Sandhi Kise Kahate Hain : दोस्तों आज हमने संधि किसे कहते है लिखे है। संधि 5,6,7,8,9,10,11,12 कक्षा और कॉलेज में बच्चों को पढ़ायी जाती है। संधि से हम हिंदी के शब्दों की छोटी-छोटी बारीकियों को समझते हैं और इसे सीखते है।
अक्सर संधि के बारे में सरकारी एग्जाम में भी पूछा जाता है इसलिए सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को संधि के बारे में पता होना आवश्यक होता है।
संधि किसे कहते है – दो वर्णों के मेल से होने वाले परिवर्तन को संधि कहते है।
जैसे – विद्या + अर्थी = विद्यार्थी (आ + अ = आ ), शिक्षा + अर्थी = शिक्षार्थी (आ + अ = आ )
विषय-सूची
Sandhi Ke Prakar संधि के प्रकार या भेद
संधि तीन प्रकार की होती है –
- स्वर संधि।
- व्यंजन संधि।
- विसर्ग संधि।
स्वर संधि किसे कहते है
स्वर के बाद स्वर अर्थात दो स्वरों के मेल से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते है।
स्वर संधि के प्रकार या भेद – स्वर संधि पांच प्रकार की होती है।
- दीर्घ संधि।
- गुण संधि।
- वृद्धि संधि।
- यण संधि।
- अयादि संधि।
दीर्घ संधि किसे कहते है – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ और ऋ वर्णों के बीच होने वाली संधि दीर्घ संधि खिलाती है क्योंकि इनमें से वर्ण कोई भी हो दीर्घ संधि हो जाती है।
इसे वर्णो से बनने वाली संधि के उदाहरण से समझा जा सकता है –
उदाहरण
संधि | उदाहरण |
अ + अ = आ | धर्म + अर्थ = धर्मार्थ |
अ + आ = आ | हिम + आलय = हिमालय |
आ + अ = आ | विधा + अर्थी = विद्यार्थी |
इ + ई / ई + इ = ई | कवि + इच्छा = कविच्छा |
उ + ऊ / ऊ + उ = ऊ | भानू + उदय = भानूदय |
ऊ + ऊ = ऊ | लघु + उर्मि = लघुर्मि |
गुण संधि किसे कहते है – जब अ, आ के आगे अगर इ, ई को जोड़ा जाए तो “ए” वर्ण बनता है जब अ, आ वर्ण के आगे उ, ऊ वर्ण को जोड़ा जाए तो “ओ” वर्ण बनता है।
संधि | उदाहरण |
अ + इ = ए | नर+इंद्र = नरेंद्र |
आ + इ = ए | महा+इन्द्र = महेंद्र |
आ + इ / अ + ई = ओ | ज्ञान+उपदेश = ज्ञानोपदेश |
अ + ऊ / आ + उ = ओ | महा+उर्मि = महोर्मि |
अ + ऋ / आ + ऋ = अर | महा+ऋषि = महर्षि |
वृद्धि संधि किसे कहते है– अ, आ वर्ण का ए, ऐ, ओ से मेल होने पर ऐ, औ वर्ण बनता है इसे वृद्धि संधि करते है।
संधि | उदाहरण |
अ+ऐ / अ+ए = ऐ | एक+एक = एकेक |
आ + ए / आ + ओ = ऐ | सदा+एव = सदेव |
आ+ओ / अ+ओ = औ | महा+ओषधि = महोषधि |
अ+औ / आ+औ = औ | परम+औषध = पर्मोषध |
यण संधि किसे कहते है – जब इ , ई , उ , ऊ, ऋ और ल के आगे कोई स्वर आता है तो यह क्रमश: य, र, ल, व में बदल जाता है इसे यण संधि कहते है।
संधि | उदाहरण |
इ+अ / ई+अ = य | अति+अल्प = अत्यल्प |
उ+अ / ऊ + आ = व् | सु+आगत = स्वागत |
ऋ+आ = र | पितृ+आज्ञा = प्रतिज्ञा |
ल्र + आ = ल | ल्र +आकृति = लाकृति |
अयादि संधि किसे कहते है – जब ए, ऐ, ओ, औ के बाद कोई स्वर आता है तो ए का अय, ऐ का आय और औ का आव हो जाता है इसे अयादि संधि कहते है।
संधि | उदाहरण |
ए+अ = अय | ने + अयन = नयन |
ऐ+अ = आय | ने + अक = नायक |
ओ+अ = अव | पो + अन = पवन |
औ+अ = आव | पो + अक = आवक |
व्यंजन संधि किसे कहते है
व्यंजन का व्यंजन से अथवा किसी स्वर से मेल होने पर जो परिवर्तन होता है उसे व्यंजन संधि कहते है।
व्यंजन संधि के कुछ नियम इस प्रकार है –
(1) अगर “ क,च,ट,त,प ” के आगे कोई स्वर या किसी वर्ग का तीसरा या चौथा वर्ग अथवा “ य,र,ल,व “ आए तो “ क,च,ट,प “ के स्थान पर उसी वर्ग का तीसरा अक्षर हो जाता है।
“क” के स्थान पर ग, च के स्थान पर द और प के स्थान पर ब हो जाता है।
उदाहरण |
दिक्+गज = दिग्गज |
वाक्+ईश = वागीश |
अच्+अंत = अजंता |
षट्+अन्न = षडानन |
अप्+ज = अवध |
(2) यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण “ क,च,ट,त,प ” का मेल “न” या “म” वर्ण से होता है तो उसके स्थान पर उसी वर्ग का पांचवा वर्ण आ जाता है।
उदाहरण |
वाक्+मय = वाड्मय |
अच्+नाश = अन्नाश |
षट्+मास = षणमास |
उत्+नयन = उन्नयन |
अप+मय = अम्मय |
(3) “त” का ग,घ,द,य,ब,भ,य,र,व मेल या किसी स्वर से हो जाता है तो “द” हो जाता है।
उदाहरण |
सत्+भावना = सदभावना |
जगत् + ईश = जगदीश |
भगवत्+भक्ति = भगवदाक्ति |
तत् +रूप = तद्रूप |
सत्+धर्म = सद्धर्म |
(4) “त” व्यंजन के बाद च/छ हो तो च,ज,झ हो तो ज,ट,ठ,हो तो ट,ड,ढ होने पर ड और ल होने पर ल हो जाता है।
उदाहरण |
उत्+लास = उल्लास |
उत्+चारण = उच्चारण |
सत्+चरित्र = सच्चरित्र |
उत्+ज्वल = उज्ज्वल |
शरत्+चंद्र = शरच्चंद्र |
(5) “म” के बाद जिस वर्ग का व्यंजन आता है, अनुस्वार उसी के वर्ग का बन जाता है।
उदाहरण |
अहम्+कार = अहंकार |
सम्+भव = संभव |
किम्+तु = किंतु |
सम्+बंध = सम्बंध |
किम्+चित = किंचित |
(6) “म” के बाद य,र,ल,व,श,ष,स,ट में से कोई व्यंजन होने पर म का अनुस्वार हो जाता है।
उदाहरण |
सम्+योग = संयोग |
सम्+रक्षण = संरक्षण |
सम्+विधान = संविधान |
सम्+वाद = संवाद |
सम्+ शय = संशय |
(7) “स” व्यंजन से पहले अ, आ से भिन्न कोई स्वर आ जाता है तो स का परिवर्तन ष में हो जाता है।
उदाहरण |
अभि+सेक = अभिषेक |
नि+सिद्ध = निषिद्ध |
वि+सम = विषम |
विसर्ग संधि किसे कहते है
(:) के बाद स्वर या व्यंजन आने पर विसर्ग में जो विकार होता है उसे विसर्ग संधि कहते है।
पहला नियम – अगर विसर्ग के पहले अ स्वर और आगे अ अथवा कोई सयोष व्यंजन (कसी वर्ग का तीसरा चौथा पांचवा वर्ण) अथवा य,र,ल,व,ह में से कोई वर्ण हो तो अ और विसर्ग (:) के बदले ओ में परिवर्तित हो जाता है।
उदाहरण –
मन:+बल = मनोबल
मन:+अनुकूल = मनोनुकूल
अय:+गति = अयोगति
दूसरा नियम – विसर्ग : से पहले अ,आ से भिन्न स्वर आए और विसर्ग : के बाद किसी स्वर / किसी वर्ग का तीसरा, चौथा, पांचवा वर्ण या य,र,ल,व,ह में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग का र में परिवर्तन हो जाता है।
उदाहरण –
दु:+उपयोग = दुरुपयोग
नि:+आहार = निराहार
नि:+आशा = निराशा
तीसरा नियम – विसर्ग : से पहले कोई स्वर हो और बाद में च,छ या श हो तो विसर्ग : का श में परिवर्तन हो जाता है।
उदाहरण –
निः+छल = निश्छल
निः+तार =निस्तार
निः+चय=निश्रय
चौथा नियम – विसर्ग : के बाद यदि त या स हो तो विसर्ग स में परिवर्तित हो जाता है।
उदाहरण –
नम:+ते = नमस्ते
नि:+संतान = निरसंतान
दु:+साहस = दुस्साहस
पांचवा नियम – विसर्ग : से पहले और बाद में इ,उ और बाद में “क,ख,ट,ठ,प,फ” में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग : ष में परिवर्तित हो जाता है।
उदाहरण –
नि:+फल = निष्फल
नि:+कलंक = निष्कलंक
चतु:+पाद = चतुष्पाद
छटा नियम – विसर्ग : के बाद क,ख अथवा प,फ होने पर विसर्ग : में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
उदाहरण –
अंत:+करण = अंत:करण
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