Essay on Dussehra in Hindi – दोस्तों आज हम दशहरा त्योहार पर निबंध लिखने जा रहे है। हमारे देश भारत में त्योहारों का बहुत महत्व है हमारे देश में प्रत्येक त्यौहार बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
दशहरा त्योहार पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है। इस निबंध की सहायता से विद्यार्थी अपनी जानकारी बढ़ा सकते हैं और साथ ही परीक्षाओं में भी इस निबंध का इस्तेमाल कर सकते है।
Essay on Dussehra in Hindi for school student under 100, 200, 300, 500 or 1500 words.
विषय-सूची
Best Essay on Dussehra in Hindi 100 words
भारत में दशहरा त्यौहार का बहुत महत्व है दशहरा भारत में पौराणिक काल से ही मनाया जाता आ रहा है। दशहरा हिंदू धर्म से जुड़ा हुआ त्योहार है यह 10 दिनों तक बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसके मनाए जाने का कारण पौराणिक कथाओं में सुनने को मिलता है जिसके अनुसार जब रावण द्वारा माता सीता का हरण कर लिया गया था
तब भगवान श्रीराम ने रावण से आग्रह किया था कि वह मां सीता को सकुशल वापस लौटा दी नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। लेकिन रावण अपने अहंकार में इतना चूर हो गया था कि उसने भगवान राम की बात नहीं मानी।
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अंत में भगवान श्रीराम ने विजयदशमी के के दिन लंका नरेश रावण का वध कर दिया। दशहरा त्योहार पर रावण का पुतला जलाया जाता है और इससे यह संदेश मिलता है कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है।
Latest Essay on Dussehra in Hindi 200 words
दशहरा भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। दशहरा त्योहार को पूरे भारत में अलग-अलग तरह से पूरे हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है। यह त्योहार अशिवन महीने के शुक्ल पक्ष में दस दिनों तक मनाया जाता है।
भारत में यह त्यौहार विभिन्न रीति रिवाजों के अनुसार विभिन्न प्रांतों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है जैसे कि पश्चिमी बंगाल झारखंड बिहार आदि राज्यों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है
यह पूजा 9 दिनों तक लगातार की जाती है जिसमें प्रत्येक दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है।
विजयदशमी के दिन मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध किया था और उसी दिन भगवान राम ने भी अहंकारी रावण का वध किया था। उत्तर भारत में इन 9 दिनों में रामलीला का मंचन किया जाता है
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जिसमें बताया जाता है कि भगवान राम ने रावण का वध कैसे किया और दसवें दिन रावण के साथ मेघनाद, कुंभकर्ण का पुतला भी जलाया जाता है।
दशहरा त्योहार के माध्यम से बताया जाता है कि असत्य कितना भी मजबूत क्यों ना हो सत्य की एक किरण उसे हरा ही देती है। इस त्यौहार को असत्य पर सत्य की जीत पर मनाया जाता है।
Dussehra Par Nibandh 300 words
प्रस्तावना –
दशहरा त्योहार को पूरे भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाता है इस पर्व पर खूब मिठाइयां बांटी जाती है खूब ढोल नगाड़े बजाए जाते है। विजयादशमी के इस पावन दिन पर असत्य पर सत्य की जीत हुई थी।
दशहरा त्योहार हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है यह पर्व दीपावली से करीब 20 दिन पहले आता है।
दशहरा का आयोजन –
इस पर्व को विजयादशमी और दशहरा के नाम से जाना जाता है इस पर्व को विजयदशमी का नाम देने के पीछे भी एक बहुत बड़ी पौराणिक मान्यता है जिसके अनुसार इस दिन मां दुर्गा ने असुर महिषासुर का वध किया था।
इसलिए बिहार झारखंड पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है कुछ लोग इन 9 दिनों में उपवास भी रखते है। इस 9 दिन तक चलने वाले त्यौहार को नवरात्रि भी कहा जाता है जिसमें माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है
इन दिनों में सुबह शाम माता की आरतियां होते हैं प्रसाद बांटे जाते हैं खूब ढोल-नगाड़े बजाए जाते है और लोग प्रसन्नतापूर्वक इस त्यौहार को मनाते है चूँकि मां दुर्गा ने विजयदशमी के दिन महिषासुर का वध किया था तो बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी।
इसी प्रकार उत्तर भारत के लोग भी अपनी एक अलग मान्यता के अनुसार इस त्यौहार को मनाते हैं जिसमें 9 दिनों तक रामलीला का मंचन किया जाता है जिसमें वास्तविक लोगों द्वारा यह दर्शाया जाता है कि इस प्रकार माता सीता का अपहरण हुआ और किस प्रकार भगवान श्रीराम ने अहंकारी रावण का वध किया।
चूँकि रावण के दस सिर थे इसलिए इस त्यौहार को दस दिनों तक मनाया जाता है और दसवें दिन असत्य पर सत्य की जीत को दर्शाने के लिए और लोगों को सत्य का साथ देने के लिए प्रेरित किया जाता है जिसमें रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले जलाए जाते है।
उपसंहार –
जिस से यह प्रतीत होता है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो उसका अंत निश्चित है। इसलिए हमें हमेशा सत्य का साथ देना चाहिए।
Essay on Dussehra in Hindi 500 words
भूमिका –
भारत एक धार्मिक परंपरा वाला देश है जहां पर हर रोज़ कोई ना कोई त्यौहार होता है लेकिन सबसे बड़े त्योहारों की बात करें तो उनमें से एक दशहरा भी है जोकि लगातार 10 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है।
यह अक्टूबर और नवंबर माह के बीच में दीपावली से करीब 3 सप्ताह पहले आता है। इस दौरान खूब बड़े-बड़े धार्मिक आयोजन किए जाते हैं मिठाइयां बांटी जाती हैं लोग एक दूसरे से गले मिलकर त्यौहार की बधाइयां देते है।
दशहरा त्योहार के आते ही सरकार द्वारा भी इन दिनों स्कूल और सरकारी कार्यालयों की छुट्टियां कर दी जाती हैं जिससे कि सभी लोग इस त्यौहार का पूरी तरह से आनंद उठा सके।
दशहरा का महत्व –
दशहरा एक त्यौहार ही नहीं है इस दिन पूरे परिवार के लोग एक दूसरे से मिलने आते हैं जिससे इस त्यौहार का महत्व और भी बढ़ जाता है।
चूँकि भारत विभिन्न परंपरा वाला देश है इसलिए यहां पर अलग-अलग भाषाएं अलग-अलग परंपराएं हैं जिसके अनुसार इस त्यौहार का लोग अपनी परंपरा के हिसाब से आयोजन करते है। लेकिन सभी परंपराओं में इसका मूल उद्देश्य एक ही होता है।
इस त्यौहार से जन जन में यही संदेश पहुंचाया जाता है कि असत्य पर हमेशा सत्य की ही जीत होती है। बुराई का अंत निश्चित है इसलिए बुरा काम करने से बचें। दशहरा त्यौहार मनाए जाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं है जिनमें से एक यह कि भगवान श्री राम के भाई लक्ष्मण ने जब रावण की बहन सूर्पनखा का नाक काट दिया था
तब रावण ने नाराज होकर भगवान श्री राम की पत्नी माता सीता का अपहरण कर लिया। भगवान श्री राम ने वानर सेना, हनुमान जी, लक्ष्मण, सुग्रीव आदि के साथ मिलकर माता सीता को छुड़ाने की योजना बनाई।
इससे पहले उन्होंने मां दुर्गा की पूजा की जिससे उन्होंने यह जान लिया था कि रावण का वध कैसे किया जाए। रावण और भगवान श्री राम के बीच युद्ध करीब 10 दिनों तक चला और दसवें दिन विजयदशमी के दिन भगवान राम ने रावण का वध कर दिया। और माता सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने में सफल रहे।
चूँकि रावण बहुत ही अहंकारी और अत्याचारी था इसलिए इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी इसलिए दशहरा मनाया जाता है और वर्तमान में अभी यह प्रथा कायम रखने के लिए लोगों द्वारा रामलीला का मंचन किया जाता है जिसमें भगवान श्री राम के वनवास जाने से लेकर रावण के वर्क तक का वर्णन किया जाता है और विजय दशमी के दिन रावण का पुतला जलाया जाता है।
भारत के कुछ राज्यों में दशहरा त्योहार को एक अलग ही पौराणिक मान्यता के अनुसार मनाया जाता है जिसमें मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इस में प्रतिदिन मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है जैसे कि काली, शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी ,कुष्मांडा आदि विभिन्न रूप धारण करती हैं और आसुरी शक्तियों का संहार करती हैं।
चूँकि मान्यता है कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस से करीब 9 दिनों तक युद्ध किया था क्योंकि महिषासुर राक्षस ने पृथ्वी पर तबाही मचा दी थी इसलिए विजयदशमी के दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का त्रिशूल मारकर वध कर दिया था। इसलिए इस दिन बुराई और असुरी ताकतों का अंत हुआ था।
निष्कर्ष –
इस त्यौहार को मनाने का प्रमुख कारण यही है कि पूरे भारत में यह संदेश पहुंचाया जा सके कि हमेशा सत्य की ही जीत होती है चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो।
Long Essay on Dussehra in Hindi
प्रस्तावना –
भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक दशहरा भी है दशहरा त्योहार भारत में पुरातन काल से ही बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। भारत को त्योहारों का देश भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर हर दिन कोई न कोई त्यौहार होता है।
दशहरा त्योहार को प्रत्येक वर्ग के लोग बड़ी धूमधाम से मनाते है। इस त्यौहार का अधिक महत्व है हिंदू धर्म और क्षत्रिय लोगों में बहुत ज्यादा होता है।
यह त्योहार हिंदी कैलेंडर के हिसाब से अशिवन महीने के शुक्ल पक्ष में दस दिनों तक मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे भारत के अलग-अलग प्रांतों में कई रोचक कहानियां एवं कथाएं सुनने को मिलती है। इस त्यौहार का भारत में अधिक महत्व इसलिए है।
क्योंकि यह दीपावली की तरह ही पूरे भारतवर्ष में प्रत्येक वर्ग के द्वारा हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस त्यौहार का अंतिम दिन विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है जिसके नाम से ही पता चलता है कि इस दिन इतिहास में कोई ऐसी घटना घटी होगी जिसमें बहुत बड़ी विजय हासिल की गई होगी।
दशहरा त्योहार क्या है –
दशहरा त्योहार हिंदू धर्म से जुड़ा हुआ एक प्रमुख त्योहार है यह अक्टूबर से नवंबर माह के बीच में और दीपावली से करीब तीन सप्ताह पहले मनाया जाता है। यह त्योहार हर्षोल्लास और विश्वास के साथ पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है
क्योंकि इस दिन जो भी कार्य किया गया है वह हमेशा सफल ही हुआ है। इस त्यौहार के माध्यम से हमें सच्चाई, आदर्श और नैतिकता की शिक्षा मिलती है। इस त्यौहार का प्रमुख उद्देश्य एक ही है कि सभी लोगों में संदेश पहुंचाया जा सके की बुराई का अंत निश्चित होता है और हमेशा अच्छाई और सत्य की ही जीत होती है। इसलिए बड़ी धूमधाम से मनाते हैं ताकि हर वर्ग के लोगों तक इसका संदेश पहुंचाया जा सके।
दशहरा त्यौहार क्यों मनाया जाता है-
भारत जैसे विशाल जनसंख्या एवं पौराणिक मान्यताओं वाले देश में इस त्यौहार को सभी लोग अपनी-अपनी पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार मनाते है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे हिंदू धर्म के ग्रंथों में दो प्रमुख घटनाओं का वर्णन किया जाता है विश्व में पहली घटना मां दुर्गा से जुड़ी हुई है और दूसरी भगवान श्री राम से आइए जानते है।
मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया –
हिंदू धर्म के ग्रंथों के अनुसार पुरातन काल में महिषासुर नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस हुआ करता था जिसने देवलोक से लेकर पृथ्वी पर भी अपना आतंक मचा रखा था। महिषासुर राक्षस को ऐसी शक्तियां प्राप्त थी कि कोई भी देवता उसके सामने टिक नहीं पा रहा था फिर मां दुर्गा से महिषासुर राक्षस का नाश करने की विनती की गई।
तब मां दुर्गा ने अपना रौद्र रूप दिखाते हुए लगभग 9 दिनों तक महिषासुर नाम के राक्षस से युद्ध किया उसके बाद विजय दशमी के दिन मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का अंत कर दिया क्योंकि इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी इसलिए इसी दिन को दशहरा त्यौहार के रूप में मनाया जाने लगा।
भगवान राम ने अहंकारी रावण का वध किया –
जब भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काट रहे थे तब अहंकारी रावण ने माता सीता का छलपूर्वक अपहरण कर लिया। भगवान राम ने रावण से माता सीता को सकुशल वापस लौट आने की विनती की लेकिन रावण ने इतना अहंकार भरा हुआ था कि वह नहीं माना।
तब भगवान राम ने रावण से युद्ध करने की सोची और भाई लक्ष्मण, सुग्रीव, हनुमान जी और वानर सेना के साथ मिलकर माता सीता को सकुशल वापस लाने की योजना बनाई। लेकिन लंका तक पहुंचने के लिए समुद्र पार करना आवश्यकता इसलिए वानर सेना द्वारा पत्थरों का एक पुल बनाया गया जो कि रामसेतु के नाम से जाना जाता है जिस के अवशेष आज भी भारत से श्रीलंका के बीच में देखे जा सकते है।
भगवान श्री राम की लंका पहुंचने के बाद अहंकारी रावण और राम के बीच में बहुत भयंकर युद्ध हुआ जिसमें लंका पूरी तरह तहस-नहस हो गई और विजय दशमी के दिन भगवान श्रीराम ने अहंकारी रावण के अहंकार को कुचलते हुए उसका वध कर दिया।
यहां पर यह बात जानने योग्य है कि रावण भगवान राम से बहुत ज्यादा ज्ञानी और शक्तिशाली था लेकिन फिर भी वह मारा गया।
इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर ज्ञान का अहंकार वश दुरुपयोग किया जाए तो उसका अंत निश्चित होता है। विजयदशमी के दिन असत्य पर सत्य की जीत हुई थी इसलिए दशहरा त्योहार मनाया जाता है।
दशहरा त्यौहार पर होने वाले कार्यक्रम –
दशहरा त्योहार के दिन अलग-अलग सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है जिसे लोग बड़ी ही धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाते है। इस दिन लोग खूब नाचते गाते हैं मिठाइयां बांटते हैं ढोल नगाड़े बजाते है और हर तरफ खुशियां ही खुशियां नजर आते है दशहरा त्योहार पर होने वाले प्रमुख कार्यक्रम इस प्रकार है –
दुर्गा पूजा –
दशहरा त्योहार को भारत के कई राज्यों में जैसे बिहार असम झारखंड पश्चिम बंगाल उड़ीसा गुजरात तमिलनाडु आंध्र प्रदेश कर्नाटक आदि राज्यों में नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की जाती है इन 9 दिनों में श्रद्धालु उपवास रखते हैं और सुबह शाम मां दुर्गा की पूजा करते है। इसमें प्रत्येक दिन मां दुर्गा की एक अलग रूप की पूजा की जाती है क्योंकि मां दुर्गा के हर एक रूप का कुछ ना कुछ महत्व जरूर होता है।
गली-मोहल्लों और मंदिरों में मां दुर्गा की विशेष मूर्तियां लगाई जाती हैं जिनमें मां दुर्गा के सभी रूप दर्शाए जाते है।
यह दृश्य बहुत ही रोचक और भक्तिमय होता है। मां दुर्गा की आरती के बाद सभी श्रद्धालुओं में प्रसाद बांटा जाता है जोकि श्रद्धालुओं द्वारा मां का आशीर्वाद समझकर ग्रहण किया जाता है। विजयदशमी के दिन मां दुर्गा की मूर्तियों की झांकियां निकाली जाती हैं और उन्हें किसी तलाब या समुद्र विसर्जित किया जाता है
झांकियां –
दशहरा के इस पावन पर्व पर झांकी निकालने का विशेष आयोजन किया जाता है जिसमें की सभी स्थानों पर अलग-अलग प्रकार की झांकियां निकाली जाती हैं कहीं पर मां दुर्गा की मूर्तियां लेकर नाच गानों के साथ पूरे गांव और शहर में घुमाई जाती है और अंत में मां दुर्गा की मूर्तियों को जल में विसर्जित कर दिया जाता है।
कुछ स्थानों पर रामलीला के सभी पात्रों की झांकियां निकाली जाती हैं जिनमें की खूब ढोल नगाड़े बजाए जाते हैं और साथ ही आतिशबाजी की जाती है।
शस्त्र पूजन –
दशहरा त्योहार को लेकर क्षत्रिय धर्म को मानने वाले लोगों द्वारा एक अन्य प्रथा का भी आयोजन किया जाता है जिसमें वह अपने अस्त्र – शस्त्र की पूजा करते है। चूँकि दशहरा त्योहार वर्षा ऋतु के खत्म होने के बाद आता है इसलिए राजा महाराजा ने युद्ध करने के लिए और शिकार करने के लिए वर्षा ऋतु के बाद ही बाहर निकलते हैं इसलिए वह पहले अपने अस्त्र शस्त्र की पूजा करते है।
रामलीला मंचन –
Dussehra त्योहार राम और रावण से जुड़ा हुआ है इसलिए उत्तर भारत यह लोग इन 10 दिनों में रामलीला का मंचन करते हैं जिसमें वास्तविक व्यक्तियों द्वारा रामायण काल के सभी पात्रों के जीवन को दर्शाया जाता है।
जिसमें प्रमुख रुप से भगवान श्री राम के वनवास से लेकर रावण के वध तक का पूर्ण वर्णन किया जाता है।
रामलीला का मंचन सभी शहरों और गांवों में एक निश्चित स्थान पर किया जाता है जहां पर शाम को सभी लोग इकट्ठा होकर रामलीला का आनंद उठाते है।
रामलीला के द्वारा लोगों को बताया जाता है कि किस प्रकार भगवान श्रीराम द्वारा अहंकारी रावण का अहंकार तोड़ा गया वह साथ ही उस का वध कैसे हुआ। रामलीला के मंचन का मुख्य उद्देश्य यही है कि लोगों में यह संदेश पहुंचाने की हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है।
पुतला दहन –
दशहरे के दिन जिसे लोग विजयदशमी के नाम से भी जानते हैं जिस दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है जिसमें रावण के पुतले लकड़ी और कागजों से बनाए जाते हैं और उनमें पटाखे भर दिए जाते है।
आजकल तो रावण के साथ-साथ मेघनाथ और कुंभकरण के बीच पुतले जलाए जाते हैं जिसमें तीर द्वारा घुटनों में आग लगाई जाती हैं फिर भी पुतले आग की चपेट में आने से धू-धू कर जलने लगते है।
इतिहास में दशहरा त्योहार का महत्व –
भारत के इतिहास में भी दशहरा त्योहार का बहुत महत्व है क्योंकि प्राचीन काल में राजा में राजा दशहरे के दिन ही युद्ध पर निकलते थे या फिर किसी शुभ कार्य को करने के लिए इसी दिन को सुनते थे क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो भी कार्य किया जाता है वह जरुर सफल होता है।
इसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण भी है जब मराठा रतन शिवाजी ने औरंगजेब से युद्ध किया था तो इसी दिन को चुना था और हिंदू धर्म की रक्षा की थी
उपसंहार –
Dussehra त्योहार खुशियों और उमंगों का त्यौहार है लेकिन इस त्यौहार की जितनी पौराणिक मान्यताएं हैं उतना ही इस त्यौहार का महत्व भी है क्योंकि इस समाज से हमें बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है।
एक त्यौहार को लेकर जितने भी मान्यताएं जुड़े हुए नहीं हैं उनके अनुसार हमेशा अच्छाई की जीत हुई है।
हमें मां दुर्गा की तरह बुराइयों का अंत करने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहना चाहिए कभी भी बुराइयों के आगे नहीं झुकना चाहिए। और भगवान राम के जीवन से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमेशा शांत रहना चाहिए और हमेशा सत्य का मार्ग ही अपनाना चाहिए।
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