करवा चौथ व्रत कथा – Karva Chauth ki Kahani / Katha [PDF]

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Karva Chauth ki Kahani / Katha PDF In Hindi : करवा चौथ का व्रत करने वाली महिलाओं के लिए  विनायक जी और चौथ माता की कहानी सुननी बहुत आवश्यक होती है। जो भी महिलाएं चौथ माता और विनायक जी की कहानी सुनती हैं  उन्हीं का व्रत सफल माना जाता है और पूरा होता है।

इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर 2023 बुधवार को रखा जाएगा।  इस बार करवा चौथ की पूजा करने के लिए 01 घंटा 18 मिनट का समय ही मिलेगा इसलिए पहले से ही पूजा सामग्री थाल में सजाकर रखनी होगी।

करवा चौथ व्रत का समय

चतुर्थी तिथि कब से कब तक: 31 अक्टूबर को चतुर्थी तिथि रात 09 बजकर 30 मिनट से प्रारंभ होगी और 01 नवंबर को रात 09 बजकर 19 मिनट तक रहेगी।

Karva Chauth ki Kahani Katha PDF In Hindi

द्रिक पंचांग के अनुसार, करवा चौथ व्रत 01 नवंबर को सुबह 06 बजकर 33 मिनट से प्रारंभ होगा और रात 08 बजकर 15 मिनट तक रखा जाएगा। व्रत की कुल अवधि 13 घंटे 42 मिनट की है।

गणेशजी विनायकजी की कहानी

एक अन्धी बुढ़िया थी जिसका एक लड़का और लड़के की बहू थी। वो बहुत गरीब था। वह अन्धी बढ़िया नित्यप्रति गणेशजी की पूजा किया करती थी। गणेशजी साक्षात्‌ सन्मुख आकर कहते थे कि बूढ़िया माई तू जो चाहे सो मांग ले । 

बुढ़िया कहती मुझे मांगना नहीं आता सो कैसे और क्या मांगू। तब गणेशजी बोले कि अपने बहू बेटे से पूछकर मांग ले। तब बुढ़िया ने अपने पुत्र और वधू से पूछा तो बेटा बोला कि धन माँग ले और बहू ने कहा कि पोता मांग ले। 

तब बुढ़िया ने सोचा कि बेटा ये तो अपने-अपने मतलब की बातें कर रहें हैं । अत: उस बुढ़िया ने पड़ौसियों से पूछा तो पड़ौसियों ने कहा कि बुढ़िया तेरी थोड़ी सी जिन्दगी है । क्यों मांगे धन और पोता, तू तो केवल अपने नेत्र मांग ले जिससे तेरी शेष जिन्दगी सुख से व्यतीत हो जाये। 

उस बुढ़िया ने बेटे और बहू तथा पड़ौसियों की बात सुनकर घर में जाकर सोचा, जिससे बेटा बहू और मेरा सबका ही भला हो बह भी मांग लूँ और अपने मतलब को चीज भो मांग लूँ। जब दूसरे दिन श्री गणेशजी आये और बोले,

बोल बुढ़िया क्या माँगती है । 

हमारा वचन है जो तू मांगेगी सो ही पायेगी । गणेशजी के वचन सुनकर बढ़िया बोली है गणराज यदि आप मुझ पर प्रग्तनन हैं तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आँखों में प्रकाश दें, नाती पोता दें, और समस्त परिवार को सुख दें, और अन्त में मोक्ष दें। 

बुढ़िया की बात सुनकर गणेशजी बोले बुढ़िया मां तूने नो मुझे ठग लिया । खैर जो कुछ तूने मांग लिया वह सभी तुझे मिलेगा। यूँ कहकर गणेशजी अन्तर्ध्यान हो गए। 

है गणेशजी जैसे बुढ़िया मां को मांगे अनुसार आपने सब कुछ दिया है वैसे ही सबाको देना। और हमको भी देने को कृपा करना।

गणेशजी विनायकजी की कहानी

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Karva Chauth ki Kahani – करवा चौथ व्रत कथा / कहानी

Karva Chauth ki Kahani - करवा चौथ व्रत कथा कहानी

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एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। सेठानी के सहित उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात्रि को साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा। 

इस पर बहन ने बताया कि उसका आज उसका व्रत है और वह खाना चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है। सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। जो ऐसा प्रतीत होता है जैसे चतुर्थी का चांद हो। 

बहन ने अपनी भाभी से भी कहा कि चंद्रमा निकल आया है व्रत खोल लें, लेकिन भाभियों ने उसकी बात नहीं मानी और व्रत नहीं खोला।  बहन को अपने भाईयों की चतुराई समझ में नहीं आई और उसे देख कर करवा उसे अर्घ्‍य देकर खाने का निवाला खा लिया।  जैसे ही वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है उसे छींक आ जाती है।

दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तभी उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बेहद दुखी हो जाती है। उसकी भाभी सच्चाई बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। 

इस पर करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। शोकातुर होकर वह अपने पति के शव को लेकर एक वर्ष तक बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही। 

उसने पूरे साल की चतुर्थी को व्रत किया और अगले साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी फिर से आने पर उसने पूरे विधि-विधान से करवा चौथ व्रत किया, शाम को सुहागिनों से अनुरोध करती है कि ‘यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो’  

जिसके फलस्वरूप करवा माता और गणेश जी के आशीर्वाद से उसका पति पुनः जीवित हो गया। जैसे गणपति और करवा माता ने उसकी सुनी, वैसे सभी की सुनें, सभी का सुहाग अमर हो।

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