhanywad, aap apna support banaye rakhe hum jald hi naye Essay likhnge
kya aap ek budhe ped ki aatmakhata likh sakte hai
hum kuch hi dino me budhe ped ki aatmakhata esi page me update kar denge.
Ped ki aatmkat nibhand bahut hi acha tha mujhe bhi pad ke itna acha laga ki kya bolu mujhe bahut si ayday mili isliya aap ka dhanevad
Aap ko hamare duvara likha Gya nibandh accha laga iskliye aap ka Dhanyawad Arun Mulvad. Aise hi website par aate rahe
Very good or nice atmakatha that I didn’t saw any time
Thank you Deva Akhil
Very nice essay on per ki athmakatha
Thank you very much for your appreciation.