8+ छठ पूजा पर निबंध – Essay on Chhath Puja in Hindi

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Essay on Chhath Puja in Hindi : आज हमने छठ पूजा पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12 के विद्यार्थियों के लिए है।

छठ पूजा धार्मिक और सामाजिक आस्था का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है यह मुख्य तौर पर बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है लेकिन अब इसके कीर्ति पूरे भारत और अन्य देशों में भी फैल गई है।

अक्सर विद्यार्थियों को स्कूलों में छठ पूजा पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता है उन्हीं की सहायता करने के लिए हमने अलग-अलग छोटे-बड़े निबंध लिखे है।

Essay on Chhath Puja in Hindi

Get Some Essay on Chhath Puja in Hindi for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12 Students.

10 line Essay on Chhath Puja in Hindi


(1) छठ पूजा का त्यौहार कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है।

(2) यह त्यौहार चार दिनों तक चलता है जिसमें विभिन्न प्रकार के व्रत और पूजा पाठ किए जाते है।

(3) इस त्यौहार के अंतर्गत विवाहित महिलाएं छठी मैया का व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी आयु और संतान प्राप्ति की मनोकामना मांगती है।

(4) छठ पूजा का यह उत्सव बिहार, उत्तर प्रदेश के साथ-साथ नेपाल, मॉरिशस, असम में भी मनाया जाता है।

(5) इस पर्व के पहले दिन घर की साफ सफाई की जाती है और भोजन में लौकी की सब्जी, चने की दाल और रोटी बनाई जाती है।

(6) पर्व के दूसरे दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती है और इस दिन भोजन में चावल, सब्जी इत्यादि बनाई जाती है।

(7) छठ पर्व के तीसरे दिन महिलाएं पूरे दिन भर निर्जला व्रत रहती है।

(8) संध्या के समय वह पूजा की तैयारी करते हैं जिसमें एक बांस की डलिया में अपनी श्रद्धा अनुसार फल और सब्जियां डालकर पति या पुत्र के साथ नदी के किनारे जाती है।

(9) वहां पर पंडित जी द्वारा विशेष पूजा करवाई जाती है जिसके पश्चात महिलाएं डूबते हुए सूरज को अर्ध्य देती है।

(10) छठ पर्व के अंतिम दिन के दिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से उगते हुए सूरज को अर्ध्य देती है और व्रत का पारण करती है।

Chhath Puja Par Nibandh 500 words


भूमिका –

भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्यौहारों में से एक छठ पूजा है जो कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठी को मनाया जाता है। सूर्य भगवान की बहन को छठी मैया के रूप में पूजा जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार अगर कोई पूरे विधि विधान से छठी मैया की पूजा करता है तो उसकी मनोकामना पूर्ण होती है इसीलिए सभी लोग माता की पूरी श्रद्धा पूर्वक पूजा करते है और पूरे हर्षोल्लास से इस त्योहार को मनाते है।

छठ पूजा मनाने का कारण –

पौराणिक कथा के अनुसार एक राजा के कई वर्षों तक संतान नहीं हुई तो राजा ने महर्षि ऋषि को अपनी पीड़ा बताई ऋषि ने यज्ञ करने को कहा यज्ञ करने के फलस्वरुप राजा को संतान तो प्राप्त हुई लेकिन वह बच्चा मृत पैदा हुआ।

जिसके बाद राजा अपना आपा खो बैठा और अपनी जान देने को उतारू हो गया उसी वक्त छठी मैया ने राजा को दर्शन दिए और कहा कि अगर आप लोग मेरा व्रत पूर्ण विधि-विधान से करते है तो आपको अवश्य संतान प्राप्ति होगी।

छठी मैया के व्रत करने की फलस्वरुप राजा को संतान की प्राप्ति हुई जिसके बाद से ही सभी लोग अपने पति की लंबी आयु और संतान प्राप्ति के लिए छठी मैया का व्रत रखते है।

छठ पूजा का उत्सव –

छठ पूजा का उत्सव चार दिनों तक चलता है जिसमें विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक और भक्तिमय गतिविधियां देखने को मिलती है।

छठ पूजा का त्यौहार दीपावली के कुछ दिनों पश्चात ही मनाया जाता है लेकिन लोग इस त्यौहार में घुलमिल कर और पूरे हर्षोल्लास से मनाते है कि मानो दोबारा से दीपावली का त्योहार आ गया हो।

छठ पूजा का त्यौहार मुख्य रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इस त्यौहार की तैयारी लोग कई दिनों पहले से ही करने लग जाते है।

त्यौहार के पहले दिन पूरे घर की साफ सफाई की जाती है और विवाहित महिलाएं छठ पूजा का व्रत रखती है। इस दिन भोजन में चने की दाल, लौकी की सब्जी और रोटी बनाई जाती है। इन चार दिनों में सबसे पहले व्रत रखने वाली महिला ही भोजन करती हैं इसके पश्चात परिवार के अन्य सदस्य भोजन करते है।

दूसरे दिन व्रत करने वाली महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती है और संध्या के समय नदी के किनारे जाता है सूर्य को अर्ध्य देती है। इस दिन को “खरना” भी कहा जाता है।

तीसरा दिन सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है क्योंकि यह कार्तिक शुक्ल षष्ठी का दिन होता है। एक दिन व्रती महिलाएं निर्जला व्रत रखती है

और संध्या की समय अपनी श्रद्धा के अनुसार एक बांस की डलिया में सात, ग्यारह, इक्कीस व इक्यावन प्रकार के फल सब्जियां और अन्य प्रसाद की सामग्री लेकर पति या पुत्र के साथ छठी मैया के गीत गाते हुए नदी की तरफ जाती है।

वहां पर पंडित द्वारा पूजा की जाती है और महिलाएं डूबते हुए सूरज को कच्चे दूध का अर्ध्य देती है। चौथे दिन उगते हुए सूरज को अर्ध्य देने के पश्चात व्रती महिलाएं शरबत पीकर और प्रसाद खाकर अपने व्रत का पारण करती है।

निष्कर्ष –

भारत में मनाए जाने वाले सभी त्यौहार लोगों को आपस में जोड़ने का काम करते है। इन त्यौहारों में हमारी विशाल संस्कृति और विभिन्न प्रकार की मान्यताएं देखने को मिलती है।

जो कि लोग बड़े ही श्रद्धा और भक्ति में भाव से पूर्ण करते है। त्यौहार हमारी संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है इन्हें हमें उत्साह पूर्वक मनाना चाहिए।

Long Essay on Chhath Puja in Hindi


प्रस्तावना –

भारत त्यौहारों का देश है यहां पर सभी धर्मों के विभिन्न प्रकार के त्यौहार और उत्सव मनाए जाते हैं उन्हीं में से एक छठ पूजा है जो कि हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है।

यह त्यौहार प्रतिवर्ष हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठी को मनाया जाता है। यह प्रमुख रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य में मनाया जाता है।

छठ पूजा का त्यौहार दीपावली के बाद आने वाले प्रमुख त्यौहारों में से एक है इसका आयोजन चार दिनों तक किया जाता है वर्तमान में तो भारत के अन्य हिस्सों में भी इस त्यौहार का आयोजन बड़े ही धूमधाम और उत्साह पूर्वक किया जाता है।

छठ पूजा का इतिहास –

पुरानी कथाओं के अनुसार छठ पूजा का इतिहास बहुत पुराना और रोचक है इस त्योहार को मनाने के पीछे बहुत सी कथाएं विद्यमान है।

प्रथम कथा के अनुसार पुरातन काल में बहुत ही दयालु और कर्तव्यनिष्ठ राजा प्रियवंद और रानी मालिनी के काफी वर्षों तक संतान सुख प्राप्त में होने के कारण वे बहुत दुखी थे। वे संतान प्राप्ति के लिए महर्षि कश्यप के पास गए उन्होंने राजा रानी को यज्ञ करने का निर्देश दिया।

महर्षि कश्यप की आज्ञा के अनुसार यज्ञ किया जिसके फलस्वरूप उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन उसकी मृत्यु तुरंत हो गई जिसके कारण राजा और रानी बहुत अधिक विचलित हो गए और अपने प्राण छोड़ने को आतुर हो गए।

यह देखकर ब्रह्मा की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुई, वह सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई थी जिस कारण उन्हें षष्ठी भी कहा जाता है।

देवी ने राजा को कहा कि अगर वे सही विधान पूर्वक उनकी पूजा करते हैं तो उन्हें संतान की प्राप्ति अवश्य होगी। राजा रानी ने विधि पूर्वक देवी का व्रत किया और व्रत के फल स्वरुप होने संतान की प्राप्ति हुई।

इसी प्रकार भगवान श्रीराम ने रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए राज सूर्य यज्ञ किया था यज्ञ में मुग्दल ऋषि को भी आमंत्रित किया गया था।

उन्होंने माता सीता को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया था। माता सीता ने विधिपूर्वक व्रत रखकर सूर्य देव की पूजा की और उन्हें अच्छा फल प्राप्त हुआ।

एक अन्य प्रचलित कथा के अनुसार जब पांडव अपना पूरा राज पाठ हार गए थे तब माता द्रौपदी ने छठ व्रत किया था जिसके फलस्वरूप पांडवों को उनका राजपाठ वापस मिल गया।

इसलिए लोग संतान, सुख और वैभव के लिए छठ पूजा का त्यौहार मनाते है।

छठ पूजा का आयोजन –

छठ पूजा के त्यौहार का आयोजन चार दिन तक किया जाता है इन दिनों में अलग-अलग विधियों द्वारा इस त्यौहार को धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

प्रथम दिवस – छठ पूजा के पहले दिन घर की साफ सफाई करके पवित्र किया जाता है इसके बाद छठव्रती स्नान करती है शुद्ध शाकाहारी भोजन बनाती है पहले दिन भोजन में चने की दाल, लौकी की सब्जी और रोटी का सेवन किया जाता है।

सर्वप्रथम भोजन व्रत करने वाली महिला द्वारा किया जाता है उसके बाद परिवार के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण करते है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी होती है और छठ पूजा के पहले दिन को “नहाय खाय”के नाम से भी जाना जाता है।

द्वितीय दिवस – छठ पूजा का दूसरा दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी का होता है इस दिन व्रती महिलाएं पूरे दिन उपवास करती है और शाम को डूबते सूर्य को अर्ध्य देती है इसके बाद छठव्रती भोजन ग्रहण करती है।

इस दिन गुड़ की खीर बनाई जाती है चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। त्यौहार को और आनंदमय बनाने के लिए आसपास के पड़ोसियों को भोजन पर आमंत्रित किया जाता है। छठ पूजा के दूसरे दिन को कुछ जगहों पर “लोहंडा” और कुछ पर “खरना” कहा जाता है।

तृतीय दिवस – तीसरा दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी का होता है यह सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है,

और शाम को अपने सामर्थ्य के अनुसार सात, ग्यारह, इक्कीस व इक्यावन प्रकार के फल-सब्जियों और अन्य पकवानों को बांस की डलिया में लेकर व्रती महिला के पति या फिर पुत्र नदी या तालाब के किनारे जाते है।

नदी और तालाब की तरफ जाते समय महिलाएं समूह में छठी माता के गीतों का गान करती है। नदी के किनारे पहुंचकर पंडित जी से महिलाएं पूजा करवाती है और कच्चे दूध का अर्ध्य डूबते हुए सूरज को अर्पण करती है।

इसके पश्चात नदी और तालाब के किनारे लगे हुए मेले का सभी आनंद उठाते है यह देखने में बहुत ही सुंदर और रोचक लगता है ऐसा लगता है कि मानो दीपावली का त्यौहार वापस लौट आया हो।

प्रसाद के रूप में इस दिन “ठेकुआ” जिसे कुछ क्षेत्रों में “टिकरी” भी कहते है और चावल के लड्डू, रोटी बनाई जाती है।

चतुर्थ दिवस – चौथे दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाती है और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती है और छठी मैया की पूजा करती है।

इसके पश्चात वर्ती महिलाएं कच्चे दूध का शरबत और प्रसाद खाकर अपना व्रत पूरा करती है जिसे जिसे “पारण” या “परना” कहा जाता है।

छठ पूजा महत्व –

छठ पूजा का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है, यह व्रत पति की लंबी आयु, संतान की प्राप्ति और घर में सुख शांति के लिए किया जाता है जिससे इस त्योहार का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

यह त्यौहार चार दिनों तक चलता है इसलिए सभी आस-पड़ोस के लोग और अन्य अतिथि भी घर पर आते है एक दूसरे से मेलजोल बढ़ाते हैं जिससे समाज में सद्भावना और भाईचारे की भावना उत्पन्न होती है।

यह त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाया जाता है जिसके कारण चारों ओर खुशियां ही खुशियां दिखाई देते है।

इससे भारत की अनुपम और भव्य संस्कृति देखने को मिलती है जो यह बताती है कि भारत की संस्कृति में त्योहारों का कितना अधिक महत्व है।

उपसंहार –

भारत एक बहुत बड़ी विशाल संस्कृति का रूप है जहां पर सभी धर्मों को महत्वपूर्ण माना गया है यहां के लोग सभी धर्मों का आदर करते है। इसीलिए यहां पर साल भर प्रत्येक धर्म के उत्सव और त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास से मनाए जाते है।

इन्हीं त्योहारों में से एक छठ पूजा है जो कि बिहार और उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से मनाया जाता है लेकिन वर्तमान यह पश्चिम बंगाल, असम, झारखंड, मॉरिशस और नेपाल में भी मनाया जाने लगा है।


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