प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए : दोस्तों आज हमने प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए लिखे है। शिक्षाप्रद प्रेरक प्रसंग से हमें अच्छी बाते सीखने को मिलती है।
विषय-सूची
प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए ही हिन्दी में PDF
आजकल विद्यार्थियों की मनोदशा ठीक नहीं रहती है। मोबाइल और टीवी के आविष्कार के कारण विधार्थियों को कई प्रकार के भटकाव का सामना करना पड़ता है जिसके करना वे हताश हो जाते है।
इसके कारण उनका पढाई में भी मन नही लगता और और अपने कैरिएर का चुनाव करने में भी मुस्किल होती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने विभिन्न प्रकार के प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए लिखे है।
1. हमेशा सकारात्मक रहे
एक अस्पताल में दो लोग भर्ती थे, इनमें से एक व्यक्ति उठ बैठ सकता था जबकि दूसरा रीड की हड्डी में समस्या होने के कारण उठ बैठ नहीं सकता था।
रीड की हड्डी में समस्या वाला व्यक्ति बीमार पड़े रहने से उस पर निराशा हावी होने लगी थी. वह हमेशा नकारात्मक बात करता था…
और ईश्वर से जल्दी प्राण लेने की प्रार्थना करने लगा था वह फिर से जीवन जीने की आस छोड़ चुका था।
उठ-बैठ सकने वाले मरीज का पलंग खिड़की के पास था।
वह मरीज काफी समझदार और सकारात्मक था इसलिए वह रीड की हड्डी वाले व्यक्ति की मनोदशा को समझ सकता था।
इसलिए अपने साथी मरीज का मन बहलाने के लिए वे रोजाना बैठ जाता और उसे बाहर के नजारों के बारे में बताता।
वह कहता छोटे-छोटे बच्चे पार्क में खेल रहे है, माए उनका ध्यान रखने के लिए साथ साथ चल रही है. पेड़ों पर सुंदर चिड़िया चहक रही है…..
पार्क में एक तालाब भी है जिसमें सुंदर रंग बिरंगी मछलियां है बच्चे पार्क के तालाब में मछलियों को देखकर खुश हो रहे है।
यह बातें सुनकर लेटे रहने वाला मरीज अपनी आंखें मूंदकर इन नजारों को जीवंत करता उसकी सोच में भी नकारात्मकता कम होने लगी थी।
एक दिन कहानी सुनाने वाले मरीज की मृत्यु हो गई……
नर्स उसका बिस्तर साफ करने आई तो इस लेटे हुए मरीज ने नर्स से कहा, ‘मुझे उस पलंग पर लिटा दे ताकि मैं भी उस मरीज की तरह बाहर के नजारे देख सकूं।’
नर्स ने कहा बाहर तो अस्पताल की दीवार है या तुम्हें भला क्या नजारा दिखेगा? और जिसकी बात तुम कर रहे हो वह तो अंधा था।
इस मरीज को समझ आ गया था कि खुद न देख पाने के बावजूद वह मरीज इस में सकारात्मकता का संचार कर गया था और अब वह जीवन से प्यार करने लगा था।
शिक्षा – जीवन में सकारात्मक रुख अपनाए रखें।
ज्ञान – सकारात्मकता से आप किसी का भी जीवन बदल सकते हैं चाहे वह कितना भी नकारात्मक क्यों ना हो इसका उदाहरण आपने ऊपर बड़ी कहानी में देखा है।
अक्सर हम केवल अपनी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं इसीलिए नकारात्मक हो जाते हैं अगर हम समस्या की बजाए समस्या को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित करें तो हमेशा सफल होंगे और सकारात्मक रहेंगे।
2. सकारात्मक सोच का परिणाम
दो दोस्त थे दोनों में काफी अच्छी बनती थी लेकिन दोनों में एक बड़ा अंतर भी था एक दोस्त हर परिस्थिति में नकारात्मकता नजर से ही देखता था।
जबकि दूसरा दोस्त हर मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में भी कोई ना कोई अच्छी बात ढूंढ ही लेता था…
एक दिन दोनों दोस्त शिकार के लिए जंगल में गए, रास्ते में पहले दोस्त के हाथ में चोट लग गई।
चोट एक धारदार चीर लगी थी इसलिए उसका अंगूठा कट गया था जब उसने दुखी मन से दूसरे दोस्त को हाथ दिखाया तो उसने सहानुभूति जताते हुए कहा इसमें भी कुछ अच्छा ही होगा… ‘ तुम चिंता मत करो’।
दोस्त की यह बात सुनकर चोटिल दोस्त आग बबूला हो गया, अपने दोस्त के इस व्यवहार को जब वह समझ नहीं पाया तो उससे रहा नहीं गया वह उसे भला-बुरा कहते हुए अकेले ही जंगल से बाहर निकलने लगा।
जंगल का रास्ता काफी सुनसान था तभी जंगल में रहने वाले कबीलाई लोगों ने उसे घेर लिया और उसे बली के लिए तैयार करने लगे।
लेकिन अंगूठा कटा होने की वजह से उसे छोड़ दिया गया, वह भागते भागते हैरान-परेशान शहर वापस लौट आया।
शहर वापस आने पर दोनों दोस्त एक बार फिर मिले पहले दोस्त ने दूसरे से कहा, ‘तूम सही थे, मेरे अंगूठे कटे होने की वजह से ही मैं आज जिंदा हूँ।
लेकिन हमारी लड़ाई से क्या अच्छा हुआ? “ दूसरे दोस्त ने आश्चर्य पुरुष पूछा?”
तब दूसरा दोस्त बोला, ‘लड़ाई नहीं होती तो हम साथ होते… साथ होते तो बली मेरी दे दी जाती।
पहले दोस्त को सकारात्मक नजरिया समझ आने लगा।
शिक्षा – जीवन में प्रत्येक परिस्थिति में सकारात्मक रहे।
ज्ञान – जीवन में हर वक्त परिस्थिति सामान्य नहीं रहती है कभी कभी जीवन में विपरीत परिस्थितियां भी आती है लेकिन हमें सहजता और धैर्य पूर्वक उनका सामना करना चाहिए।
क्योंकि हमेशा विपरीत परिस्थितियों से ही हमें सीखने को मिलता है, विपरीत परिस्थितियां ही हमे सफलता की ओर कार्य करने के लिए मजबूर करते है यही इनकी अच्छाई होती है।
3. सीमित सोच
एक राजा को किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति ने दो बहुत अच्छी नस्ल की बाज दिए, राजा ने भी सम्मान पूर्वक उनको स्वीकार किया और वादा किया कि वह उनकी उचित देखभाल करेंगे।
राजा को दोनों बाज बहुत पसंद आए, उन्होंने इन बाजों को देखभाल के लिए एक व्यक्ति को नियुक्ति किया।
कुछ महीने बीतने पर आ जाओ हम दोनों बाजों को देखने उस जगह पहुंच गया जहां उन्हें पाला जा रहा था। राजा ने देखा दोनों बाल बड़े हो चुके हैं और उड़ान भरने के लिए तैयार है।
राजा ने उनकी देखभाल करने वाले व्यक्ति से कहा मैं इन्हें उड़ते हुए देखना चाहता हूं….
आदमी से इशारा मिलते ही दोनों बाज उड़ान भरने लगे लेकिन एक बाज तो ऊंचा उड़ता रहा, दूसरा कुछ ऊपर जाकर वापस उसी डाल पर बैठ गया जहां से उसने उड़ान भरी थी।
राजा ने पूछा यह क्या है? एक उड़ता जा रहा है, ‘जबकि दूसरा और ना ही नहीं जा रहा है?’ ‘आदमी बोला,
इसके साथ यह समस्या है यह डाल छोड़ना ही नहीं चाहता।’
राजा ने आश्चर्य पूर्व उस व्यक्ति की बात सुनी और कुछ सोच में पड़ गए…
अचानक राजा ने घोषणा कर दी, जो व्यक्ति इस बाज को उड़ना सिखाएगा उसे मुंह में मांगा इनाम दिया जाएगा।
बड़े-बड़े विद्वानों और शिकारियों ने कोशिश कर ली लेकिन बाद थोड़ा सा उड़कर वापस उसी डाल पर आ जाता था।
एक दिन एक किसान राजा के दरबार में आया, उसने राजा से बाज को उड़ना सिखाने की अनुमति मांगी, राजा ने तुरंत स्वीकृति दे दी।
वे देखना चाहते थे की जो काम बड़े बड़े विद्वान नहीं कर पाए वह काम एक छोटा सा किसान कैसे कर सकता है।
अगले दिन से ही बाज ने ऊँची उड़ान भरना प्रारंभ कर दिया, राजा ने किसान से कौतूहल वश पूछा… ‘यह तुमने कैसे किया?
किसान ने कहा मैं तो साधारण आदमी हूं मैंने बस वह डाल काट डाली जिस पर बैठने का वह आदी हो गया था।
यह सुनकर राजा खुश हुआ और उसने किसान का मुंह है मांगा इनाम दे दिया।
शिक्षा – अपनी क्षमताओं को विस्तार दे।
ज्ञान – पूरी दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं जिसको कोई व्यक्ति पुरा ना कर सकें, व्यक्ति सिर्फ अपनी सीमित सोच के कारण ही किसी कार्य को पूरा नहीं कर पाता है।
अगर कोई व्यक्ति ठान ले तो वह कुछ भी कर सकता है बस उसे उस बारे में सोचने और मेहनत करने की जरूरत है।
4. गुरु बिना ज्ञान नहीं
एक समय की बात है कि पेपलर, तिलहर, चीनी झाड़ियां नदी के तट की सीधी चढ़ाई आने के साथ ही विरल होने लगी थी इसके स्थान पर चीड़, बर्च, देवदार, सरोबर थे जंगल शुरू हो गए हवा साय साय कर रही थी।
पगडंडियों के पास के पेड़ बड़े जोर से हिल रहे थे उनसे खड़ खड़ की आवाज आ रही थी नदी अब बिल्कुल करीब होने लगी जैन फकीर को अपने शिष्य के साथ उस नदी को पार कर एक गांव जाना था ।
जैन फकीर के अपने शिक्षा के साथ उस नदी के तट पर पहुंचा उस समय पानी की लहर शोर मचाती हुई वह व्यग्रता पूर्वक किनारे से टकरा रही थी।
अब पूरी तरह से अंधेरा छा गया था हवा भी शांत हो गई थी बादल गायब हो गए और आकाश साफ हो गया था तारे ठंडी ठंडी सांसे ले रहे थे सर्दी का मौसम अब आने वाला ही था ।
जैन फकीर ने नदी पार करने के लिए अपने शिष्य से कहा कि नदी बहुत गहरी है इसलिए तुम मेरा हाथ पकड़ लो मैं आगे चलता हूं शिष्य ने कहा गुरु जी मैं आपका हाथ पकड़ कर नदी पार नहीं कर सकता हूं।
क्योंकि किसी स्वार्थ में किसी लालच में मैं आपका हाथ छोड़ सकता हूं परंतु आप मेरे गुरु हैं यदि आप मेरा हाथ पकड़ कर नदी पार करेंगे तो मैं सुरक्षित आपके साथ नदी पार कर जाऊंगा।
एक सच्चा गुरु कभी भी किसी भी स्थिति में अपने शीशे का हाथ नहीं छोड़ता जीवन को हमेशा एक सच्चे गुरु की तलाश रहती है जैसे ही उसे एक अच्छा गुरु मिल जाता है।
वह इस भवसागर को पार कर जाता है गुरु अपनी हर सांस में अपने शिष्य को मुक्ति का मौझ का मार्ग बताता है।
5. सीमित सोच
एक राजा को किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति ने दो बहुत अच्छी नस्ल की बाज दिए, राजा ने भी सम्मान पूर्वक उनको स्वीकार किया और वादा किया कि वह उनकी उचित देखभाल करेंगे।
राजा को दोनों बाज बहुत पसंद आए, उन्होंने इन बाजों को देखभाल के लिए एक व्यक्ति को नियुक्ति किया।
कुछ महीने बीतने पर आ जाओ हम दोनों बाजों को देखने उस जगह पहुंच गया जहां उन्हें पाला जा रहा था. राजा ने देखा दोनों बाल बड़े हो चुके हैं और उड़ान भरने के लिए तैयार है।
राजा ने उनकी देखभाल करने वाले व्यक्ति से कहा मैं इन्हें उड़ते हुए देखना चाहता हूं….
आदमी से इशारा मिलते ही दोनों बाज उड़ान भरने लगे लेकिन एक बाज तो ऊंचा उड़ता रहा, दूसरा कुछ ऊपर जाकर वापस उसी डाल पर बैठ गया जहां से उसने उड़ान भरी थी।
राजा ने पूछा यह क्या है? एक उड़ता जा रहा है, ‘जबकि दूसरा और ना ही नहीं जा रहा है?’ ‘आदमी बोला,
इसके साथ यह समस्या है यह डाल छोड़ना ही नहीं चाहता।’
राजा ने आश्चर्य पूर्व उस व्यक्ति की बात सुनी और कुछ सोच में पड़ गए…
अचानक राजा ने घोषणा कर दी, जो व्यक्ति इस बाज को उड़ना सिखाएगा उसे मुंह में मांगा इनाम दिया जाएगा।
बड़े-बड़े विद्वानों और शिकारियों ने कोशिश कर ली लेकिन बाद थोड़ा सा उड़कर वापस उसी डाल पर आ जाता था।
एक दिन एक किसान राजा के दरबार में आया, उसने राजा से बाज को उड़ना सिखाने की अनुमति मांगी, राजा ने तुरंत स्वीकृति दे दी।
वे देखना चाहते थे की जो काम बड़े बड़े विद्वान नहीं कर पाए वह काम एक छोटा सा किसान कैसे कर सकता है।
अगले दिन से ही बाज ने ऊँची उड़ान भरना प्रारंभ कर दिया, राजा ने किसान से कौतूहल वश पूछा… ‘यह तुमने कैसे किया?
किसान ने कहा मैं तो साधारण आदमी हूं मैंने बस वह डाल काट डाली जिस पर बैठने का वह आदी हो गया था।
यह सुनकर राजा खुश हुआ और उसने किसान का मुंह है मांगा इनाम दे दिया।
शिक्षा – अपनी क्षमताओं को विस्तार दे।
ज्ञान – पूरी दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं जिसको कोई व्यक्ति पुरा ना कर सकें, व्यक्ति सिर्फ अपनी सीमित सोच के कारण ही किसी कार्य को पूरा नहीं कर पाता है।
अगर कोई व्यक्ति ठान ले तो वह कुछ भी कर सकता है बस उसे उस बारे में सोचने और मेहनत करने की जरूरत है।
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