Prerak Prasang in Hindi : दोस्तों आज हमने शिक्षाप्रद प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों और अभिभावकों के लिए लिखे है। शिक्षाप्रद प्रेरक प्रसंग से हमें अच्छी बाते सीखने को मिलती है।
इन कहानियों को पढ़कर हम अपने जीवन को जीने का तरीका बदल सकते हैं जिससे हम गलतियां करने से बच जाते है और अपना महत्वपूर्ण जीवन आनंद से जीते है।
New Prerak Prasang in Hindi for all Students।
विषय-सूची
Best Prerak Prasang in Hindi
1. जीवन का आनंद प्रेरक प्रसंग
बहुत समय पहले की बात है जब सिकंदर अपने शक्ति के बल पर दुनिया भर में राज करने लगा था वह अपनी शक्ति पर इतना गुमान करने लगा था कि अब वह अमर होना चाहता था उसने पता लगाया कि कहीं ऐसा जल है जिसे पीने से व्यक्ति अमर हो सकता है
देश-दुनिया में भटकने के बाद आखिरकार सिकंदर ने उस जगह को खोज लिया जहां पर उसे अमृत प्राप्त हो सकता था वह एक पुरानी गुफा थी जहां पर कोई आता जाता नहीं था।
देखने में वह बहुत डरावनी लग रही थी लेकिन सिकंदर ने एक जोर से सांस ली और गुफा में प्रवेश कर गया वहां पर उसने देखा कि गुफा के अंदर एक अमृत का झरना बह रहा है
उसने जल पीने के लिए हाथ ही बढ़ाया था कि एक कौवे की आवाज आई कौवा गुफा के अंदर ही बैठा था कौवा जोर से बोला ठहर रुक जा यह भूल मत करना…।
सिकंदर ने कौवे की तरफ देखा।। वह बड़ी ही दयनीय अवस्था में था, पंख झड़ गए थे, पंजे गिर गए थे, वह अंधा भी हो गया था बस कंकाल मात्र ही शेष रह गया था
सिकंदर ने कहा तू कौन होता है मुझे रोकने वाला…?
मैं पूरी दुनिया को जीत सकता हूं तो यह अमृत पीने से मुझे तो कैसे रोकता है तब कौवे ने आंखों से आंसू टपकाते हुए बोला कि मैं भी अमृत की तलाश में ही इस गुफा में आया था
और मैंने जल्दबाजी में अमृत पी लिया। अब मैं कभी मर नहीं सकता, पर अब मैं मरना चाहता हूं लेकिन मर नहीं सकता।
देख लो मेरी हालत।। कौवे की बात सुनकर सिकंदर देर तक सोचता रहा सोचने के बाद फिर बीना अमृत पीए ही चुपचाप गुफा से बाहर वापस लौट आया।
सिकंदर समझ चुका था कि जीवन का आनंद उस समय तक ही रहता है जब तक हम उस आनंद को भोगने की स्थिति में होते है
शिक्षा – जीवन में हमें हमेशा खुश रहना चाहिए हमें कभी भी खुश रहने के लिए बड़ी सफलता या समय का इंतजार नहीं करना चाहिए क्योंकि समय के साथ हम बूढ़े होते जाते हैं और फिर अपने जीवन का असली आनंद नहीं उठा पाते है।
2. अच्छा बुरा प्रेरक प्रसंग
एक गांव में दो भाई रहते थे उनमें से एक बड़ा बिजनेसमैन था जिसका पूरे देश भर में नाम, प्रतिष्ठा थी तो दूसरा निठल्ला और नशा करता था
लोगों को उन दोनों भाइयों को देखकर आश्चर्य होता था कि आखिर दोनों में इतना अंतर क्यों है? कुछ लोगों ने इसका पता लगाने का निश्चय किया और शाम को दोनों भाइयों के घर पहुंचे अंदर घुसते ही उन्हें नशे में धुत एक व्यक्ति दिखा
उन्होंने उससे पूछा तुम बेवजह लोगों से लड़ाई झगड़ा करते हो? आखिर यह सब करने की वजह क्या है…?
“मेरे पिता” – उसने उत्तर दिया।।
वह बोला मेरे पिता शराबी थे वे अक्सर मेरी मां और हम दोनों भाइयों को पीटा करते थे ऐसे में तुम लोग मुझसे और क्या उम्मीद कर सकती हो इसलिए मैं भी अपने पिता के जैसा ही बन गया हूं।
फिर वे दूसरे भाई के पास गए।। लोगों ने उसे भी वही पसंद किया आप इतनी सम्मानित और प्रतिष्ठित बिजनेसमैन है इसकी वजह है?
“मेरे पिता” – दूसरे भाई ने उसने उत्तर दिया।।
यह सुनकर लोगों को बहुत आश्चर्य हुआ उन्होंने पूछा “भला वो कैसे?”
वह बोला मेरे पिता शराबी थे, नशे में वह हमें मारते-पीटते रहते थे मैंने निश्चय कर लिया कि मैं ऐसा कभी नहीं बनूंगा। जीवन में जो कुछ भी घटता है उस के दो पहलू होते हैं एक अच्छा और दूसरा बुरा…। जरूरत इस बात की है कि हम अच्छे पर ध्यान दें और वहीं से प्रेरणा लेने की कोशिश करें।
शिक्षा – अच्छा बुरा देखना और उसे जीवन में उतारना नजरिए पर निर्भर करता है। अच्छा सोचोगे तो अच्छा होगा, बुरा सोचोगे तो बुरा होगा
3. क्रोध और नियंत्रण प्रेरक प्रसंग
एक समय की बात है एक राजा घने जंगल में भटक गया। कई घंटों के बाद वह प्यास से व्याकुल होने लगा। तभी उसकी नजर एक वृक्ष पर पड़ी जहां एक डाली से टप-टप करती पानी की छोटी-छोटी बूंदें गिर रही थीं।
राजा ने पत्तों का दोना बनाकर पानी इकट्ठा किया, राजा जैसे ही पानी पीने लगा एक तोता आया और झपटूटा मार दोने को गिरा दिया। राजा ने सोचा पंछी को प्यास लगी होगी इसलिए वह भी पानी पीना चाहता था लेकिन गलती से उसने झपट्टा मारकर पानी को गिरा दिया।
यह सोचकर राजा फिर से खाली दोने को भरने लगा, काफी देर के बाद वह दोना फिर भर गया। राजा ने हर्षचित्त होकर जैसे ही दोने को उठाया तो तोते ने वापस उसे गिरा दिया। राजा को बहुत तेज गुस्सा आया और उसने चाबुक उठाकर तोते पर वार किया और उसके प्राण निकल गए।
राजा ने सोचा अब मैं शांति से पानी इकट्ठा कर अपनी प्यास बुझा पाऊंगा। यह सोचकर वह डाली के वापस पानी इकट्ठा होने वाली जगह पहुंचा तो उसके पांव के नीचे की जमीन खिसक गई।
उस डाली पर एक जहरीला सांप सोया हुआ था और उस सांप के मुंह से लार टपक रही थी राजा जिसको पानी समझ रहा था वह सांप की जहरीली लार थी।
राजा का मन ग्लानि से भर गया। उसने कहा काश मेँने संतो के बताए उत्तम क्षमा मार्ग को धारण कर क्रोध पर नियंत्रण किया होता तो…। मेरे हितैषी निर्दोष पक्षी की जान नहीं जाती।
शिक्षा:- जल्दबाजी और बिना सोचे-विचारे किया काम हमेशा परेशानी और पश्चाताप का कारण बनता है।
4. नजरिया प्रेरक प्रसंग
एक साधु किसी गांव से तीर्थ को जा रहे थे। काफी समय चलने के बाद उन्हें थकान महसूस हुई तो उस गांव में एक बरगद के पेड़ के नीचे जा बैठे। वहीं पास में कुछ मजदूर पत्थर के खंभे बना रहे थे ।
उन्होंने एक मजदूर से पूछा, ‘यहां क्या बन रहा है ?’ मजदूर झुंझला कर बोला, “मालूम नहीं।’
लेकिन साधु ने कोई प्रक्रिया नहीं दी, साधु आगे बढ़े, दूसरा मजदूर मिला।
साधु ने पूछा, ‘यहां क्या बनेगा?”
मजदूर बोला, ‘देखिए साधु बाबा, यहां कुछ भी बने। चाहे मंदिर बने या जेल, मुझे क्या ? मुझे तो दिनभर की
मजदूरी के 100 रुपए मिलते हैं।’
साधु बिना कुछ बोले आगे बढ़े तो तीसरा मजदूर मिला, साधु ने उससे भी वही प्रश्न पूछा…
मजदूर ने कहा, यहां एक मंदिर बनेगा, इस गांव में कोई बड़ा मंदिर नहीं था। इस गांव के लोगों को दूसरे गांव में उत्सव मनाने जाना पड़ता था। मैं भी इसी गांव का हूं। ये सारे मजदूर इसी गांव के हैं।
में एक- एक छेनी चला कर जब पत्थरों को गढ़ता हूं तो छेनी की आवाज में मुझे मधुर संगीत सुनाई पड़ता है। मेरे लिए यह काम नही है। मैं रात को सोता हूं तो मंदिर की कल्पना के साथ और सुबह जगता हूं तो मंदिर के खंभों को तराशने के लिए चल पड़ता हूं।
मजदूर की बात सुन साधु ने अपने शिष्य को कहा, ‘यही जीवन का रहस्य है, बस नजरिया का फर्क है। कोई काम को बोझ समझता है तो कोई जीवन का आनंद लेते हुए काम करता है।
शिक्षा – जब तक हम अपने काम को बोझ समझते रहेंगे तब तक हम उसमें सफल नहीं हो पाएंगे और उस काम को करने का हमें आनंद प्राप्त नहीं होगा।
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