शिक्षक दिवस पर भाषण – Teachers Day Speech in Hindi

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Teachers Day Speech in Hindi : आज हमने शिक्षक दिवस पर भाषण कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 & 10 के विद्यार्थियों के लिए है।

शिक्षक दिवस हमारे प्रिय गुरुजनों के सम्मान में मनाया जाता है यह हर वर्ष 5 सितंबर को डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर मनाया जाता है।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन हमारे देश के  दूसरे राष्ट्रपति थे जिन्होंने 18 सो 57 में अपने जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में लाने का सभी देशवासियों से आग्रह किया था.

डॉ राधाकृष्णन भी 40 वर्षों तक एक शिक्षक ही थे उन्हें शिक्षक की महत्वता का ज्ञान बहुत अच्छे से था। इसलिए आज हमने शिक्षको के सम्मान में बेहतरीन Shikshak Diwas Speech in Hindi लिखी है।

Teachers Day Speech in Hindi

Get Some Best Shikshak Diwas Par Bhashan for Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 & 10 Students.

Best Short Speech on Teachers Day in Hindi


आदरणीय शिक्षक गणों और मेरे प्यारे साथियों को सुप्रभात, आज शिक्षक दिवस के इस पावन अवसर पर हम सभीएकत्रित हुए है। मैं शिक्षक दिवस पर अपने कुछ विचार प्रकट करना चाहता हूं।

5 सितंबर को महान शिक्षाविद दार्शनिक महान वक्ता एवं विचारक डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शिक्षा के क्षेत्र में समाज सेवा में अमूल्य योगदान दिया है। आपका कहना था कि यदि सही तरीके से शिक्षा दी जाए तो समाज स्वयं में एक बेहतर राष्ट्र का निर्माता बन जाएगा।

ऐसी महान विभूति का जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाना हम सभी के लिए गौरव की बात है। 1962 में जब डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी महामहिम राष्ट्रपति बने तो प्लूटो द्वारा कहा गया वक्तव्य राजा को दार्शनिक होना चाहिए दार्शनिक को राजा होना चाहिए, अपने आप में सार्थक हो गया।

महामहिम सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचारों को ध्यान में रखते हुए शिक्षक दिवस के अवसर पर हम सब यह प्रण करें कि शिक्षा और शिक्षक की ज्योति को अपने जीवन में आत्मसात करते हुए उस ज्ञान के दीपक को प्रत्येक हृदय में आलोकित करना है।

इन्हीं शब्दों के साथ में नरेंद्र कुमार वर्मा शिक्षकों का नमन करता हूं अभिनंदन करता हूं।

धन्यवाद

Teachers Day Speech in Hindi (Long Speech)


गुरु हमारे पुनर्जन्म का गर्व है जहां से हमारा सही अर्थों में दोबारा जन्म होता है एक जन्म जो हमें माता-पिता से मिलता है दूसरा जन्म हमें गुरु से प्राप्त होता है।

सही गुरु के मार्गदर्शन के बिना न तो किसी बेहतर राष्ट्र का निर्माण हो सकता है और ना ही हमारे सही जीवन का संचालन इस दुनिया की महंगी से महंगी गाड़ी चाहे वह करोड़ों की हो तब तक उसका सही उपयोग नहीं किया जा सकता जब तक कि उसे एक अच्छा ड्राइवर नहीं मिल जाता है।

तब तक वह गाड़ी जो करोड़ों की है और गांव में चलने वाली रेलगाड़ी गुरु की अनुपस्थिति में दोनों ही एक समान हो जाते है। ठीक हमारा जीवन चाहिए तो किसी बड़े स्कूल में हो अथवा छोटे स्कूल में वह चाहे अमीर घर में हो या गरीब घर में हो किसी छोटे देश में हो अथवा किसी बड़े राष्ट्र में गुरु की उपस्थिति के बिना कोई फर्क नहीं पड़ता।

मनुष्य को उतंग शिखर पर जाने के लिए एक बेहतर गुरु की तलाश सही दिशा निर्देशन की जिज्ञासा सही सूत्रों को समझाने वाले की प्यास होनी चाहिए।

जो हमारे मस्तिष्क के बगीचे के झाड़ झंकार को समूल नष्ट करके अच्छे खेत को तैयार करें तभी उस में बीज डालने पर पौधे रह जाते है एक अच्छी फसल मिलती है।

हम अपने जीवन में एक अच्छे गुरु की विशाल को एक कुम्हार और जोहरी से कर सकते है वह जिसके बेहतरीन हाथों से जब कच्ची मिट्टी चाक पर चलाई जाती है तो वह एक अद्भुत शक्ल में बदल कर दुनिया को नायाब तोहफा मिलता है। जोहरी खदान में बद शक्ल पड़े पत्थर को तराश कर एक हीरे की शक्ल में बदल देता है जिसकी कीमत में चार चांद लग जाते है।

परमात्मा की सबसे बड़ी नियामत है कि जब किसी को काबिल उस्ताद मिल जाता है, एक गुरु मिल जाता है। हमारा उस्ताद ही हमें फलक तक पहुंचा देता है आज दुनिया को जरूरत है ऐसे पारस गुरुओं की जो लोहे को सोना बना दे।

गुरु हमेशा अपनी योग्यता के कारण सम्मान प्राप्त करता है एक शिक्षक कभी साधारण नहीं होता राष्ट्र के विकास का उदय और अस्त उसके हाथ में होता है। जब भी किसी देश के प्रकाश पुंज को राहु ग्रसित करता है तो संस्कृति की कोख में जन्म लेने वाला गुरु ही भगवान भास्कर के रूप में पुनः प्रकट करता है।

देश ही नहीं विश्व की सबसे बड़ी संपदा गुरु ही होता है हमें हमेशा उसके लिए कृतज्ञ रहना चाहिए राष्ट्र की सुप्त चेतना को जागृत करने के लिए अच्छे शिक्षक की आज बहुत आवश्यकता है।

जब भी कोई गुरु राजकीय अन्न आस्था को अपनी सुविधा झूठी प्रतिष्ठा के लिए उसे समझौता करता है तो उस अन्न की दास्तां उसका विवेक खरीद लेती है।

फिर उसकी न्यायमूर्ति खरीदी जाती है तो फिर वही गुरु एकलव्य का अंगूठा कट जाता है प्रतिभा को जाती और व्यवस्था के नाम पर कुचला जाता है पक्षपात और शुद्धता उसके स्वतत्व को छीन लेती है।

सत्ता से किए गए अपने स्वार्थों के लिए समझौते उसे सही आदमी नहीं बनने देते फिर एक शिक्षक से आदमियों का निर्माण कहां से कर पाएगा इस खूबसूरत संसार पर जब भी कोई विकास हुआ है तो उस विकास की आत्मा उस नीव का पत्थर उस विकास के पिरामिड की आधारशिला गुरु ही रहा है।

चाहे वह कोई भी काल हो जब अध्यापक सिर्फ वेतन भोगी हो गया राज्य सत्ता के हाथों उसने दास्ता स्वीकार कर ली तो वहीं पर वह राष्ट्र व जाति पतन के कगार पर खड़ी होकर एक धक्के की राह देख रही होती है।

चाणक्य ने कहा था कि ब्राह्मण गुरु न किसी के राज्य में रहता है और न किसी के अन्न से पलता है, स्वराज में विचरता है और अमृत होकर जीता है गुरु शब्द सामर्थ्य रखने पर भी समीक्षा से इन माया स्तूपो को ठुकरा देता है।

जब हम गुरु शब्द का प्रयोग करते हैं तो इसके कई मतलब होते हैं हमारे हर रास्ते का समाधान मिल गया है मै अब वह सब कर सकता हूं जो गुरु की अनुपस्थिति में, अंधेरे में, अज्ञानता की दीवारों से टकराकर अपने को चोट पहुंचा रहा था हमने जो इरादे किए थे गुरु के प्रकाश में बहने प्राप्त हो जाएंगे हारने के बाद भी वह हमें जीतने का जज्बा देता है।

हमारी देखने के नजरिए में बदलाव भी गुरु का प्रभाव भी होता है शिक्षा से हमारे जीवन की खुशियों को समझाता है गुरु एक श्रोत है जहां से ज्ञान के झरने प्रवाहित होते है।

जब व्यक्ति अपने गुरु की सुनता है, आदर करता है सम्मान करता है तो वह हमारे इरादों को, आत्मविश्वास को और दृढ़ करता है फिर आप वह सब देखने लगते हैं जो आप अपने शिक्षण के पूर्व नहीं देख पाते है।

इस ब्रह्मांड में अनगिनत ऊर्जा के श्रोत है अनगिनत ताकते है उनसे हमारा परिचय शिक्षक के माध्यम से ही होता है। जब हम अपने गुरु में समर्पण करते है और हम कह उठते है कि यह मेरे जीवन के मार्गदर्शक तुम हो, हमारे जीवन के सारे सपने तुम्हारे है, तुम गुनगुनाओगे राजीव तुम पर न्योछावर है हो मेरे गीत बन जाओ मैं अपनी तपस्या तुम्हें देता हूं तू ही मेरे कलयुग में सतयुग बन कर प्रवेश करो।

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