Cinderella Story in Hindi : दोस्तों आज हमने सिंड्रेला की कहानी लिखी है इस रोचक कहानी को स्कूल के विद्यार्थी पढ़ कर शिक्षा ले सकते है। यह कहानी कभी ना हार मानने और हमेशा सत्य के साथ चलते रहने की है।
Best Princess Cinderella Disney Story in Hindi
विषय-सूची
Cinderella Story in Hindi Written
एक समय की बात है जब एक प्यारी सी लड़की और उसके पिता दोनों साथ साथ रहते थे। उस प्यारी सी लड़की का नाम एला था बाद में उसका नाम सिंड्रेला पड़ गया था।
एला के पिताजी बहुत बड़े व्यापारी थे वे अक्सर व्यवसाय के सिलसिले में एक शहर से दूसरे शहर जाते रहते थे। वे बहुत ही दयालु किस्म के व्यक्ति थे वे अपनी बेटी एला से बहुत प्यार करते थे।
एला की मां का जल्द ही देहांत होने के कारण एला को मां का प्यार नहीं मिल पा रहा था इसलिए एला पिता ने दूसरी शादी कर ली उनका मानना था कि इससे एला उनकी अनुपस्थिति में अकेली भी नहीं रहेगी और उसे मां का प्यार भी मिलेगा।
एला के पिता ने जिस दूसरी महिला के साथ शादी की थी वह विधवा थी और उसकी दो बेटियां भी थी।
एक दिन व्यापार के सिलसिले में एला के पिताजी दूसरे राज्य में गए थे लेकिन उनकी वहां पर अकस्मात मृत्यु हो गई।
इसके बाद से एला की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई क्योंकि उसकी सौतेली मां ने सारी संपत्ति अपने नाम कर ली और राजकुमारी से नौकरानी बना कर रख दिया।
लैला की सौतेली मां ने घर के सारे नौकरों को नौकरी से निकाल दिया और सारा काम इला से करवाने लगी वह पूरे दिन उसे मारती पीठ थी और उसे ताने देती रहती थी।
एला की सौतेली बहन ने भी उसे पसंद नहीं करती थी वह हमेशा उसे अपने से दूर रखती और उससे अपना सारा काम कपड़े धोना, नाश्ता बनाना, जूते पॉलिश, कमरे की साफ सफाई करवाना इत्यादि सभी काम करवाती थी।
एला इतना काम करके बहुत थक जाती थी वह अपने घर की चिमनी के पास ही सो जाती थी जिसके कारण उसकी सारी राख उसके ऊपर गिर जाती थी जिसको अंग्रेजी भाषा में सिंडर कहते है।
उसकी सौतेली बहने यह सब देखकर उसे सिंडर-एला के नाम से चिढ़ाती और मजाक उड़ाती थी। धीरे-धीरे एला का नाम सिंड्रेला पड़ गया।
पिता के देहांत के बाद सिंड्रेला अकेली पड़ गयी थी और उसकी सौतेली माँ और बहने भी उससे बात नहीं करती थी इसलिए उसने घर पर ही दो चूहों और एक प्यारी सी चिड़िया को अपना दोस्त बना लिया था।
पुरे दिन भर काम करके जब वह थक जाती तो वह इन्ही चूहों और चिड़िया के साथ बात करती और खेलती थी। जब भी सिंड्रेला अपने इन छोटे दोस्तों के साथ होती तो वह अपना सारा दुःख दर्द भूल जाती थी।
Cinderella ki Kahani
ऐसे ही समय बीत रहा था एक दिन सिंड्रेला जिस राज्य में रहती थी वहां के राजा ने पुरे राज्य में एलान करवाया की राजमहल में एक बहुत बड़े जलसे का आयोजन किया जाएगा जिस में राज्य की सभी लड़कियों को आमंत्रित किया गया था।
जलसे में आयी लड़कियों में से वहां का राजकुमार अपने लिए राजकुमारी चुनने वाला था। यह एलान सुनने के बाद राज्य की सभी लड़कियों में खुशी की लहर दोड़ गयी सभी लड़किया राजकुमार से विवाह के सपने देखने लगी।
सिंड्रेला भी यह एलान सुनने के बाद बहुत खुश हो गयी, लेकिन सिंड्रेला की सौतेली माँ बहुत खडूस थी वह नहीं चाहती थी की सिंड्रेला जलसे में शामिल हो क्योंकि पुराने गंदे फटे कपड़ो में भी सिंड्रेला किसी राजकुमारी से कम नहीं लगती थी।
जबकि उसकी दोनों बेटियाँ जितने चाहे अच्छे कपड़े, आभूषण पहन ले और सज सवर ले वह अच्छी नहीं लगती थी जिस कारण उसे डर था की अगर सिंड्रेला राजमहल जाएगी तो उसकी बेटियों की जगह उसे ना पसंद कर ले।
आख़िरकार वह दिन आ गया जिस दिन राजमहल में जलसा था, सिंड्रेला भी जलसे में शामिल होने के लिए जल्दी – जल्दी घर का काम करके अपनी सौतेली माँ से जलसे में शामिल होने की आज्ञा लेने गयी।
उस वक्त उसकी दोनों सौतेली बहने भी वही थी। सौतेली माँ ने अपनी बेटियों की तरफ देखते हुए उससे जाने की इजाजत दे लेकिन एक शर्त भी रख दी की उसी घर के सारे काम पुरे करने होंगे। सिंड्रेला यह सुनकर खुश हो गयी।
कुछ ही देर बाद सौतेली माँ ने सिंड्रेला को फिर बुलाया और अपने और अपनी बेटियों के सारे कपड़े और घर के सभी कपड़े धोने के लिए दे दिए और दुबारा से घर की सफाई का काम सोप दिया। यह सुनकर सिंड्रेला को बहुत गुस्सा आया लेकिन वह कर भी क्या सकती थी।
उसने मन मारकर फिर से घर का काम करना शुरू कर दिया, शाम हो गयी उसकी बहने सज सवर कर तैयार हो गयी और राजमहल जाने के लिए चलने लगी। तभी सिंड्रेला ने भी पीछे से आवाज लगायी और बोली माँ मेरा काम भी समाप्त हो गया है मै भी आप के साथ चलती हु।
सौतेली माँ ने फिर एक नई चाल चलते हुए कहा जाओ तुम अपने नये कपड़े पहन कर आ जाओ, सिंड्रेला खुश होकर अपने कमरे में चली गयी जैसे ही सिंड्रेला कमरे में गयी उसकी माँ ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया।
और राज महल जाने के लिए निकल पड़ी तभी सिंड्रेला तैयार होकर दरवाजा खोलने लगी तो उसे एहसास हुआ कि बाहर से दरवाजा बंद पड़ा है उसने अपनी मां को खूब आवाज लगाई और जोर जोर से रोने लगी कुछ देर बाद वह समझ गई कि उसकी सौतेली मां उसे राजमहल नहीं ले जाना चाहती।
वह दु:ख हार कर कमरे में ही एक कोने में बैठ गई है उसके दोस्त चूहे और नन्ही चिड़िया उसे हंसाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन सिंड्रेला बहुत उदास थी। समय बीत रहा था और राज महल में जलसे का आयोजन प्रारंभ हो चुका था।
उस समय बाद अचानक उसके कमरे में एक तेज रोशनी आई जिससे उसकी आंखें चौंधिया गई।
थोड़ी रोशनी कम होने पर सिंड्रेला ने देखा कि उसके सामने एक सुंदर परी खड़ी थी। सिंड्रेला को एक पल को तो विश्वास ही नहीं हुआ कि उसके सामने एक परी खड़ी है।
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वह परी को देखकर आश्चर्यचकित रह गई। परी ने सिंड्रेला को उदास देखकर उसकी उदासी का कारण पूछा तो सिंड्रेला ने अपनी पूरी कहानी उसे बताई। परी ने सिंड्रेला को दिलासा देते हुए कहा कि बस इतनी सी बात…
और हंसते हुए सिंड्रेला से पूछा क्या तुम जलसे में जाना चाहती हो ?
सिंड्रेला ने धीमी आवाज में कहा कि वह जाना तो चाहती है लेकिन जा नहीं सकती।
परी ने पूछा लेकिन वह क्यों नहीं जा सकती ?
सिंड्रेला ने कहा कि अगर वह किसी तरह राज महल तक भी पहुंच जाती है तो वहां की दरबान उसे अंदर नहीं जाने देंगे क्योंकि उसके पास अच्छे कपड़े नहीं है और सजने सवरने के लिए आभूषण भी नहीं है।
परी ने यह बात सुनकर धीमी मुस्कान लिए सिंड्रेला के सिर पर हाथ रखा और अपनी जादुई छड़ी घुमाई। एक पल में सिंड्रेला के फटे पुराने कपड़े नए कपड़ों में बदल गए उसके गले में नए आभूषण आ गए और उसके पैरों में काँच की सैंडल थी।
सिंड्रेला इन कपड़ों में बहुत खूबसूरत लग रही थी यह देखकर वह बहुत खुश हो गई और खुशी से नाचने लगी।
चूँकि राज महल पहुंचने के लिए समय बहुत कम था इसलिए परी ने सिंड्रेला को एक कद्दू लाने को कहा जिसको परी ने एक खूबसूरत बग्गी में बदल दिया सिंड्रेला के चूहे दोस्त घोड़े बन गए और नन्ही चिड़िया को कोचवान बन गई।
अब सिंड्रेला राजमहल जाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी। वह बग्गी में बैठ गई और जाने लगी तभी परी ने सिंड्रेला को एक चेतावनी दी कि उसे 12:00 बजे से पहले वापस अपने घर आना होगा क्योंकि 12:00 बजे के बाद उसका यह जादू समाप्त हो जाएगा और वह फिर से अपने फटे पुराने कपड़ों में आ जाएगी।
सिंड्रेला ने परी को 12:00 बजे वापस आने का वादा करते हुए राजमहल की तरफ निकल पड़ी। जब वह राजमहल में पहुंची तो सबकी नजरें उसकी तरफ थी क्योंकि वह सबसे अलग और खूबसूरत लग रही थी।
उसकी सौतेली मां और बहने भी उसे देखकर आश्चर्यचकित रह गई लेकिन वह उसे नकाब के कारण पहचान नहीं पाई। राजकुमार ने जैसे ही सिंड्रेला को देखा वह अपनी नजरें उस से हटा ही नहीं पाया।
मैं तुरंत सिंड्रेला के पास गया और उसे अपने साथ नृत्य करने के लिए आमंत्रित किया सिंड्रेला ने खुश होकर अपना हाथ राजकुमार के हाथ में दे दिया और उसके साथ नृत्य करने लगी। पूरी शाम राजकुमार सिंड्रेला के साथ नृत्य करता रहा यह देखकर उसकी दोनों बहने और जलसे में आई अन्य लड़कियां उसे जल भून गई।
सिंड्रेला राजकुमार के साथ नृत्य करके इतनी खुश थी कि वह भूल ही गई थी कि उसे 12:00 बजे वापस अपने घर जाना है। जब घड़ी में रात के 12:00 बजे का घंटा बजा तो उसे परी की बात याद आ गई।
और वह डर के मारे जल्दबाजी में वहां से भागने लगी राजकुमार भी उसके पीछे पीछे दौड़ने लगा क्योंकि वह उससे प्रेम करने लगा था और उसे विवाह का प्रस्ताव देना चाहता था लेकिन सिंड्रेला में राजकुमार की एक भी बात नहीं सुनी और राज महल के बाहर आ गई।
किंतु जल्दबाजी में दौड़ते समय उसके पांव की एक सैंडल वही राज महल की सीढ़ियों पर छूट गई। लेकिन सिंड्रेला में इसकी ओर ध्यान नहीं दिया और बग्गी में बैठकर अपने घर को चली गई। घर पहुंचते ही सिंड्रेला वापस अपने पुराने रूप में आ गई।
लेकिन राजकुमार सिंड्रेला को भुला नहीं पा रहा था वह सिंड्रेला की कांच की जूती लिए हुए उदास मन से बैठा हुआ था। लेकिन फिर अचानक राजकुमार उठा और उसने ठान लिया कि वह पूरे राज्य भर में सिंड्रेला को ढूंढेगा किंतु उसे ना तो सिंड्रेला के घर का पता था और ना ही सिमरेला का नाम पता था।
इसलिए उसने दूसरे दिन राज्य में ऐलान करवा दिया कि जिस भी लड़की के पैर में यह कांच की सैंडल आ जाएगी वह उससे शादी कर लेगा।
राजकुमार के सेवक पूरे राज्य भर में सभी लड़कियों के घर में जाकर कांच की सैंडल पहना कर देखने लगे। एक दिन वह सेवक सिंड्रेला के घर भी पहुंचे और जैसे ही सेवक सिंड्रेला के घर पहुंचे तो उसकी दोनों बहनों ने कांच की जूती पहने की कोशिश की लेकिन उनमें से किसी को भी वह जूती नहीं आई।
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आखिर में सिंड्रेला को वह कांच की जूती बनाकर देखी गई तो उसके पैरों में वह जूती आ गई। यह देख कर सिंड्रेला की सौतेली मां और बहने आश्चर्यचकित रह गई। सेवकों ने राजकुमार को यह खुशखबरी भिजवाई।
राजकुमार खुशखबरी सुनते ही सिंड्रेला के घर दौड़ा चला आया और सिंड्रेला की पैर में कांच की सैंडल देखकर वह खुश हो गया सभी सिंड्रेला ने दूसरी सैंडल भी अपने पैर में पहन ली। यह देखकर राजकुमार समझ गया कि यह वही लड़की है जिसके साथ उसने नृत्य किया था।
बस फिर क्या था राजकुमार ने उसी वक्त सिंड्रेला के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया। सिंड्रेला ने भी खुश होकर राजकुमार को विवाह के लिए हां कर दी। और कुछ समय पश्चात दोनों का विवाह हो गया और दोनों राजमहल में सुख से जीवन व्यतीत करने लगे।
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