Pustak Mela Essay in Hindi दोस्तो आज हमने पुस्तक मेला पर निबंध लिखा है पुस्तक मेला पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. Pustak Mela Essay in Hindi की सहायता से विद्यार्थी अपनी जानकारी बढ़ा सकते हैं और साथ ही परीक्षाओं में भी इस निबंध का इस्तेमाल कर सकते है.
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Best Pustak Mela Essay in Hindi
दोस्तों आज मैं आप सबके साथ मेरे पुस्तक मेले के अनुभव को शेयर करने जा रहा हूं. पुस्तक मेले को मैंने एक निबंध के माध्यम से समझाने की कोशिश की है. पुस्तक मेले पर लिखे गए इस निबंध की सहायता से आप सभी विद्यार्थियों को इस विषय पर निबंध लिखने में सहायता मिलेगी.
Get Some Pustak Essay on Mela in Hindi for School Student of the class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12.
अगर आपको मेरे द्वारा पुस्तक मेले पर लिखा गया निबंध अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूलें और अगर कभी आप भी पुस्तक मेले में गए हो तो कमेंट करके हमें अपने अनुभव जरूर बताएं
पुस्तक ज्ञान का भंडार होती है पुस्तक एक अच्छे मित्र की तरह पूरी जिंदगी भर हमारे साथ रहती हैं बस इन्हें थोड़ी सी देखभाल की जरूरत होती है और इसके अलावा यह हमसे कोई काम नहीं करती है पुस्तक जीवन पर्यंत हमें शिक्षा देती रहती है. पुस्तक की सहायता से हम उन महान लोगों और ऋषि मुनियों की बातों को और उनके आदर्शों और उनकी खोज को हम आज भी पढ़ सकते है और इस्तेमाल में ले सकते है.
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तभी तो आज भी हम वर्षों पहले लिखी गई रामायण, महाभारत और ग्रंथ आज भी उस को की सहायता से पढ़ सकते है. इनकी सहायता से हमें कम समय में वह शिक्षा प्राप्त हो जाती है जिसके लिए किसी वैज्ञानिक ने अपना पूरा जीवन लगा दिया हो.
पुस्तक दिखने में बहुत ही साधारण होती है लेकिन जितनी यह दिखने में साधारण होती है उतनी ही रोचक और ज्ञानवर्धक होती है. हमारे देश विदेश में है काफी ऐसे कवि और वैज्ञानिक हुए है जिन्होंने अपनी सोच और आविष्कार से पूरी दुनिया को चौंका दिया वह आज हमारे साथ तो नहीं है लेकिन उनकी लिखी हुई ज्ञानवर्धक पुस्तकें आज भी हमारे साथ है इसलिए पुस्तकों का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है.
आज की नई पीढ़ी के दौर में पुस्तकों की जगह है कंप्यूटर और मोबाइल ने ले ली है लेकिन जो मजा पुस्तक को पढ़ने में आता है वह किसी कंप्यूटर या मोबाइल में कभी भी नहीं आ सकता है कंप्यूटर और मोबाइल में अगर हम किसी लेख लेख को पढ़ते हैं तो हमारी आंखें थोड़ी देर में जलने लग जाती हैं और रोज अधिक देख तक अगर मोबाइल लेख पढ़ा जाए तो आंखें भी खराब हो सकती है. और इनको खरीदने में भी बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है
Pustak Mela Essay in Hindi
लेकिन पुस्तक के साथ ऐसा कुछ भी नहीं है पुस्तक को एक बार खरीदने के बाद कभी भी कोई खर्चा नहीं करना पड़ता है और इनका इस्तेमाल पीढ़ी-दर-पीढ़ी किया जा सकता है. वर्तमान के टेक्नोलॉजी भरे युग में किताबों का अस्तित्व कहीं खोता जा रहा है इसलिए इनके प्रचार प्रसार कि अब बहुत अधिक जरूरत है.
पुस्तकों के प्रचार-प्रसार में पुस्तक मेला बहुत ही अहम भूमिका निभाता है. हमारे जयपुर शहर में पिछले सप्ताह पुस्तक मेले का आयोजन हुआ था. इस आयोजन के बारे में हमें समाचार पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से पता चला था. बचपन से ही मुझे पुस्तकें पढ़ने का बहुत पसंद है इसलिए मुझे इस मेले में जाने की बहुत इच्छा हुई इसलिए मैंने और मेरे मित्रों ने इस मेले में जाने की योजना बनाई.
लेकिन जब मैंने इस बारे में पिता जी से बात की तो पिताजी ने अकेले मेले में जाने से मुझे मना कर दिया लेकिन उन्होंने कहा कि हम सब साथ में पुस्तक मेला देखने जाएंगे तुम अपने दोस्तों को भी बुला सकते हो. यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई.
दूसरा दिन यह दिन रविवार का था इस दिन सभी विद्यालय वह कार्यालय की छुट्टी होती है इसलिए मेरा पूरा परिवार और मेरे दोस्त पुस्तक मेला देखने के लिए चले गए. हम सुबह करीब 10:00 बजे पुस्तक मेले के प्रांगण में पहुंचे. इस मेले का आयोजन बहुत ही बड़ी जगह में किया गया था यहां पर करीब 300 से अधिक पुस्तकों की दुकानें थी जिन में भिन्न-भिन्न प्रकार की पुस्तकें बिक्री के लिए रखी हुई थी.
रविवार का दिन होने के कारण पुस्तक मेले में बहुत ही अधिक चहल पहल थी. मैंने इससे पहले पुस्तकों की इतनी दुकानें नहीं देखी थी इतनी सारी पुस्तके देखकर मेरा मन फूला नहीं समा रहा था. हम बारी-बारी सभी दुकानों पर जाकर पुस्तकें देखने लगे. इन दुकानों पर साहित्य, इतिहास, भूगोल, धर्म, भाषा, विज्ञान, सामान्य जान, कहानियों ,कविताओं एवं अन्य विषयों की पुस्तकें उपलब्ध थी.
इन दुकानों पर बहुत ही ज्ञानवर्धक पुस्तकें रखी हुई थी लेकिन मुझे विज्ञान विषय में बहुत अधिक रुचि थी इसलिए मैंने दो किताबें विज्ञान विषय पर खरीदी थी और मेरे दोस्तों ने सामान्य ज्ञान और कहानियों की किताब खरीदी थी. मेरी बहन को कलात्मक वस्तुएं बहुत अधिक पसंद है
इसलिए उन्होंने कलात्मक विषय से संबंधित पुस्तकें खरीदी थी. मेरे पिताजी को शुरू में कोई भी किताब पसंद नहीं आ रही थी क्योंकि उनकी रुचि आध्यात्मिक विषय पर थी इसलिए बहुत सी दुकानों पर जाने के बाद एक दुकान में उन्हें उनकी मनपसंद पुस्तक “गीता” मिल गई. इससे वह बहुत अधिक प्रसन्न हो गए.
इस पुस्तक मेले में कुछ रोचक कहानियों की किताबों पर 50% तक छूट मिल गई थी इसलिए मैंने कुछ कहानियों की पुस्तकें भी खरीद ली. पुस्तक मेले में चारों चहल पहल थी कुछ लोग यहां पर ऐसे ही घूमने आए हुए थे वही कुछ लोग पुस्तकें देखने में मसगुल थे.
पुस्तक मेला बहुत ही बड़े मैदान में लगा हुआ था इसलिए हम घूमते-घूमते थक गए थे. उस पुस्तक मेले में कुछ चाय, चाट ओर आइसक्रीम की दुकानें भी लगी हुई थी. यह देख हम अपने पिताजी को आइसक्रीम हो चाट खिलाने को कहा. पिताजी ने दुकान वाले को हम सभी को आइसक्रीम और समोसे खिलाने को कहा.
क्योंकि हम बहुत ही थके हुए और भूखे थे इसलिए मैं आइसक्रीम और समोसे बहुत ही अच्छे लगे. वहां पर मनोरंजन के लिए छोटे झूले भी लगे हुए थे हमने उन लोगों पर झूलकर बहुत आनंद उठाया. पुस्तक मूल्य पुस्तक मेले में हमने घूमकर बहुत आनंद उठाया और साथ ही शिक्षाप्रद उसके भी खरीदी. इतना घूमने के बाद शाम हो चुकी थी और हम सभी बहुत थक चुके थे इसलिए हम शाम को घर चले आए थे.
जो किताबें हमने पुस्तक मेले से खरीदी थी वह हमारे बहुत काम आई मेरे विज्ञान की परीक्षा में कुछ प्रश्न उन किताबों में से भी आए थे. इस पुस्तक मेले की यादें हमेशा मेरे मन में एक अच्छी याद बनकर रहेंगी.
मैं अंत में सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि पुस्तक हमारी सच्ची मित्र होती हैं इनसे हमें हमेशा ही ज्ञानवर्धक और शिक्षाप्रद जानकारी मिलती रहती है इसलिए कभी भी किसी भी पुस्तक को फेंकना या फाड़ना नहीं चाहिए क्योंकि इनमें ज्ञान सदैव बना रहता है यह अगर आज हमारे काम की नहीं है तो हमें किसी अन्य जरूरतमंद व्यक्ति को दे देनी चाहिए जिसकी सहायता से मैं भी ज्ञान प्राप्त कर सके.
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very nice and very good use of vocabulary
thank you Gayatri Kale ji
Very nice essay
Thank you for appreciation Ritu Agarwal.
Thnkyou khna chata hu ma
Sayan Ji Aap ka bhi bhut bhut abhar
Hi Mika Ja paragraph bhut ashalaga
Aap ka bhut bhut dhanyawad Gursahab Singh