Holi Jalne ka Time : दोस्तों इस पोस्ट में हमने होली का दहन करने के टाइम और दिन का पूरा विवरण दिया है। हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है।
इस साल होलिका दहन 17 मार्च 2022 को मनाई जाएगी और धुलंडी 18 मार्च 2022 को खेली जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और चारों और सुख समृद्धि फैलती है।
हमारे देश में होली का धार्मिक दृष्टि से भी बहुत अधिक ज्यादा महत्व है राजस्थान प्रांत में तो होली का त्यौहार आने से 1 महीने पहले ही तैयारियां होनी प्रारंभ हो जाती है।
विषय-सूची
होलिका दहन शुभ मुहूर्त (Holika Dahan 2022 Shubh Muhurat)
इस वर्ष होलिका दहन गुरुवार 17 मार्च 2022 को किया जाएगा। होलिका दहन की पूजा का शुभ मुहूर्त रात्रि 12 बजकर 57 मिनट के बाद शुभ मुहूर्त है। इस बार होली का पूजन के लिए केवल 1 घंटे का ही समय मिलेगा इसलिए होलिका पूजन की तैयारी पहले से ही रखनी होगी।
भद्रा प्रारंभ 17 मार्च को दोपहर 01 बजकर 02 मिनट से और समापन 17 मार्च को देर रात 12 बजकर 57 मिनट पर होगा। इसके बाद ही होलिका का दहन होगा क्योंकि भद्रा में होलिका दहन नहीं होता है.
Holika Dahan 2022 Time
पूर्णिमा प्रारंभ | 17 मार्च को दोपहर 1 बजकर 29 मिनट से शुरू |
पूर्णिमा समाप्त | 18 मार्च की दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक |
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त | 17 मार्च को रात 12 बजकर 57 मिनट के बाद शुभ मुहूर्त है |
होलिका दहन की अवधि | 1 घंटा 11 मिनट |
होली का शुभ योग –
इस वर्ष की होली बहुत खास होने वाली है क्योंकि कई सालों के बाद होली के इस शुभ त्योहार पर ऐसा योग बनने जा रहा है इस साल होली पर वृद्धि योग स्वार्थ सिद्धि योग अमृत योग और ध्रुव योग बनने जा रहा है।
इसके साथ ही बुध गुरु आदित्य योग भी भंडार है इस योग में होली की पूजा करने से घर में सुख शांति का वास होता है और हमेशा घर में खुशहाली बनी रहती है।
होली के दिन भद्रा का समय –
इस वर्ष होली 17 मार्च को मनाई जाएगी इसीलिए आज के दिन दोपहर 1:19 से रात 1:08 तक भद्रा रहेगी।
होली की पूजा विधि –
भारतीय परंपरा के अनुसार होलिका दहन से पहले होली की पूजा की जाती है जिसका बहुत अधिक विशेष महत्व होता है होली की पूजा करने से पहले इस दिन सभी कामों को कर लेने के बाद स्नान करना चाहिए।
इसके बाद होलिका पूजन वाले स्थान में पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके बैठना चाहिए फिर पूजन में गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की मूर्ति बनाएं।
इसके बाद रोली, अक्षत, फूल, कच्चा सूत, हल्दी, मूंग, मीठे बताशे, गुलाल, रंग, सात प्रकार के अनाज, गेंहू की बालियां, होली पर बनने वाले पकवान, कच्चा सूत, एक लोटा जल मिष्ठान आदि के साथ होलिका का पूजा करें।
होली की पूजा के बाद हाथ में जल का लोटा लेकर धीरे-धीरे पानी गिराते हुए होली के चारों तरफ परिक्रमा करनी चाहिए।
होली में जो या गेहूं की बाली, मूंग, चावल, गन्ना इत्यादि डालने चाहिए यह बहुत शुभ रहता है।
होली की धार्मिक मान्यताएं –
होली की धार्मिक मान्यता के अनुसार होलिका दहन के दिन स्नान दान कर उपवास रखने से मनुष्य के दुखों का नाश होता है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है।
होली दहन होने के पश्चात उसकी भस्म को अपने घर लेकर आना चाहिए यह घर के लिए शुभ मानी जाती है।
राजस्थानी परंपरा के अनुसार होलिका दहन का पौराणिक महत्व –
राजस्थान में एक पौराणिक मान्यता है जिसके अनुसार होली जब जलाई जाती है तब उसकी अग्नि जिस दिशा की ओर मुड़ती है उस दिशा में जमाना बहुत अच्छा होता है इसका मतलब यह है कि उस दिशा में इस बार फसल बरसात इत्यादि बहुत अच्छी होने वाली है।
इसलिए होलिका दहन से लोगों को पहले ही पता लग जाता है कि इस बार किस और अच्छी सुख समृद्धि आने वाली है।
FAQ
17 मार्च 2022 को होली मनाई जाएगी
होलिका दहन गुरुवार 17 मार्च 2022 को किया जाएगा होलिका दहन की पूजा का शुभ मुहूर्त 9:20 से 10:31 तक रहेगा
धुलंडी 18 मार्च 2022 को खेली जाएगी
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होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi
10+ होली पर कविता – Hindi Poem on Holi
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