Talab ki Atmakatha Essay in Hindi : दोस्तों आज हमने तालाब की आत्मकथा पर निबंध लिखा है इसमें हमने तालाब की वर्तमान और पुरानी दशा का वर्णन किया है.
यह निबंध हमने अलग अलग समय सीमा में कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के लिए लिखा है इस निबंध की सहायता से विद्यार्थी परीक्षाओं में तालाब की आत्मकथा लिख सकते है.
Get Some Essay Talab ki Atmakatha under 250, 350 and 800 words.
विषय-सूची
Talab ki Atmakatha Essay in Hindi 250 words
मैं तालाब हूं मेरा अस्तित्व है वर्षों पुराना है मैं किसी भी बड़े गड्ढे में अपना स्थान बना लेता हूं. मैं अक्सर जंगलो बगीचों, गांव और खेतों के बीच में पाया जाता हूं.
मुझे कुछ स्थानों पर पोखर और बावड़ी के नाम से भी जाना जाता है. मेरे अंदर नदियों, झीलों और बारिश का पानी समाया होता है पुराने जमाने में 12 महीनों तक पानी से लबालब भरा रहता था और मेरे चारों ओर हरियाली फैलाता था.
मेरा पानी पीकर जंगल के जीव जंतु बहुत खुश होते है मैं उनके अमूल्य जीवन का प्रमुख सहारा हूं. मेरे पानी से गांव के खेतों में सिंचाई की जाती है जिससे अच्छी फसल की पैदावार होती है और गरीब किसान खुश रहते है.
मैं कई स्थानों पर प्राकृतिक रूप से पाया जाता हूं तो कई जगह मुझे राजा महाराजाओं द्वारा बनाया गया है. कुछ स्थानों पर मैं छोटा होता हूं तो कुछ स्थानों पर मैं बहुत विशाल होता हूं.
वर्तमान में नई पीढ़ी द्वारा मुझे भुलाया जा रहा है मेरा अस्तित्व खतरे में है. अब तो गर्मियों का मौसम आते आते मैं पूरा सूख जाता हूं फिर ऊपर से मानव द्वारा मेरे अंदर कचरा और केमिकल डालकर मुझे प्रदूषित किया जाता है जिस कारण मेरा जल पीने योग्य नहीं रहता है.
मैं आज बहुत दुखी हूं क्योंकि जिन जीव जंतुओं को मैं जीवन देता था आज उन्हीं के प्राण लेता हूं मेरा आप सभी मानव से निवेदन है कि मुझे पुन: जीवनदान दे. मैं भी आपको बदले में जीवन जीने के लिए अमूल्य जल प्रदान करूंगा.
Talab ki Atmakatha Essay in Hindi 350 words
मैं तालाब हूं मेरे रहने का स्थान यह धरती है जिसे मैं मां समान समझता हूं जो कि मुझे जीवन देती है. मैं पढ़ती पर प्रत्येक स्थान पर स्थित होता हूं. कहीं जंगल में तो, कहीं गांव में कहीं पहाड़ की चोटी पर, तो कहीं गांव के आसपास में नजर आ जाता हूं.
मेरा अस्तित्व वर्षा, नदी, झील और झरनों से होता है. मेरा आकार और मेरी गहराई प्रत्येक ही स्थान पर अलग-अलग होती है. मैं अपने जल से अपने आसपास के पेड़ पौधों को जीवन देता हूं. जंगल के सभी जीव जंतुमेरे पास आकर मेरे जल से अपनी प्यास बुझाते है.
सभी प्राणी मेरा जल पीकर मुझे धन्यवाद कहते है वैसे तो मैं वर्ष भर पानी से लबालब भरा रहता हूं लेकिन वर्तमान में वर्षा की कमी के चलते मैं गर्मियों में सूख जाता हूं जिसके कारण जंगल के प्राणियों की भूख प्यास से मृत्यु हो जाती है.
यह देखकर मुझे बहुत ही दु:ख होता है लेकिन मैं चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पाता हूं. हर गांव के आसपास मेरा निवास स्थान होने के कारण गांव के लोग मेरे जल्द से खेती करते है और साथ ही अपनी प्यास बुझाते है. मैं उन्हें उनकी जरूरत का अच्छा जल उपलब्ध करवाता हूं.
परंतु कुछ वर्षों से मेरा अस्तित्व खतरे में पड़ गया है प्रत्येक मनुष्य मेरे अंदर कचरा और फैक्ट्रियों का अपशिष्ट पदार्थ डाल रहे है शहरों की सारी गंदगी मेरे अंदर उडेल दी जाती है.
जिसके कारण मेरा जल दूषित हो जाता है और मेरे जल से दुर्गंध आने लग जाती है जिसके कारण कोई भी पशु पक्षी मेरा जल पीना पसंद नहीं करते है.
कचरे और मिट्टी के भराव के कारण धीरे धीरे में तालाब की जगह कचरे का ढेर बन जाता हूं जिसके कारण मेरे अंदर रहने वाली मछलियां मर जाती है आसपास की पेड़ पौधे सूख जाते है साथ ही आसपास की भूमि का सारा जल प्रदूषित हो जाता है.
अब मैं कुछ ही स्थानों पर दिखाई देता हूं मेरा अस्तित्व वर्तमान में विलुप्त होने की कगार पर है अगर जल्द ही मनुष्य कोई ठोस कदम नहीं उठाएंगे तो पृथ्वी पर से मेरा नामो निशान मिट जाएगा.
Talab ki Atmakatha Hindi Nibandh 800 words
मैं तालाब हूं आज मैं मेरी आत्मकथा सुनाने जा रहा हूं वर्षों पहले से ही मैं पृथ्वी पर विद्यमान हूं पृथ्वी का प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में मेरा बहुत बड़ा सहयोग है.
मैं प्राकृतिक रूप से जंगल गांव और बगीचों में पाया जाता हूं लेकिन अप्राकृतिक रूप से मुझे मनुष्य द्वारा भी बनाया जाता है. जहां पर झील, नदी नहीं पहुंच पाते वहां पर मेरा अस्तित्व होता है. गांव में मेरे अलग-अलग नाम रखे जाते है कई गांवों के नाम तो मेरे नाम से ही पहचाने जाते है.
मैं कभी वर्षा के जल से भर जाता हूं तो कभी नदी और झील के पानी से लबालब हो जाता हूं. मुझे कहीं पर तालाब तो कहीं पर पोखर, सरोवर और बावड़ी के नाम से जाना जाता है.
मेरा आकार छोटा, मध्यम और विशाल होता है. मैं प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर चलता हूं और पृथ्वी पर रहने वाले जीव-जंतु, पशु-पक्षियों, और इंसानों को जीवन जीने के लिए अमूल्य जल देता हूं.
कुछ जंगल एवं गांव में मैं पानी का एकमात्र स्त्रोत होता हूं. जंगल में में बड़े छोटे रूप में कई जगह पर पाया जाता हूं जहां पर जंगल के सभी प्राणी आकर अपनी प्यास बुझाते है मैंने मरते हुए प्राणियों को जीवन दिया है. मैं जंगल के पेड़-पौधों को पानी देकर उन्हें सूखने से बचाता हूं.
मेरे जल के अंदर छोटे जीव और रंग बिरंगी मछलियां अपना जीवन खुशी से व्यतीत करते हैं और मेरी सुंदरता में चार चांद लगा देते है. इनको हंसता खेलता देखकर मैं भी खुश हो जाता हूं.
गर्मियों के दिनों में सभी जीव जंतु एवं गांव के बच्चे गर्मी से राहत पाने के लिए मेरे जल से नहाने आते है वहां खूब हंसी मजाक और तैराकी करते है.
पुराने जमाने में जब मानव जनसंख्या कम थी तब मैं पूरे वर्ष भर पानी से लबालब भरा रहता था लेकिन अब 3 से 4 महीने तक ही पानी से भरा हुआ रहता हूं गर्मियों में तो मैं सुख के निर्जीव बन जाता हूं. जिस कारण मेरे ऊपर आश्रित पशु पक्षी पानी के लिए पूरे जंगल में इधर उधर मारे मारे फिरते रहते है.
जल नहीं मिलने के कारण कई पशु पक्षियों की मृत्यु भी हो जाती है जिससे मुझे बहुत दुख पहुंचता है. मैंने जीवन का हर रंग देखा है मैंने जीव जंतुओं का प्रेम, दोस्ती देखा है, उनकी लड़ाई देखी है, उनके रहन-सहन का तरीका देखा है.
मैंने पृथ्वी पर सभी ऋतुओं को देखा है गर्मियों में लू के थपेड़े सही है तो सर्दियों में मेरा पानी बर्फ बन जाता है.
मैंने बदलते हुए पर्यावरण को देखा है, मैंने राजा महाराजाओं के राज को देखा है समय के साथ साथ लोगों के जीवन को बदलते देखा है और उसी के साथ मेरा जीवन भी बदल रहा है. मेरे जीवन पर संकट के बादल छाए हुए है.
जैसे जैसे समय बदल रहा है मुझे मानव द्वारा भूलाया जा रहा है जहां पर मैं जिंदा हूं वहां पर मेरे ऊपर अत्याचार किया जा रहा है मेरे अंदर कल कारखानों और फैक्ट्रियों का दूषित कचरा और केमिकल्स डाले जा रहे है. बढ़ती हुई जनसंख्या ने अतिक्रमण करके मेरे आकार को छोटा कर दिया है.
भू-माफियाओं ने मिलकर मेरे ऊपर कब्जा बना लिया है और ऊंची ऊंची इमारतें बना दी है कहीं पर मेरी अमूल्य मिट्टी को खोदकर बेच दिया गया है तो कहीं पर मेरे जल का दुरुपयोग हो रहा है.
जल के दुरुपयोग के कारण मैं जल्दी ही सूख जाता हूं जिससे आसपास के प्राणी जल बिना प्यासे ही मर जाते है.
मानव ने मेरे दिल को इस तरह से खराब कर दिया है कि मेरे अंदर रहने वाली मछलियां और अन्य छोटे जीवो का जीवन संकट ग्रस्त हो गया है.
उनकी मृत्यु असमय में ही होने लगी है. जंगल के जीव जंतु अब मेरे जल को पीना पसंद नहीं करते है उन्हें मेरे पास आने से ही डर लगने लगा है. मनुष्य ने मेरे अंदर इतना कचरा फेंका है कि मैं अब तालाब की जगह कूड़े का ढेर नजर आने लगा हूं.
जिसके कारण चारों ओर दुर्गंध ही दुर्गंध फैल गई है साथ में मेरे आस-पास कई बीमारियां भी पनपने लगी है मेरे जल में डेंगू फैलाने वाले मच्छर बढ़ गए है. मेरी जल में केमिकल मिलने के कारण आसपास के पेड़ पौधे सूख गए है सुनहरी धरती माता भी काली पड़ गई है.
मैं तालाब अमृत के समान जल रखने वाला आज जहर उगलने वाला नाग बन गया हूं. मेरे रहने के कुछ स्थानों पर मिट्टी का भराव कर दिया गया है जिसके कारण वर्षा का जल मेरे अंदर नहीं समा पाता है और मेरा अस्तित्व खत्म सा हो गया है.
अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन सारे तालाब सूख जाएंगे और सारे पुरानी जल के बिना मृत्यु के शिकार हो जाएंगे. मेरे बिना सभी पेड़ पौधे सूख जाएंगे और पृथ्वी से हरियाली नष्ट हो जाएगी. पृथ्वी का जल स्तर गिर जाएगा जिससे सभी प्राणियों को दूषित जल पीने को मजबूर होना पड़ेगा.
यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि मैं तालाब जिन मनुष्यों को जीवन देता था आज वही मेरे जीवन के दुश्मन हो गए है.
मैं तालाब सभी मनुष्य से निवेदन करना चाहूंगा कि आप मेरे जीवन को बचाए जो तालाब नष्ट हो चुके हैं उन्हें पुन: बनाएं जिससे पृथ्वी का वातावरण भी अच्छा रहेगा और सभी को स्वच्छ और अच्छा जल मिलेगा.
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Achi hai atmakatha I like it
thank you
A very niiiiiice atmahatya
Thank you Gauraang Dalal for appreciation.