दोस्तो आज हमने भ्रष्टाचार पर लिखी गई कुछ कविताओं का संग्रह किया है इन कविताओं के माध्यम से हमने बताया है कि हमारे देश में Bhrashtachar कितना फ़ैल चूका है अगर जल्द ही इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया तो यह किसी महामारी की तरह पुरे देश में फ़ैल जाएगा.
गांधीजी और अन्य महापुरुषो ने भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना देखा था लेकिन अभी तक यह पूरा नहीं हो पाया है बल्कि भ्रष्टाचार दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. यह सरकारी कार्यालयों से लेकर निजी कार्यालयों में भी व्याप्त है.
Some Bhrashtachar Poem in Hindi for all class students
विषय-सूची
Bhrashtachar In Hindi Poem
भ्रष्टाचार पर कटाक्ष करते हुए हमने कविताओ का संग्रह किया है भ्रष्टाचार पर कविताएँ कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. इन कविताओ की सहायता से विद्यार्थी अपनी जानकारी बढ़ा सकते हैं और साथ ही परीक्षाओं में भी इन कविताओ का इस्तेमाल कर सकते है.
(1) Bhrashtachar In Hindi Poem
शराफत की जमाने अब कहां
यूं अकेले मत पड़ो यहां-वहां
समूहों के झुंड आसपास हैं,
कोई साधारण कोई खास है
हर कोई खींचने की फिराक में,
मना करो, आ जाते है आंख में
जंगल छोड़ भेड़िए शहरों में आने लगे,
सुंदर लिबासों में शरीफों को लुभाने लगे
ख्वाब बेचने का व्यापार चल पड़ा,
लालच में हर कोई मचल पड़ा
समूहों में हर चीज जायज हो जाती,
विचारधाराएं खारिज हो जाती.
नहीं दौर के तर्क नए,
सत्य स्वयं भटक गया,
इंसान इंसानियत छोड़,
समूहों में अटक गया.
ईमान कम बचा,
नियति तो बहुत स्पष्ट है,
शिकायत किससे करें,
जब पूरा तंत्र ही भ्रष्ट है.
– Ashok Madrecha
(2) Bhrashtachar par Kavita in hindi
इस देश की है बीमारी, यह भूखे भ्रष्टाचारी
जिस थाली में खाना खाते, यह छेद उसी में करते है.
लात गरीब के पेट पर मार, घर अपना ये भरते है
इस देश की है बीमारी, ये धनवान भिखारी
ले हाथ कटोरा घर घर जाते मोसम जो चुनावों का आता
अल्लाह के नाम पर दे दे वोट, गाना बस इनको एक ही आता.
इस देश की है बीमारी, ये मूल्यों के व्यापारी
नीलम देश को कर दे ये, जो इनका बस चल जाये
भारत माँ को कर शर्मिंदा, ये उसकी कोख लजाये.
इस देश की है बीमारी, ये दानव अत्याचारी
खून चूसकर जनता का, ये अपना राज चलाये
जो खाली रह गया इनका पेट, नरभक्षी भी बन जाये
इस देश की है बीमारी, देखो इनकी गददारी
गाय का चारा खाते ये, कोयले की कालिख लगाते ये
धरती माँ का सोदा कर, उसको भी नोच खाते ये
इस देश की है बीमारी, ये भूखे भ्रष्टाचारी.
– Monika Jain
(3) Bhrashtachar poem in Hindi For all students
कैसा ये भारत निर्माण
भ्रष्टाचारी मौज मनाएं
रंगरेलियां मनाने स्विट्जरलैंड जाएं
दूध मलाई नेता खाएं
बंद एसी कमरों में बैठ,
देश लूटने की योजना बनाएं.
कुपोषण और गरीबी में आत्महत्या कर रहा किसान
ऐसा है भारत निर्माण.
सौदों में नेता दलाली खाएं
धन विदेशी बैंकों में जमा कराएं
सीबीआई को बनाकर अपने हाथों की कठपुतली
घोटालों पर पर्दा गिराए
विरोधियों पर लाठी बरसाए, झूठे मुकदमों में फंसाए
इनकी कथनी करनी का अंतर करा रहा इनकी पहचान
ऐसा है भारत निर्माण
घोटालेबाजों को है संरक्षण, जनता का हो रहा है शोषण
महंगाई से नहीं राहत का लक्षण
ऐसा है भारत निर्माण
– Sh. Virender Puri
(4) Bhrashtachar In Hindi Poem
सच, झूठ, झूठ?
छोड़ यार, चल लूट
बेशुमार बार-बार
कुछ भी ना जाए छूट
दे मिटा, ना पटा
कोई गर गया रूठ
देख मौका, दे दे धोखा
तोड़ मार, डाल फूट
छल कपट, जोर झपट
हर भरोसा, जाए टूट
छोड़ कायदा, बस फायदा
सीधा चला, अपना ऊंट
सच, झूठ, झूठ, झूठ?
छोड़ यार, चल लूट
(5) Bhrashtachar Poem Desh Seva ka chola in hindi
देश सेवा का चोला पहने
लूट रहे हमारे देश को ये भ्रष्टाचारी अफसर, नेता.
गरीबों के खून पसीने की कमाई को
लुट रहे है ये भ्रष्टाचारी अफसर, नेता.
कभी सोने की चिड़िया था यह देश मेरा
भ्रष्टाचार की दीमक ने इसको कर दिया मिट्टी मिट्टी
यह कैसा देश है मेरा भ्रष्टाचारी सो रहा सुकून की नींद
और देश का किसान कर्ज में डूब रहा.
हर बार दिखाते सपने नये, करते है वादे न्यारे
लेकिन हर बार की तरह मिलता है तो धोखा.
चुनाव में ये लगाते देश के विकास का नारा
सिर्फ सरकारी कागजो में हो रहा देश का विकास
नई नई योजनाएं बनाकर
देश को लूट रहे ये भ्रष्टाचारी अफसर, नेता.
– Narendra Verma
(6) Bhrashtachar Poem Har Bar Nya Bhesh Dhar Kar Aate
हर बार नया भेष धर कर आते
लूटने हमारे देश को ये भ्रष्टाचारी
इनके जीवन का एक ही मूल मंत्र
लूटो लूट सको जितना देश को
हर बार नई तरकीबे अपनाते ये भ्रष्टाचारी
कभी चारा घोटला तो कभी कोयला घोटाला
ये शेर की खाल में बैठे वो भेड़िये है
जो देश को नोच नोच कर खा जाते है.
इनके जीवन का एक ही लक्ष्य
उडाओ मोज जनता के पैसे से
– Narendra Verma
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sundar kavitaye
anand aaa gyaa pdh k
Aap ki Sarahna ke liye dhnyawad shivanshz Chaurasiya
bohut hi sundar kabita hai mahodai.
Bhrastachar rokne ke upai par nibandh
Aap ke sahraniye comment ke liye Aap ka bhut bhut Dhnyawad.
It’s nice… I also love it but give more collections also
Thank you