दोस्तों हमारे जीवन में खेलों का बहुत महत्व है, आज हम भारत के परंपरागत खेल खो-खो के बारे में हिंदी में लिखने वाले हैं। खो-खो पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है। बढ़ती तकनीक के कारण लोग अभी इस खेल को कम ही खेलते है। जबकि खुले मैदानों में खेले जाने वाले खेलों से हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है।
Kho Kho Essay Hindi me School or College ke Student ke Liye – 100, 200, 300, 500 or 800 words.
विषय-सूची
Mera Priya Khel Kho Kho in Hindi
(1) खो-खो खेल पर निबंध (100 शब्द) Essay on Kho Kho in Hindi 100 words
मुझे खो-खो खेलना बहुत पसंद है। में और मेरे दोस्त रोज विद्यालय में इस खेल को खेलते है। इस खेल में किसी प्रकार अन्य वस्तुओं की आवश्यकता नहीं पड़ती इसलिए सभी वर्ग के छात्र-छात्राएं खो खो खेल सकते है। यह भारत का सबसे पुराना और ग्रामीण इलाकों में बहुत लोकप्रिय खेल है। खो खो खेल खुले मैदान में खेला जाता है जिससे हमारा शरीर चुस्त और तंदुरुस्त रहता है।
इस खेल को खेलने के बाद हमारे शरीर में किसी भी प्रकार का आलस्य नहीं रहता है। खो-खो खेल में 2 टीम होती हैं और दोनों टीमों में 9 खिलाड़ी होते है जो कि कुल मिलाकर 18 हो जाते है। इस खेल को खेलने के लिए प्रत्येक गांव में भरपूर ऊर्जा, तंदुरुस्ती और कौशल की आवश्यकता होती है।
(2) खो-खो खेल पर निबंध (300 शब्द) Mera Priya Khel Kho Kho in Hindi 300 words
मैं बहुत सारे खेल खेलता हूं जैसे कि हॉकी फुटबॉल बैडमिंटन क्रिकेट लेकिन मुझे इन सब में सबसे ज्यादा खो-खो खेलना पसंद है। खो खो और कबड्डी हमारे देश में परंपरागत रूप से पुराने जमाने से ही खेलें जाते रहे है। हमारे देश में खो-खो खेल बहुत प्रसिद्ध है लेकिन यह सबसे ज्यादा लोकप्रिय पंजाब राज्य में है। यह खेल खुले वातावरण और खुले मैदान में खेला जाता है। कहां जाता है कि खो-खो गरीबों का खेल है क्योंकि इसको खेलने के लिए हमें पैसों की आवश्यकता नहीं पड़ती है इसलिए हमारे गांव में रहने वाले मेरे सभी दोस्त इस खेल को खेलना बहुत पसंद करते है। इस खेल को खेलते समय चोट लगने का भी खतरा बहुत कम होता है क्योंकि यह खुले और मिट्टी के मैदान में खेला जाता है जिससे गिरने पर भी चोट नहीं लगती है।
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खो-खो खेल में हर एक टीम में 9 सदस्य होते है। इस खेल को खेलने वाले धावक में स्फूर्ति का होना बहुत जरूरी होता है क्योंकि इस खेल में मुख्यत: दौड़ ही लगाई जाती है। खो खो खेलने से हमारे हाथ और पांव की मांसपेशियां मजबूत होती है। इस खेल को खेलने से हमारी सोचने समझने की शक्ति बढ़ती है।
इस खेल को खेलने के लिए एक मैदान में एक निश्चित दूरी पर दो खंभे लगा दिए जाते हैं और उनके बीच दोनों टीमों के धावक एक दूसरे के विरुद्ध दिशा में बिठा दिया जाते है। और दोनों दलों से 11 खिलाड़ी खड़ा रहता है और सीटी बजते ही एक टीम का खिलाड़ी दूसरी टीम के खिलाड़ी को पकड़ने लग जाता है। और अगर वह खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी को पकड़ लेता है तो दूसरी टीम का धावक खेल से बाहर हो जाता है।
इस खेल को शांतिपूर्वक खेला जाता है और इसे खेलने से आपस में भाईचारा भी बढ़ता है। और साथ ही हमारे पूरे शरीर का एक साथ विकास होता है।
(3) खो-खो खेल पर निबंध (700 शब्द) Mera Priya Khel Kho Kho Essay in Hindi
हमारा भारत देश विभिन्न परंपरागत खेलों को खेले जाने के लिए विख्यात है और हमारे परंपरागत खेल ऐसे होते थे जिनमें किसी भी प्रकार की धनराशि की जरूरत नहीं होती थी और इसे हर वर्ग के बच्चे खेल सकते थे। आजकल खेलों का महत्व कम हो गया है क्योंकि कंप्यूटर और मोबाइल आने की वजह से बच्चे अब उन्हीं में खेल खेलते रहते है। जिससे उनका विकास रुक जाता है और मांसपेशियां मजबूत नहीं हो पाती है।
आजकल तो घरों में खेले जाने वाले खेल इतने बढ़ गए हैं कि लोग बाहर खेलने जाते ही नहीं है। लोग इस बात को समझ ही नहीं पा रही हैं कि हमारे जीवन में खेलों का कितना महत्व होता है। हमारे देश में मुख्य रूप से हॉकी कबड्डी और खो-खो खेला जाता है। यह ऐसे खेल है जिन्हें मैदानों में खेला जाता है जिससे बच्चों का पूर्ण शारीरिक विकास होता है। सन् 1960 में विजयवाड़ा में प्रथम राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इस खेल को खेलने वाले प्रमुख खिलाड़ी सुधीर भास्कर परब, कु। अचला सूबेराव देवरे, हेमंत मोहन तकालकर, सत्यन प्रकाश, सुश्री शोभा नारायन आदि है।
मेरा सबसे पसंदीदा खेल खो-खो है क्योंकि इस खेल को खेलने से मेरा पूरा शरीर तंदुरुस्त रहता है और साथ ही मेरे सोचने समझने की शक्ति भी बढ़ती है। इस खेल को खेलने के बाद मैं एकाग्र होकर पढ़ाई कर सकता हूं। खो खो खेल को खेलने से मेरे पूरे शरीर में रक्त स्त्राव तेजी से होता है और मेरा पूरा शरीर स्वस्थ रहता है।
खो खो खेलने के लिए 51 फुट चौड़ा और 111 फीट लंबे मैदान की आवश्यकता होती है। मैदान के दोनों छोर से 10 फुट जगह छोड़कर 4 फुट लंबे दो खंबे गाड़ दिए जाते है। इस खेल को खेलने के लिए दो टीमें होती हैं जिनमें प्रत्येक टीम में 9 खिलाड़ी होते है और 8 अतिरिक्त खिलाड़ी होते है। यह 8 अतिरिक्त खिलाड़ी इसलिए होते हैं कि अगर इस खेल को खेलते समय किसी एक खिलाड़ी को छोटा जाती है तो उसकी जगह है इनमें से एक खिलाड़ी को ले लिया जाता है।
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दोनों खंबों के बीच 230 मीटर की दूरी पर दो समांतर रेखाएं खींची जाती हैं। इन रेखाओं से गली में 30 से।मी। x 30 से।मी। के 8 वर्ग बन जाते है। इन रेखाओं के बीच में दोनों टीमों के खिलाड़ियों को एक दूसरे के विरुद्ध दिशा में बिठा दिया जाता है। फिर खेल को खेलने के लिए अंपायर द्वारा सिक्का उछालकर टॉस किया जाता है। जो भी टीम टॉस जीतती है। वह सबसे पहले खेलती है।
प्रत्येक टीम को खेलने के लिए 7 मिनट का वक्त दिया जाता है। दोनों टीमों से एक ही खिलाड़ी को खड़ा किया जाता है उनमें से एक खिलाड़ी विपक्ष की टीम के खिलाड़ी को पकड़ता है। जब पकड़ने वाला खिलाड़ी विपक्ष की टीम खिलाड़ी के निकट आ जाता है तो वह अपनी टीम के खिलाड़ी को “खो” शब्द का उच्चारण करके हाथ लगाता है और उसकी जगह बैठ जाता है और जिस खिलाड़ी को हाथ लगाया जाता है वह दौड़ने लग जाता है। अब विपक्ष वाली टीम के खिलाड़ी को उस दूसरे धावक को पकड़ना होता है। इसी के विपरीत प्रक्रिया विपक्षी टीम द्वारा भी की जाती है।
इसमें वही टीम विजय होती है जिसके सबसे ज्यादा खिलाड़ी टीम से बाहर हो जाते है। हमारे देश में इस खेल को खेलने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं यह प्रतियोगिताएं विद्यालय स्तर जिला स्तर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाती है। खो खो खेल खेलने के जीवन में बहुत महत्व है और साथ ही इसके बहुत सारे लाभ भी हैं जो कि इस प्रकार है –
खो खो खेल खेलने के लाभ – Kho Kho ke Labah
- खो खो खेलने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं।
- इस खेल को खेलने से शरीर एकदम फिट रहता है और मोटापे जैसी बीमारियां नहीं होती है।
- इस खेल को खेलने से शरीर चुस्त तंदुरुस्त बना रहता है।
- खो खो खेलने से हमारे शरीर का विकास पूर्ण रुप से होता है।
- इसे खेलने से हमारे शरीर कि हाथों और पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती है।
- इसे खेलने से हमारा स्वभाव कभी भी चिड़चिड़ेपन का शिकार नहीं होता है।
- खो खो खेलने से आलस्य नहीं होता है और साथ ही मन शांत रहता है।
- खो खो खेलने से एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है।
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Kuch Khash nhi h but a6 h
Parsnsha ke liye Dhanyawad, Yogita Chaurasiya
kho-kho-hemare-liye-behot-avsheyak-hai
RAKESH RAMAN DHALLA Aap ne shi bola outdoor khel bhut avashyak hai.
Very nice essay is main sari information hai kho kho ke bare main thank you
Dhanyawad afsha, Aap ko hamare duvara likha gya essay aacha laga hame bhut khushi hui, aise website par aate rahe.
Excellent, Very good essay for my work. Thank you very much.
Welcome Tarun Kumar, keep visiting our website.
Thank you for give essay
Welcome Tanaji singare. keep visiting our website.
U r essays are very important
Thank you Dinesh ji
U r essays are very nice and good
Nice but there’s no full stop in hindi ।
We have made improvements in this essay, thank you very much for your suggestions.
Mujhe ye nibhandh bahut aacha laga……iss m kho kho k bare m sare information h … thanks
आप को हमारे द्वारा लिखा गया लेख अच्छा लगा हमे बहुत ख़ुशी हुई, प्रांजल जी हमारे लेख की सराहना करने के लिए आप का बहुत बहुत “धन्यवाद”.
यह निबंध बहुत अच्छा है
मुझे यह निबंध बहुत अच्छा लगा
हमे ख़ुशी हुई आप को हमारे द्वारा लिखा गया निबन्ध अच्छा लगा, वेबसाइट पर आते रहे हम रोज नये निबन्ध उपलब्ध करवाते रहते है. धन्यवाद