Munshi Premchand Biography in Hindi : मुंशी प्रेमचंद एक बहुत गुणी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे. प्रेमचन्द अपनी हिंदी और उर्दू भाषी रचनाओ के लिए जाने जाते है. प्रेमचंद को “कलम के सिपाही” की संज्ञा भी दी गयी है.उनकी हिंदी और उर्दू भाषा में अच्छी पकड़ थी. वे बनना तो वकील चाहते थे लेकिन हालत ने उन्हें साहित्यकार बना दिया. उन्होंने अपना बचपन बहुत गरीबी और तंगहाली में व्यतीत किया है.
उन्होंने कुल 15 उपन्यास, 300 से कुछ अधिक कहानियां, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल-पुस्तकें और हजारों पृष्ठ के लेख, सम्पादकीय, व्याख्यान, भूमिका, पत्र आदि की रचना की थी, लेकिन जो यश और प्रतिष्ठा उनसे उपन्यास और कहानी प्राप्त हुई.
उनकी रचना से लिए एक वाक्य आप को बताते है “हाड़ कपा देने वाली सर्दियों की रातो में खेतो की रखवाली की तखलीफ़ खेत जलजाने से कहीं ज्यादा थी किसानो के लिए इसलिए उस का जब खेत जल जाता है तो मुहँ से उसके निकलता है चलो अब रात को पहरेदारी तो नही करनी पड़ेगी”
आज भी न जाने कितने लोग है जो जिंदगी की तकलीफ के सामने हार जाते है और हाथ पर हाथ रख कर बेठ जाते है. इंसान के भीतर छुपे ऐसे गुण मनुभावो को करीब 100 साल पहले किसी फिल्म की तरह सामने रख देता था जिंदगी का वो चितेरा जिसे आप हम सभी कहते है “कलम का सिपाही” आइये विस्तार पूर्वक मुंशी प्रेमचंद के जीवन के बारे में जानते है.
नाम | मुंशी प्रेमचंद |
असली नाम | धनपत राय |
माता | आनंदी देवी |
पिता | अजायब राय |
जन्म | 31 जुलाई 1880 |
जन्म स्थल | लमही (वाराणसी) |
पत्नी | शिवरानी देवी |
मृत्यु | 8 अक्टूबर 1936 |
प्रथम हिंदी कहानी | सोत (1915) |
कार्यक्षेत्र | लेखक, साहित्यकार |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
भाषा | हिन्दी, उर्दू |
विषय-सूची
मुंशी प्रेमचंद जी की जीवनी (Munshi Premchand Biography in Hindi)
31 जुलाई 1880 में प्रेमचंद का जन्म हुआ था उनकी माँ का नाम आनंदी देवी था और पिता का नाम मुंशी अजायब राय था. उनके पिताजी लहरी गाँव में डाक मुंशी थे. माता पिता ने प्रेमचंद का नाम धनपत राय रखा था. जब प्रेमचंद 8 साल के थे तब उनकी माता की मृत्यु हो गयी थी. इसके बाद प्रेमचंद के पिताजी ने दूसरी शादी कर ली.
शोतेली माँ का व्यवहार प्रेमचंद के साथ बहुत खराब था. जिस उम्र में उन्हें प्रेम की आवश्कता थी उस समय सिर्फ उन्हें डाट- डपट के आलावा कुछ नही मिला. प्रेमचंद जब 15 साल के थे तब उनके पिता ने उनकी शादी करा दी थी. साल भर बाद ही पिता के देहांत के बाद पांच लोगो के परिवार की जिम्मदारी उनके कंधो पर आ गयी थी.
इन्ही हालत के बाद प्रेमचंद ने लिखना शुरु किया था. हालाँकि तेरह साल की उम्र में ही प्रेमचंद ने लिखना शुरु कर दिया था. प्रेमचंद उस समय इतने गरीब थे की उनके पास पहनने के लिए कपड़े भी नही थे. घर के खर्चे चलाने के लिए प्रेमचंद को अपने घर की कीमती वस्तुओं के साथ- साथ अपना कोट और किताबे भी बेचनी पड़ी.
यह भी पढ़ें – 10 सर्वश्रेष्ठ हिंदी उपन्यास – Best Hindi Novels
इसी दोरान जब वो अपनी पुस्तके एक दुकान पर बेचने निकले तो उन्हें वह एक विधालय के हेडमास्टर मिले उन्होंने प्रेमचंद को अपने विधालय में अध्यापक की नोकरी पर रख लिया. 1905 में प्रेमचंद पत्नी विवाद की वजह से घर छोड़ कर चली गयी और फिर कभी लोट कर वापस नहीं आयी.
पत्नी से सम्बन्ध खत्म होने के प्रेमचंद ने दूसरी शादी शिवरानी से विवाह कर लिया. शिवरानी एक विधवा थी इसीलिए प्रेमचंद ने उनसे विवाह किया था.
लेकिन उनकी पहली हिंदी कहानी 1915 में सरस्वती पत्रिका में “सोत” नाम से प्रकाशित हुई थी. इस बीच 1919 में बीए पास करने के बाद प्रेमचंद को शिक्षा विभाग में इंस्पेक्टर की नोकरी भी मिल गयी थी. तो बाद में दूसरी तरफ साहित्य का सफर भी मरते दम तक जारी रहा. 8 अक्टूबर 1936 को उनकी मृत्यु हो गयी थी.
अपनी मोत से दो साल पहले अपनी आर्थिक स्थति में सुधार करने के लिए मायानगरी मुंबई गये थे. अजन्ता कम्पनी में कहानी लेखक की नोकरी भी की लेकिन फिल्म उधोग उन्हें रास नही आया. साल भर में ही कॉन्ट्रैक्ट पूरा किये बिना लोट आये थे.
मुंशी प्रेमचंद की शिक्षा (Munshi Premchand’s Education)-
प्रेमचंद के घर की हालत खराब थी इसलिए उन्होंने एक साधारण विधालय में पढाई की थी वे पढाई करने के लिए अपने गाँव से नंगे पांव ही पैदल बनारस जाया करते थे. उनकी शुरु से ही उर्दू और हिंदी भाषा में पकड़ रही है. लेकिन उर्दू भाषा उन्हें अच्छी लगती थी शायद इसी कारण उन्होंने पहले अपनी रचनाये उर्दू में लिखी.
उन्होंने 1898 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी इसके साथ ही उन्होंने एक स्थानीय विधालय में शिक्षक की नोकरी करने लगे और उन्होंने अपनी पढाई जारी रखी और 1910 में उन्होंने अंग्रेजी, दर्शन, फारसी और इतिहास लेकर इंटर पास किया.
प्रेमचंद पढ़ लिख कर वकील बनना चाहते थे, लेकिन गरीबी की वजह से उनका यह ख्वाब पूरा नही हो पाया. इस बीच वो बच्चो को ट्यूशन पढ़ाने लगे और इससे उन्हें पांच रूपये मिलते थे. इसमे से तीन रूपये वे अपने घर वालो को देते थे और बचे दो रूपये से वो अपनी जिंदगी की गाड़ी को आगे बढ़ाते थे.
तभी प्रेमचंद का साहित्य की तरफ झुकाव बढ़ गया. प्रेमचंद ने उपन्यास पढना प्रारम्भ कर दिया. उन पर किताब पढने का असा जनून सवार हुआ की उन्होंने किताब बेचने वाले की दुकान में ही साडी किताबे पढ़ डाली. इसके बाद 1919 में बीए पास की और फिर शिक्षा विभाग में इंस्पेक्टर की नोकरी करने लगे.
प्रेमचन्द के प्रसिद्ध उपन्यास (Premchand’s Famous Novels)-
उपन्यास | प्रकाशन का वर्ष |
असरारे मआबिद उर्फ़ देवस्थान रहस्य | 1903-1905 |
सेवासदन | 1918 |
प्रेमाश्रम | 1922 |
रंगभूमि | 1925 |
निर्मला | 1925 |
कायाकल्प | 1927 |
गबन | 1928 |
कर्मभूमि | 1932 |
गोदान | 1936 |
मंगलसूत्र (अपूर्ण) | – |
मुंशी प्रेमचन्द के प्रसिद्ध नाटक (Munshi Premchand’s Famous Drama)-
- संग्राम – 1923
- कर्बला – 1924
- प्रेम की वेदी – 1933
प्रेमचन्द की प्रसिद्ध कहानियाँ (Best Stories of Premchand)-
- गुल्ली डंडा
- ईदगाह
- दो बैलों की कथा
- पंच परमेश्वर
- पूस की रात
- ठाकुर का कुआँ
- बूढ़ी काकी
- दूध का दाम
- कफन
- पंच परमेश्वर आदि है.
मुंशी प्रेमचंद विशेष (Munshi Premchand Special)-
#1 लिव इन रिलेशनशिप पर जिसने 100 साल पहले लिखा, जिसकी कलम से डर गये अंग्रेज. उस विद्रोही की कहानी जिसे दुनिया कहती थी कलम का सिपाही,
#2 हम बात कर रहे है कलम के सिपाही प्रेमचन्द की उपन्यास सम्राट प्रेमचन्द की हिंदी कहानी के पितामाह की, जिन्होंने हिन्दू कहानी को तिल्स्म्यारी और जादूगरी से निकाल कर आम आदमी की कहानी, आम आदमी की भाषा बना दिया.
#3 हिंदी में उर्दू के सहज इस्तेमाल से वो जुबान दी जिसमे पिछले 100 वर्ष में बनने वाली अनगंत फिल्मो ने करोड़ो का कारोबार किया और कर रही है.
#4 प्रेमचंद को आज जमाना भूल गया है लेकिन 100 साल पहले उन्होंने “जमाना” नाम की पत्रिका में ही धारावाहिक कहानियाँ “सूजे वतन” लिखी थी.
#5 प्रेमचंद की कहानी “सोजे वतन” से अंग्रेज इतना डर गए थे की उनका एक हाथ कटवाने की कोशिश भी की गयी लेकिन वहाँ का दारोगा रहमदिल था तो उनका नाम ही बदल दिया था और उन्हें बिना इजाजत कहानिया लिखने के लिए मना कर दिया था. इसी के बाद “धनपतराय” के नाम से कहानिया लिखने वाले कलम का सिपाही प्रेमचन्द हो गया लेकिन उनकी कलम नही डरी. वो गुलाम भारत के समाज की कुरूतियो को किसी माहिर सर्जन की तरह चीर-फाड़ करने लगे.
#6 सेवासदन, कफन, गोदान, निर्मला, रंगभूमि उनकी करीब 300 से अधिक रचनाओ में बहुतो का अनुवाद अंग्रेजी, रुसी, जर्मनी समेत दुनिया की तमाम भाषाओ में हुआ इन रचनाओ में एक कहानी “मिस पदमा” भी जो ऐसी आजाद ख्याल वकील की कहानी है जो एक प्रोफेसर के साथ बिना शादी के रहती है और धोखा खाती है. लिव इन रिलेशनशिप आज के दोर की घटना हो सकती है लकिन ऐसा होगा यह भविष्यवाणी प्रेमचंद 100 साल पहले कर चुके थे.
#7 अपनी प्रगतिशील सोच और अपनी कहानियों के मुताबित ही प्रेमचंद ने पहली शादी नाकाम होने के बाद एक बालविवाह शिवरानी से विवाह किया था जो उस जमाने में बहुत बड़ी बात थी
#8 महात्मा गाँधी को फटकार – जब उस जमाने में हिंदुस्तान में भूकंप आया तो महात्मा गांधीजी ने कहा की ये हम भारतवासियों के पाप का परिणाम है, प्रेमचंद ने फोरन हास्य सम्पाद में लिखा कि बापू बात बिल्कुल गलत है, अवैज्ञानिक है, भूकंप का हम भारतवासियों के पाप या पूर्णय से कोई लेना देना नही है यह एक शुद्ध वैज्ञानिक प्रक्रिया है भूकंप और इसलिए भूकंप आया है.
#9 वाराणसी से 4 किलोमीटर दूर उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद का पुश्तेनी गाँव लमही है
#10 प्रेमचंद का संघर्ष केवल किताबो में ही नही उनकी रचनाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी नोजवानो की प्रेरणा बनी रही है और उनकी रचना के पात्र अब मूर्तियों की शक्ल भी ले चुके है.
#11 प्रेमचंद आज भी इसलिए याद किया जाते है क्योंकी उनकी कहानियाँ झूठी नही थी उनकी कहानियों के किरदार गढ़े हुए नही थे बल्कि लमही के आस-पास से उठाये गये थे.
#12 प्रेमचंद की कहानियों पर फिल्मे भी बन चुकि है जैसे शतरंज के खिलाड़ी, गोदान, हीरा-मोती और गबन. यही नही जाने माने कृतिकार निर्देशक गुलजार भी प्रेमचन्द को श्रधांजलि देने के लिए उनकी रचनाओ पर करीब डेढ़ दशक पहले दूरदर्शन के लिए “तहरीर” सीरियल का निर्माण कर चुके है.
#13 मनरेगा मजदुर के जमाने में प्रेमचंद की कहानी “कफ़न” मजदूर की मजबूरी को सबसे मजबूत तरीके से उठाती है.
#14 शुरुवात में प्रेमचंद हिंदी की बजाए उर्दू में लिखा करते थे
#15 1918 में मुंशी प्रेमचंद का पहला उपन्यास “सेवासदन” प्रकाशित हुआ था, लेकिन वो इसे पहले ही उर्दू में बाजार-ए-हसन के नाम से लिख चुके थे.
#16 1921 में आये किसान जीवन पर उनके पहले उपन्यास प्रेमाश्रम भी पहले उर्दू में गोसा आफ़ियत नाम से तैयार हुआ था. हालाँकि दोनों ही उपन्यासों को उन्होंने पहले हिंदी में प्रकाशित कराया था.
#17 जब मुंशी प्रेमचंद लिखने बैठते थे उसके बाद उन्हें खाने (भूख) का भी पता नही चलता था और प्रेमचंद हुक्का पीने के शोकीन थे.
यह भी पढ़ें –
Very very good bro
Thank you, Bhumika
Arre good yaar bahut badhiya hai bae
Badhiya bhai, sarahna ke liye bhut bhut dhanyawad.
प्रेमचंद जी की पहली पत्नी का नाम क्या था? वे कितने वर्ष साथ में रही तथा उनसे कितनी संतानें पैदा हुई?
Aap log ne jo biography di vo best hai👍mere bahut caam aai thank you 🙏🙏
DEVASHISH MIRJHA, Sarahna ke liye aap ka bhut bhut dhanyawad aise hi biography padhne ke liye hindiyatra par aate rahe.
more about munshi premchand
Divyansh Singh Chauhan ji aap munshi premchand ji ke bare me or jankari wikipedia se le sakte hai.
keep writing about famous personalities
Welcome Sneha for appreciation, we glad you like our content.
Bahut badhiya yarr bery good I loave it.
Thank you Badhiya bhai and keep visiting hindi yatra.
That’s great that in now days people love these info. Keep writing to make us know about these great personalities.
Thank you Prince for appreciation, Yes, we will continue to write about the great people.
best pages long pages OK very good
Thank you Aditya sahani, keep visiting our website.
Its such a proud thing that munshi premchand was a great man and I am proud of you that you share information and keep sharing information like this only. Well done!
Thank you Ojaswee for encouraging, we keep sharing the biography of such great people. You can visit our website every day.