वन हमारे जीवन के लिए बहुत आवश्यक है और आज हमने वन महोत्सव पर हिंदी में निबंध लिखा है. Van Mahotsav in hindi पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. इस निबंध के माध्यम से हमने बताया है कि वनों की हमें कितनी जरूरत है और वन महोत्सव क्यों मनाया जाता है. वन महोत्सव 2018 में 1 जुलाई से 7 जुलाई तक मनाया जाएगा.
पृथ्वी का बदलता वातावरण बहुत ही गंभीर विषय है इसका मुख्य कारण अंधाधुन पेड़ों की कटाई और सिकुड़ते वन क्षेत्र के कारण पृथ्वी का वातावरण गर्म हो रहा है.
विषय-सूची
Essay on Van Mahotsav in Hindi
पेड़ों की कटाई के कारण आपने देखा होगा कि तापमान घटता बढ़ता है, बाढ़, आंधी तूफान सूखा और भूमि क्षरण जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हो चुकी है. अगर जल्द ही हम इस विषय पर कुछ नहीं करते हैं तो अपने ही हाथों अपने घर (पृथ्वी) को नष्ट कर देंगे.मानव विकास करने की राह में इतना लालची हो गया है कि उसको जीवन देने वाले वनों और पेड़ पौधों की वह अंधाधुंध कटाई करने में लगा हुआ है
और अपना जीवन भोग-विलास में बिता रहा है. यह बहुत ही चिंता का विषय है कि कोई कैसे अपने जीवन देने वाले जीवनदाता को ही मार काट रहा है. मानव प्रकृति की रक्षा नहीं कर रहा है इसलिए कभी-कभी प्रकृति भी अपना विकराल रूप दिखाती है और उसमें हजारों लोगों की मृत्यु हो जाती है. यह प्रकृति का मानव को चेतावनी है कि अगर वह जल्द ही नहीं चेता तो पृथ्वी का नष्ट होना तय है.
Van Mahotsav Essay Hindi me School or College ke Student ke Liye.
Van Mahotsav in Hindi – वन महोत्सव
पर्यावरण के प्रति पुरातन काल में भी लोग बहुत सचेत थे जैसे कि गुप्तवंश, मौर्यवंश, मुगलवंश वनों को सुरक्षित रखने के लिए बहुत ही सराहनीय प्रयास किए गए थे. लेकिन जैसे-जैसे हमारा देश तरक्की करता जा रहा है अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वह निरंतर वनों की कटाई करता जा रहा है. इस बात को सन 1947 में ही भाप लिया गया था कि अगर वनों को नहीं बचाया गया तो मानव सभ्यता का जीवन संकट में पड़ सकता है.
सन् 1947 में स्व. जवाहरलाल नेहरू, स्व. डॉ. राजेंद्र प्रसाद और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद के के संयुक्त प्रयास से जुलाई के प्रथम सप्ताह में वन महोत्सव मनाया जाता है. यह वन महोत्सव इसलिए मनाया जाता है जिससे लोगों में पेड़ लगाने के प्रति चेतना उत्पन्न हो और अधिक से अधिक वे पेड़ लगाएं.
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इस महोत्सव के दौरान सरकार द्वारा भी लाखों पेड़ लगाए जाते हैं और साथ ही कई ऐसी संस्थाएं भी होती हैं जो कि जगह जगह पर पौधारोपण करती है. वन महोत्सव का प्रमुख उद्देश्य यही है कि लोग पेड़ों का महत्व समय रहते ही समझ जाएं और अधिक से अधिक संख्या में वृक्षारोपण करें.
लेकिन 1947 में Van Mahotsav का आयोजन सिर्फ अनौपचारिक रूप से ही किया गया था जिसके कारण यह है बड़ा रूप नहीं ले पाया लेकिन सन 1950 में तत्कालीन कृषि मंत्री कन्हैया लाल माणिकलाल मुंशी ने इस महोत्सव को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया. यह निर्णय मील का पत्थर साबित हुआ क्योंकि अगर यह निर्णय नहीं लिया जाता तो शायद आज भारत में 20% की जगह 10% ही वन पाए जाते.
वन महोत्सव क्या है – Van Mahotsav Kya hai
भारत में निरंतर वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण हमारे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था. और जितने पेड़ों की कटाई की जा रही थी उसमें से आधे भी नहीं लगाई जा रहे थे. जिसके कारण वनों को बचाने के लिए सरकार द्वारा जुलाई माह में वन महोत्सव का आयोजन किया गया इसको Van Mahotsav नाम इसलिए दिया गया
ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग पेड़ लगाएं और एक दूसरे को इस बारे में सचेत करें कि पेड़ लगाना हमारे जीवन के लिए कितना आवश्यक हैं.
वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य ही यह है कि सभी जगह पेड़ पौधे लगाए जाएं और वनों के सिकुड़ते क्षेत्र को बचाया जाए. वन महोत्सव सप्ताह में हमारे पूरे देश में लाखों पेड़ लगाए जाते हैं लेकिन दुर्भाग्यवश इनमें से कुछ प्रतिशत ही पेड़ बच पाते हैं क्योंकि इनकी देखभाल नहीं की जाती है जिसके कारण यह या तो जीव जंतुओं द्वारा खाली जाते हैं या फिर जल नहीं मिलने के कारण नष्ट हो जाते हैं.
हमारे देश में वनों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन और अप्पिको आंदोलन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इन आंदोलनों के कारण ही वन क्षेत्रों की कटाई में थोड़ी कमी आई है.
वन महोत्सव की आवश्यकता क्यों पड़ी – Van Mahotsav ki Avashyakta Kyo Padi
पेड़ों की कटाई के कारण पृथ्वी का वातावरण दूषित होने के साथ-साथ बदल रहा है जिसके फलस्वरुप आपने देखा होगा कि हिमालय तेजी से निकल रहा है पृथ्वी का तापमान फिर से बढ़ने लगा है असमय वर्षा होती है कहीं पर बाढ़ आ जाती है और कहीं पर आंधी तूफान आ रहे हैं जो कि प्रकृति की साफ चेतावनी है कि अगर हम अभी भी सचेत नहीं हुए तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी का विनाश हो जाएगा.
वर्तमान में गर्मियों का समय बढ़ गया है और सर्दियों का समय बहुत कम नाम मात्र का ही रह गया है. गर्मियों में तो राजस्थान में पारा 50 डिग्री तक पहुंच जाता है. इसका मतलब अगर इतनी तेज धूप में कोई व्यक्ति अगर आधे घंटे भी खड़ा हो जाए तो उसको हैजा जैसी बीमारी हो सकती है या फिर उसकी मृत्यु भी हो सकती है.
भारत में जितनी तेजी से औद्योगिकरण हुआ है उतनी ही तेजी से वनों की कटाई भी हुई है, लेकिन हम लोगों ने जितनी तेजी से वनों की कटाई की थी पुनः वृक्षारोपण नहीं किया. वन नीति 1988 के अनुसार धरती के कुल क्षेत्रफल के 33% हिस्से पर वन होने चाहिए तभी प्रकृति का संतुलन कायम रह सकेगा. लेकिन वर्ष 2001 की रिपोर्ट में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए जिसके अनुसार भारत में केवल 20% प्रतिशत ही वन बचे रह गए है.
2017 की वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्षों की तुलना में 2017 में वनों में 1% की वृद्धि हुई है. लेकिन यह वृद्धि दर काफी नहीं है क्योंकि जनसंख्या लगातार बढ़ रही है और साथ ही प्रदूषण भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है इस प्रदूषण को अवशोषित करने के लिए हमारे वन अब भी काफी कम है.
हमारे भारत देश में कुछ राज्यों में तो बहुत ज्यादा वन है जैसे कि लक्ष्यदीप, मिजोरम, अंडमान निकोबार द्वीप समूह मैं लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा वनों से ढका हुआ है. लेकिन हमारे देश में कुछ ऐसे राज्य भी हैं जो कि धीरे-धीरे रेगिस्तान बनते जा रहे हैं जैसे कि गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि ऐसे राज्य हैं.
इन राज्यों में वन क्षेत्र को बढ़ाने की बहुत सख्त जरूरत है नहीं तो आने वाले दिनों में यहां पर भयंकर अकाल की स्थिति देखने को मिल सकती हैं.
वनों की कटाई के कारण – Vano ki Katai ke Karan
- हमारी देश की बढ़ती हुई जनसंख्या वनों की कटाई का मुख्य कारण है क्योंकि जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती जा रही है उस जनसंख्या को जगह और खाने पीने की वस्तुओं की जरूरत भी बढ़ गई है इसलिए वनों की कटाई करके इस सब की पूर्ति की जा रही है.
- आजकल आपने देखा होगा कि आपके घरों में ज्यादातर गेट और खिड़कियां और अन्य घरेलू सामान लकड़ी से बनता है और जनसंख्या वृद्धि के साथ लकड़ी की मांग में वृद्धि हुई है इस वृद्धि को पूरा करने के लिए वनों की कटाई की जा रही है.
- वनों से हमें कई प्रकार की जड़ी बूटियां प्राप्त होती है इन जड़ी बूटियों को हासिल करने के लिए मानव द्वारा वनों को नष्ट किया जा रहा है.
- भारत में आजकल कई ऐसे अवैध उद्योग धंधे जिनमें लकड़ी का उपयोग ज्यादा मात्रा में किया जाता है उसकी पूर्ति के लिए पेड़ों की कटाई की जाती है.
- वनों की कटाई का एक अन्य कारण यह भी है कि आजकल लकड़ी के कई अवैध धंधे भी चल रहे हैं वे लोग बिना सरकार की मंजूरी के वनों से पेड़ों की कटाई करते हैं और अधिक मूल्य में लोगों को बेच देते हैं.
- मानव अपनी भोग विलास की वस्तु की इच्छा को पूरा करने के लिए बेवजह पेड़ों की कटाई करता है.
वनों के लाभ – Benefits of forests
- वनों के कारण हमारी पृथ्वी के वातावरण में समानता बनी रहती है.
- वनों के कारण मिट्टी का कटाव नहीं होता है.
- पेड़ पौधों से हमें ऑक्सीजन मिलती है जो कि प्रत्येक जीवित प्राणी के लिए बहुत आवश्यक है.
- पेड़ पौधे कार्बनडाई जैसी जहरीली गैसों को अवशोषित कर लेते है.
- वनों से हमें कीमती चंदन जैसी लकड़ियां प्राप्त होती है.
- वनों से हमें बीमारियों को दूर भगाने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां मिलती है.
- पेड़ पौधों के कारण वर्षा अच्छी होती हैं जिससे हर तरफ हरियाली ही हरियाली रहती है.
- वनों के कारण आपातकालीन आपदा, सूखे की स्थिति, आंधी, तूफान और बाढ़ कम आती है.
- वन अन्य जीव जंतुओं के रहने का घर है
वनों की कटाई के दुष्प्रभाव – Vano ki Katai ke Dusparbhav
वनों की कटाई के कारण केवल मान्यवर जाति पर ही प्रभाव नहीं पड़ा है इसका प्रभाव संपूर्ण पृथ्वी पर पड़ा है. जिसके कारण आज ग्लोबल वॉर्मिंग की स्थिति पैदा हो गई है. आइए जानते हैं कि वनों की कटाई के कारण क्या क्या दुष्प्रभाव पड़ते है.
पृथ्वी के तापमान में वृद्धि –
वन क्षेत्र जैसे जैसे सीमित होता जा रहा है वैसे-वैसे पृथ्वी का तापमान में भी वृद्धि हो रही है आपने देखा होगा कि सर्दियों की ऋतु का मौसम में कुछ समय के लिए ही आता है और ज्यादातर समय गर्मियां ही रहती है. पिछले 10 सालों में पृथ्वी के तापमान में 0.3 से 0.6 डिग्री सेल्शियस की बढ़ोतरी हुई है. और हर साल इस में बढ़ोतरी ही हो रही है.
प्रदूषण का बढ़ना –
पेड़ पौधे उद्योग-धंधों एवं अन्य पदार्थों से निकलने वाली जहरीली गैसों को अवशोषित कर लेते है. अगर इनकी कटाई कर दी जाएगी तो यह जहरीली गैसें वातावरण में ज्यों की त्यों ही रहेंगी जिनके कारण हैं अनेक भयंकर बीमारियां जन्म लेंगी और अगर इसी प्रकार वनों की कटाई चलती रही तो मानव को सांस लेने में भी दिक्कत होगी क्योंकि पेड़ों द्वारा ही ऑक्सीजन का निर्माण किया जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड को शोख लिया दिया जाता है.
अकाल –
वनों की कटाई के कारण अकाल की स्थिति भी उत्पन्न हो रही है. क्योंकि पेड़ों से ही अधिक वर्षा होती है. अगर पृथ्वी पर पेड़ ही नहीं रहेंगे तो वर्षा भी नहीं होगी. जिसके कारण अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. भारत के कई ऐसे राज्य हैं जिनमें वन क्षेत्र कम पाए जाते हैं जैसे कि गुजरात और राजस्थान तो यहां पर अक्सर अकाल की स्थिति बनी रहती है. इन राज्यों में वन क्षेत्र कम होने के कारण जल की कमी भी पाई जाती है.
बाढ़ –
पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण कई जगह अधिक वर्षा भी हो जाती है और वन क्षेत्र कम होने के कारण पानी का बहाव कम नहीं हो पाता है और जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
वन्य जीव जंतुओं का विलुप्त होना –
बढ़ती हुई आबादी के कारण वन क्षेत्र सीमित हो गए हैं जिसके कारण वनों में रहने वाले वन्यजीवों को रहने के लिए बहुत कम जगह मिल रही है और साथ ही कई ऐसे पेड़ों की कटाई कर दी गई है जो कि कई वन्य जीव के जीने के लिए बहुत जरूरी थे. वनों की कटाई के कारण कई जीव जंतुओं की प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं और अगर ऐसे ही वनों की कटाई होती रही तो जल्द ही सभी वन्यजीवों की प्रजातियां विलुप्त हो जाएगी.
ग्लोबल वॉर्मिंग –
पृथ्वी के जलवायु में हो रहे परिवर्तन ग्लोबल वॉर्मिंग के अंतर्गत ही आते है. वर्तमान में आपने समाचार पत्र पत्रिकाओं में पढ़ा होगा कि गर्मियों के समय बर्फ गिर रही है, रेगिस्तान क्षेत्र में बाढ़ आ रही है, हिमालय पिघल रहा है और साथ ही पृथ्वी का तापमान भी बढ़ रहा है यह सभी कारण ग्लोबल वॉर्मिंग के अंतर्गत आते है.
वन क्षेत्र बचाने के उपाय – Van Sanrakshan ke Upay
- वन क्षेत्र को बचाने के लिए हमें लोगों में अधिक से अधिक है जागरूकता फैलाने होगी.
- जनसंख्या वृद्धि दर को कम करना होगा.
- हमें वन महोत्सव जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देना होगा जिससे कि अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाए जा सके.
- वनों को बचाने का काम सिर्फ सरकार का ही नहीं है यह काम हमारा भी है क्योंकि जब तक हम स्वंय पेड़ नहीं लगाएंगे तब तक वन क्षेत्र नहीं बढ़ सकते है.
- हमें अवैध वनों की कटाई करने वाले लोगों के लिए सख्त कानून का निर्माण करना होगा.
- सभी लोगों को पेड़ पौधों के लाभ बताने होंगे जिससे कि वह अधिक से अधिक पेड़ लगाएं.
- हमें लकड़ियों से बनी वस्तुओं का उपयोग कम करना होगा.
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nice essay …thanks
Thank you nirtin
बहुत अच्छा निबंध है आपका । इसे ही निबंध लाते रहिए। धन्यवाद
शिवांग जी सराहना के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद, हम ऐसे ही निबंध लिखते रहेंगे|
Gud essay
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Eassy acha hai Bhai
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Shriya kumari ji sarhana ke liye aap ka bahut bahut dhanyawad. aap aise hi hindi yatra par aate rahe.
It is a good essay
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Vvvvvvvvvvvvv. Vvvvvvvvvvvvv helpfully essay thnx
Bhut acha tha essay
Thank you Shivani, website par aakar hamara Manobal aise hi badhate rahe.
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Dhanyawad KASHISH, Aap ko hamare duvara likha gya essay aacha laga hame bhut khushi hui, aap ke duvara bataye gye sujhavo par dhyan diya jaye ga Dhanyawad.
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