मेरा बचपन पर निबंध – Mera Bachpan Essay in Hindi

🔥 Join Telegram groupJoin Now

Mera Bachpan Essay in Hindi आज हम मेरा बचपन पर निबंध हिंदी में लिखने वाले हैं. यह निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है.

इस निबंध को हमने अलग-अलग शब्द सीमा में लिखा है जिससे अनुच्छेद और निबंध लिखने वाले विद्यार्थियों को कोई भी परेशानी नहीं हो और वह Mera Bachpan Essay in Hindi के बारे में अपनी परीक्षा में लिख सकेंगे.

Mera Bachpan Essay in Hindi 150 Words


बचपन जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण समय होता है. बचपन में इतनी चंचलता और मिठास भरी होती है कि हर कोई फिर से बचपन को जीना चाहता है. बचपन में वह धीरे-धीरे चलना, गिर पड़ना और फिर से उठकर दौड़ लगाना बहुत याद आता है.

बचपन में पिताजी के कंधे पर बैठकर मेला देखने का जो मजा होता था वह अब नहीं आता है. बचपन में मिट्टी में खेलना और मिट्टी से छोटे-छोटे खिलौने बनाना किसकी यादों में नहीं बसा है.

Mera Bachpan Essay in Hindi

Get Some Essay on My Childhood in Hindi

बचपन में जब कोई डांटता था तो मां के आंचल में जाकर छुप जाते थे. बचपन में मां की लोरियां सुनकर नींद आ जाती थी लेकिन अब वह सुकून भरी नींद नसीब नहीं होती है. बचपन के वो सुनहरे दिन जब हम खेलते रहते थे तो पता ही नहीं चलता कब दिन होता और कब रात हो जाती थी.

बचपन में किसी के बाग में जाकर फल और बैर तोड़ जाते थे तब वहां का माली पीछे भागता था वह दिन किसको याद नहीं आते. शायद इसीलिए बचपन जीवन का सबसे अनमोल पल है.

Mera Bachpan Essay in Hindi 300 Words


मेरा बचपन सपनों का घर था जहां मैं रोज दादा-दादी के कहानी सुनकर उन कहानियों में ऐसे खो जाता था मानो उन कहानियों का असली पात्र में ही हूं. बचपन के वह दोस्त जिनके साथ रोज सुबह-शाम खेलते, गांव की गलियों के चक्कर काटते और खेतों में जाकर पंछी उड़ाते.

मेरा बचपन गांव में ही बीता है इसलिए मुझे बचपन की और भी ज्यादा याद आती है बचपन में हम भैंस के ऊपर बैठकर खेत चले जाते थे तो बकरी के बच्चों के पीछे दौड़ लगाते थे. बचपन में सावन का महीना आने पर हम पेड़ पर झूला डाल कर झूला झूलते थे और ठंडी ठंडी हवा का आनंद लेते थे.

यह भी पढ़ें – मकर संक्रांति पर निबंध – Makar Sankranti Essay in Hindi

बचपन के वह दिन बहुत ही खुशियों से भरे हुए थे तब ना तो किसी की चिंता थी ना ही किसी से कोई मतलब बस अपने में ही खोए रहते थे. बचपन में बिना बुलाए किसी की भी शादी में शामिल हो जाते थे और खूब आनंद से खाना खाते और मौज उड़ाते थे.

बचपन में शोर मचा कर पूरे विद्यालय में हंगामा करते थे. हम बचपन में कबड्डी, खो-खो, गिल्ली डंडा, छुपन- छुपाई और तेज दौड़ लगाना खेलते थे. रोज किसी ना किसी को परेशान करके भागना बहुत अच्छा लगता था.

बचपन में हम सब सुबह शाम सिर्फ मस्ती ही करते थे. बचपन में पूरा घर हंसी ठिठोली से गूंजता रहता था. बचपन का हर दिन उत्सव होता था. बच्चों को देख कर बचपन की बहुत सी यादें अब भी ताजा हो जाती है. अभी तेज दौड़ लगाने का मन करता है और बारिश भी तालाब में जाकर छप-छप करना किसे अच्छा नहीं लगता.

ऐसा था मेरा बचपन कभी मां का दुलार मिलता तो कभी पिताजी की डांट पड़ती थी लेकिन फिर भी कुछ ही पलों में सब कुछ भुला कर फिर से शैतानियां करने लग जाते थे.

Mera Bachpan Essay in Hindi 1000 Words


मेरे बचपन के दिन बहुत ही अच्छे और सुहावने थे यह दिन किसी जन्नत से कम नहीं थे. इन दिनों में मैंने बहुत मस्तियां और शैतानियां की थी. बचपन के वो दिन भूलाए नहीं भूले जा सकते है. मेरा बचपन हमारे गांव में ही बीता है. मेरे पिताजी किसान है.

मैं बचपन में बहुत शरारती और चंचल था जिसके कारण मुझे कभी कभी डांट भी पड़ती थी तो उतना ही प्यार और दुलार भी मिलता था. मैं बचपन में माँ से छुपकर माखन खा जाता था माँ कुछ समय के लिए तो गुस्सा होती लेकिन मेरी चंचलता के कारण मुझे माफ भी कर देती थी.

मैं बचपन में सुबह उठते ही अपने दोस्तों के साथ खेलने निकल जाता था हम दोपहर तक खूब खेल खेलते थे इससे हमारे कपड़े मिट्टी के भर जाते थे और हम इतने गंदे हो जाते थे कि हमारी शक्ल पहचान में नहीं आती थी यह दिन बहुत ही अच्छे थे.

यह भी पढ़ें – विद्यार्थी जीवन पर निबंध – Essay on Student Life in Hindi

मैं बचपन में कबड्डी, गुल्ली डंडा, खो खो, पोस्म पा, दौड़-भाग, लंगड़ी टांग आदि प्रकार के खेल खेलता था. इन खेलों को खेलते समय कब सुबह से शाम हो जाती थी पता ही नहीं चलता था मां मुझे हमेशा डांटती थी कि तू भोजन तो समय पर कर लिया कर, लेकिन बचपन था ही ऐसा की खेल खेलते समय भूख लगती ही नहीं थी.

कभी-कभी मैं पिताजी के साथ खेत में भी जाया करता था जहां पर पिताजी मुझे फसलों के बारे में और वहां पर रहने वाले पशु पक्षियों के बारे में बताते थे. खेत में माहौल बिल्कुल शांत रहता था वहां पर सिर्फ पक्षियों के चहचहाने की आवाज आती थी.

जब बारिश का मौसम आता था तब मैं और मेरे दोस्त बारिश में भीगने चले जाते थे और गांव में जब बारिश के कारण छोटे छोटे तालाब पानी के घर जाते थे तो हम उनमें जोर-जोर से कूदते थे. यह करने में बहुत मजा आता था बारिश में भीगने के कारण कभी-कभी हमें सर्दी जुकाम भी हो जाती थी लेकिन बचपन में मन बड़ा चंचल था.

जिस कारण हम बार-बार बारिश में देखने चले जाते थे. हमारे परिवार में मेरे दादा-दादी जी मेरे माता-पिता और एक छोटी बहन है. मेरे दादाजी रोज शाम को हमें नई नई कहानियां सुनाते थे हम भी तारों की छांव में कहानियां सुनते रहते थे और कब नींद आ जाती थी पता ही नहीं चलता था. बचपन के वह पल मुझे बहुत याद आते है.

बचपन में मुझे खेलने के साथ साथ शिक्षाप्रद पुस्तकें और पत्रिकाएं पढ़ना बहुत पसंद था जो कि मुझे आज भी पसंद है. मैं बचपन में जितना चंचल था उतना ही पढ़ाई में होशियार भी था जिस कारण हमारे विद्यालय में मैं हर बार अव्वल नंबरों से पास होता था.

विद्यालय में मैं कई बार शैतानियां भी करता था जिसके कारण मुझे दंड दिया जाता था. जो कि मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था.

मुझे आज भी याद है जब पिताजी मुझे गांव के मेले में अपने कंधे पर बिठा कर ले जाते थे. उनके पास पैसों की कमी होती थी लेकिन वे मुझे मेले में खूब घुमाते और झूला झुलाते थे साथ ही जब मैं मेले में खिलौने लेने की जिद करता तो मुझे खिलौने भी दिलाते थे.

पिताजी कंधे पर बैठकर मेला देखना बहुत ही आनंददायक होता था वो दिन मैं आज भी याद करता हूं तो आंखों में आंसू आ जाते है. मेरे पिताजी बहुत सहनशील और ईमानदार व्यक्ति है और साथ ही वे मुझे बहुत प्यार करते है. मैं भी पिताजी से उतना ही प्रेम करता हूं.

बचपन में मैं और मेरी छोटी बहन बहुत झगड़ते थे हर एक छोटे से खिलौने को लेकर हमें लड़ाई हो जाती थी. लेकिन बचपन में हमें पता नहीं होता क्या सही है और क्या नहीं. बहन के साथ वह नोक-झोक भरी लड़ाइयां बहुत याद आती है.

यह भी पढ़ें – मेरा परिचय निबंध – Myself Essay in Hindi

बचपन होता इतना अच्छा है कि सभी को बड़े होने के बाद बचपन की बहुत याद आती है. हमारे गांव में जब सावन का महीना आता है तब हर घर में पेड़ों पर झूले डाल दिए जाते है. हमारे घर में भी एक नीम का पेड़ था जिस पर मेरे पिताजी हमारे जुड़ने के लिए झूला डालते देते थे.

झूला झूलना मुझे और मेरी छोटी बहन को बहुत पसंद था इसलिए हम सुबह उठते हैं जिले की सड़क पर नहीं दौड़ते थे हम दोनों में इस कारण बहुत नोक-झोंक भी होती थी लेकिन माँ आकर सब कुछ ठीक कर देती थी.

बचपन में मैं और मेरे दोस्त गर्मियों की छुट्टियों में बागों में बैर तोड़ने चले जाते थे खट्टे मीठे बेर हमें बहुत पसंद थे जिस कारण हम अपने आप को रोक नहीं पाते थे बागों के माली लकड़ी लेकर हमें मारने को दौड़ते लेकिन हम तेजी से दौड़ कर घर में छुप जाते थे.

हमारे घर के बाहर एक बड़ा चौक था जहां पर गांव के सभी बड़े बुजुर्ग शाम को बैठते थे और गांव और देश की चर्चा करते थे. हम भी वहां पर खेलते रहते थे कभी-कभी हमें बुजुर्गों से शिक्षाप्रद कहानियां सुनने को भी मिलती थी.

चौक में हर साल कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता था जिसमें एक छोटी मटकी को माखन से भरकर ऊपर लटका दिया जाता था फिर हम बच्चे और हमारे से बड़े लोग मिलकर छोटी मटकी को फोड़ते थे. यह उत्सव इतना अच्छा होता था कि हम पूरी रात गाना गाते और नाचते रहते थे कृष्ण जन्मोत्सव के दिन मुझे आज भी मेरा बचपन याद आ जाता है.

बचपन में हमारे घर में गाय, भैंस और बकरियां होती थी जिनकी छोटे बच्चों के साथ हम बहुत खेलते थे. हमारे घर में एक शेरू नाम का कुत्ता भी था जिसे हम बहुत प्यार करते थे वह भी हमारा को ख्याल रखता था 1 दिन की बात है हम खेलते-खेलते गांव से बाहर निकल गए थे और घर जाने का रास्ता भूल गए थे तब शेरू नहीं हमें रास्ता दिखाया और घर तक पहुंचाया था.

वह दिन मुझे आज भी बहुत याद आता है क्योंकि मैं रास्ता भूल जाने के कारण बहुत रोने लगा था.

मेरा बचपन बहुत ही अच्छा रहा है बचपन में मैंने खूब मस्तियां की है जिनकी मीठी यादें आज भी मेरे मस्तिक में बची हुई है आज शहर की इस गुमनाम जिंदगी में भी रस तब घुल आता है जब मैं छोटे बच्चों को खेलते हैं और शैतानियां करते देखता हूं.


यह भी पढ़ें –

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – Vidyarthi aur Anushasan Essay in Hindi

विद्यार्थी का परिचय – Self Introduction in Hindi for Student

गर्मी की छुट्टी पर निबंध – Summer Vacation Essay in Hindi

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Mera Bachpan Essay in Hindi पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

31 thoughts on “मेरा बचपन पर निबंध – Mera Bachpan Essay in Hindi”

  1. very nice essay 😎it helped me alot …thank u for sharing this essay wid every1…may god bless u for sharing ur knowledge n helping others😊😊

    Reply
  2. बेहद अच्छा आर्टिकल, आपका बहुत बहुत धन्यवाद ये लेख शेयर करने के लिए

    Reply

Leave a Comment