Essay on Flood in Hindi आज हम बाढ़ पर निबंध हिंदी में लिखने वाले हैं. यह निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. बाढ़ पर निबंध को हमने अलग-अलग शब्द सीमा में लिखा है जिससे अनुच्छेद और निबंध लिखने वाले विद्यार्थियों को कोई भी परेशानी नहीं हो और वह Flood के बारे में अपनी परीक्षा में लिख सकेंगे.
विषय-सूची
Essay on Flood in Hindi 250 Words
हमारी पृथ्वी पर प्रतिदिन कोई ना कोई प्राकृतिक घटना घटती है लेकिन कुछ घटनाएं इतनी बड़ी होती है कि वह विनाश का रुप ले लेती है. इन प्राकृतिक घटनाओं में से एक बाढ़ भी है.
एक ही स्थान पर बहुत अधिक मात्रा में कम समय के अंतराल में अधिक जल इकट्ठा हो जाने पर उसे बाढ़ कहते है.
बाढ़ के कई रूप होते है यह कई अलग-अलग कारणों से आती है जैसे ही एक स्थान पर कुछ ही समय में अधिक वर्षा हो जाना, किसी बांध का टूट जाना, नदियों का जलस्तर बढ़ना या फिर समुद्र में भूकंप आने के कारण सुनामी आ जाना जिसके कारण समुंदर का पानी शहरों और गांवों में आ जाता है जिससे भयंकर तबाही होती है.
बाढ़ का पानी कई दिनों तक सुकता नहीं है जिसके कारण जहां पर भी बाढ़ आई है वहां का जनजीवन पूरी तरह से नष्ट हो जाता है उस शहर या गांव की मूल्यवान वस्तुएं खराब हो जाती है.
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कई लोगों के मकान बाढ़ के कारण गिर जाते है. किसानों ने खेतों में जो फसल बोई होती है वह पूरी तरह से नष्ट हो जाती है जिससे उनके खाने पीने के भी लाले पड़ जाते है.
बाढ़ के कारण कई लोगों की मृत्यु भी हो जाती है और आर्थिक नुकसान भी होता है बाढ़ का पानी उतरने के बाद महामारी होने की आशंका बनी रहती है.
बाढ़ से बचने के लिए हमें जल निकासी के लिए उचित व्यवस्था करनी चाहिए. सरकार को भी बाढ़ से बचने के लिए कोई ठोस नीति बनानी चाहिए.
Essay on Flood in Hindi 400 words
बाढ़ एक ऐसी आपदा है जिससे पूरा जनजीवन प्रभावित हो जाता है इससे जन धन का बहुत अधिक मात्रा में नुकसान होता है. बाढ़ ऐसे क्षेत्रों में ज्यादा आती है जहां पर पहाड़ी इलाके हो क्योंकि वहां पर पानी की निकासी के लिए जगह नहीं होती है.
बाढ़ आने का कोई निश्चित समय नहीं होता और ना ही कोई निश्चित स्थान होता है क्योंकि हमने देखा है कि बाढ़ रेगिस्तानी इलाकों में भी आ सकती हैं इसका उदाहरण है कि हमारे देश के राजस्थान राज्य के बाड़मेर जिले में कुछ सालों पहले लगातार बाढ़ आती रही है जबकि वहां पर रेतीले टीले है फिर भी वहां पर बाढ़ आती है.
बाढ़ कई प्रकार से आ सकती है जैसे कि एक ही समय पर अधिक वर्षा का हो जाना, किसी बांध का टूट जाना, बादल फट जाना इत्यादि के कारण बाढ़ आ जाती है. बाढ़ के अप्रत्यक्ष कारण भी है जैसे वनों की अंधाधुंध कटाई, ग्लोबल वॉर्मिंग, बढ़ता प्रदूषण आदि है.
बाढ़ के कारण एक ही स्थान पर कई दिनों तक पानी भरा रहता है जिसके कारण वहां पर बने पक्के व कच्चे घर टूट जाते है और लोग बेघर हो जाते है. बाढ़ से जन-धन का नुकसान तो होता ही है साथ ही देश का आर्थिक विकास भी धीमा पड़ जाता है.
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बाढ़ आने के कारण भयावह स्थिति उत्पन्न हो जाती है इसके कारण लाखों लोग बेघर हो जाते है कई लोग मारे जाते हैं पशु-पक्षी भी बाढ़ की चपेट में आने से मर जाते है. किसी स्थान पर बाढ़ आने के बाद कई बड़ी बीमारियां होने का खतरा पैदा हो जाता है जैसे डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड और भी कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं जो कि बाढ़ से भी ज्यादा तबाही फैला सकती है.
बाढ़ अक्सर पहाड़ी इलाकों एवं नदियों के किनारे बसे गांव एवं शहरों में आती है इसलिए वहां पर रहने वाले लोगों को बरसात के मौसम में सचेत रहना चाहिए और साथ ही अपने खाने-पीने के सामान की व्यवस्था करके रखनी चाहिए. बाढ़ आने पर हमें ऊंचे स्थानों पर चले जाना चाहिए.
कभी-कभी बाढ़ इतनी तेजी से आ जाती है कि पता ही नहीं चलता कि कब बाढ़ आ गई ऐसी स्थिति में अगर आप फस जाते है तो अपने घर की छत पर जाकर मदद के लिए किसी को सूचना दें या फिर मदद के लिए अपने घर की छत पर हेल्प का चिह्न बनाएं जिससे वहां से जाने वाले हेलीकॉप्टरों को आपके वहां होने का पता चल जाए.
Essay on Flood in Hindi 2400 words
प्रस्तावना –
बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है जो कि अधिकतर वर्षा के मौसम में ही आती है और कभी-कभी अप्राकृतिक घटनाओं के कारण भी बाढ़ आ जाती है. किसी भी एक स्थान पर अधिक मात्रा में जलभराव होने पर उसे बाढ़ कहते है.
क्योंकि जब यह तेज गति से जल प्रवाह के रूप में आती है तब सभी घरों, इमारतों कार बसों, मनुष्यो, पशुओं सभी को बहाकर ले जाती है और उनको नष्ट-भ्रष्ट कर देती है.
बाढ़ के कारण भयावह स्थिति उत्पन्न हो जाती है इसका नाम सुनते ही लोग कांप उठते है जो भी एक बार बाढ़ की चपेट में आ जाता है उसके बाद उसे इस के नाम से भी डर लगने लग जाता है. बाढ़ का रूप इतना विकराल होता है कि जहां पर भी बाढ़ आती है वहां पर चारों तरफ त्राहि त्राहि मच जाती है.
बाढ़ आने के कारण –
बाढ़ आने की कारणों को हमने दो चरणों में बांटा है प्राकृतिक और अप्राकृतिक बाढ़ सबसे पहले हम प्राकृतिक बाढ़ के बारे में चर्चा करेंगे.
प्राकृतिक बाढ़ –
प्राकृतिक कारणों से आने वाली बाढ़ को प्राकृतिक बाढ़ कहते है इसके कारण निम्नलिखित है –
(1) अधिक वर्षा होना – कभी-कभी एक ही स्थान पर अधिक मात्रा में लगातार वर्षा होती रहती है जिसके कारण चारों तरफ जलभराव हो जाता है और कुछ समय में यह जलभराव बाढ़ का रूप ले लेता है.
(2) बादल का फटना – बादल के फटने के कारण कुछ ही घंटों में अधिक मात्रा में जल का प्रवाह होता है जिस कारण तेज गति से जल बहता है और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है बादल ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों में फटते है. हमारे देश में उत्तराखंड राज्य में लगभग हर साल बादल फटने के कारण बाढ़ आती है.
(3) ग्लेशियर से बर्फ का पिघलना – पृथ्वी का तापमान बढ़ने के कारण बड़े-बड़े ग्लेशियरों से बर्फ अधिक मात्रा में पिघलना शुरू हो जाती है जिसके कारण पहाड़ियों से तेज गति से जल का प्रवाह होता है और यह जल इतनी अधिक मात्रा में होता है कि किसी भी शहर या गांव को आसानी से बाहर ले जा सकता है और उसे पूरा डूबा सकता है.
(4) नदियों में उफान आने पर – अधिक वर्षा, या बर्फ के पिघलने से नदियों में बहुत अधिक मात्रा में चला जाता है जिससे नदी अपने पथ को छोड़कर चारों ओर बहने लगती है और नदी के पास पैसे गांव और शहरों के निचले इलाकों में बाढ़ आ जाती है.
(5) समुंद्री बाढ़ – समुंद्र के जल्द से आने वाली बाढ़ को सुनामी भी कहते है. यह तब आती है जब या तो कोई चक्रवर्ती तूफान आता है या फिर समुंद्र के किसी हिस्से में तेज भूकंप आता है जिसके कारण ऊंची ऊंची लहरें उठती हैं और समुंद्र का पानी शहरों और गांवों में अंदर तक घुस जाता है.
जिससे बाढ़ का माहौल बन जाता है. इस बात से समुंदर के तटीय इलाके बहुत बुरी तरह से प्रभावित होते है. समुद्री तूफान की लहरें 10 फुट तक ऊंची हो सकती है जो कि किसी एक घर की ऊंचाई से बहुत ज्यादा है.
अप्राकृतिक बाढ़ –
अप्राकृतिक बाढ़ इंसानों द्वारा किए गए कार्य के कारण आती है इसके कारण निम्नलिखित है-
(1) बांध का टूटना – इंसानों द्वारा जल संग्रह के लिए बड़े-बड़े बांध बनाए जाते हैं लेकिन भ्रष्टाचार और खराब निर्माण के कारण बांध मजबूत नहीं बनाया जाता है जिससे कुछ ही सालों में हजारों लीटर पानी से भरा हुआ बांध टूट जाता है.
इसके कारण एक साथ तेज गति से जल प्रवाह होता है और बांध के आसपास के इलाके पानी में डूब जाते है. यह वार्ड अचानक आती है जिससे लोगों को संभलने का मौका भी नहीं मिलता और इसमें जान माल की हानि अधिक होती है.
(2) ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण बाढ़ आना – ग्लोबल वॉर्मिंग यह स्थिति इंसानों द्वारा ही पैदा की गई है क्योंकि इंसानों द्वारा अंधाधुन पेड़ों की कटाई की जा रही है साथ ही इतनी अधिक मात्रा में प्रदूषण फैलाया जा रहा है.
जिसके कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और साथ ही पृथ्वी का वातावरण भी बदल रहा है जिसके कारण कहीं पर अधिक मात्रा में सूखा पड़ता है तो कहीं पर बहुत अधिक मात्रा में वर्षा हो जाती है और पृथ्वी का तापमान बढ़ने के कारण ग्लेशियरों पर बर्फ के रूप में जमा हुआ लाखो लीटर पानी पिघलने लगता है जिसके कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
(3) प्लास्टिक प्रदूषण – भारत में अधिक मात्रा में प्लास्टिक को काम में लिया जाता है और फिर इस प्लास्टिक को ऐसे ही खुले स्थानों पर फेंक दिया जाता है पर यह प्लास्टिक पानी के निकास के लिए बने हुए बालों में जाकर फंस जाता है जिसके कारण जब भी बरसात होती है तब बालों से पानी निकल नहीं पाता है और बाढ़ के हालात बन जाते है.
बाढ़ के दुष्परिणाम –
बाढ़ आने से भयंकर तबाही होती है इसका लेखा-जोखा करना इतना आसान नहीं होता है क्योंकि यह बहुत दिनों तक तबाही मचाती है. इस में बाढ़ आने पर भी नुकसान होता है और बाढ़ के पानी सूख जाने पर भी नुकसान होता है.
जन हानि – बाढ़ आने के कारण एक क्षेत्र विशेष पूरा पानी में डूब जाता है जिसके कारण वहां रहने वाले कई लोगों और पशुओं की मृत्यु हो जाती है.
धन हानि – बाढ़ के प्रभाव के कारण चारों तरफ जल ही जल होता है जिससे वहां पर होने वाले उद्योग धंधे ठप पड़ जाते है साथ ही लोगों की जिंदगी भर की पूंजी द्वारा बनाए गए मकान और इमारतें भी ढह जाती है. और भी कई मूल्यवान वस्तुएं खराब हो जाती है जिससे धन की हानि होती है.
फसल का खराब होना – बाढ़ आने के कारण किसानों द्वारा बोली गई पूरी फसल खराब हो जाती है. जिसके कारण खाने पीने की वस्तुओं के दाम बढ़ जाते है. किसानों की फसल नष्ट होने के कारण वे और भी गरीब हो जाते है उनके खाने पीने के लाले भी बढ़ जाते है.
जल का प्रदूषित होना – बाढ़ आने के कारण पानी में तरह-तरह के रसायन और नालों का पानी मिल जाता है जिसके कारण स्वच्छ जल की आपूर्ति नहीं हो पाती है और वहां रहने वाले लोगों की दूषित जल के कारण मृत्यु भी हो जाती है.
बिजली कटौती – बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में चारों तरफ जल भरे होने के कारण बिजली आपूर्ति पहुंचाने वाले खंभे गिर जाते है या फिर वह डूब जाते है और बिजली के कारण इलाके में करंट प्रवाहित होने का खतरा रहता है. जिसके कारण बाढ़ प्रभावित इलाके में बिजली पहुंचाना नामुमकिन होता है जिससे रात में चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा छा जाता है जो कि बाढ़ प्रभावित इलाके में मुसीबतें और भी बढ़ा देता है.
मिट्टी का कटाव – बाढ़ आने से खेतों की उपजाऊ मिट्टी बह जाती है जिसके कारण बाढ़ के पश्चात वहां पर अच्छी फसल नहीं हो पाती है साथ ही कई जगहों पर बड़े-बड़े गड्ढे पड़ जाते है.
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सड़कों का टूटना – जिस इलाके में बाढ़ आती है वहां की सारी लड़के बाढ़ के कारण या तो टूट जाती है या फिर बाढ़ के पानी के साथ ही बह जाती है जिसके कारण वहां पर कई महीनों तक यातायात प्रभावित होता है लड़के नहीं होने के कारण लोगों को कई प्रकार की परेशानियां भी होती है.
चिकित्सा सुविधा का अभाव – बाढ़ प्रभावित इलाके में बाढ़ के पानी के कारण सभी अस्पताल पानी में डूब जाते है जिसके कारण वहां पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती है और बीमार लोगों की असमय मृत्यु हो जाती है.
भोजन का अभाव – बाढ़ आने से वहां के लोगों को भोजन नहीं मिल पाता है इसका मुख्य कारण है कि सारे खाने पीने की वस्तुएं पानी में डूब जाती है और लोग भुखमरी के शिकार हो जाते है.
वनस्पति का नष्ट होना – बाढ़ आने के कारण उस इलाके के पेड़ पौधे और हरियाली नष्ट हो जाती है जिससे उस इलाके का वातावरण खराब हो जाता है.
महामारी का खतरा – बाढ़ के कारण जब बाढ़ का पानी सूख जाता है तब वहां पर मलेरिया, डेंगू एवं दूषित भोजन से होने वाली कई बीमारियां होने का खतरा पैदा हो जाता है और अक्सर बाढ़ के बाद यह बीमारियां जरूर फैलती हैं इसलिए हमेशा सजग एवं सुरक्षित रहने का प्रयास करें.
बाढ़ आने पर बचाव के उपाय –
बाढ़ जब भी आती है भयंकर तबाही लाती है बाढ़ के पानी से लड़ा नहीं जा सकता है इसलिए भलाई इसमें ही है कि जितना हो सके बाढ़ से बचा जाए.
ऊंचे स्थानों पर जाएं – अगर आप पहाड़ी या बांध वाले इलाके में रहते है तो आपके इलाके में कभी भी बाढ़ आ सकती है. कभी कभी अचानक बाढ़ आ जाती है जिससे बहुत ज्यादा हानि होती है और सब कुछ देखते ही देखते नष्ट-भ्रष्ट हो जाता है.
इसलिए जब भी आपके घरों में एक लिमिट से ज्यादा पानी आने लग जाए तो हमेशा ऊंचे स्थानों की ओर प्रस्थान कर जाएं. बाढ़ के पानी के बढ़ने का इंतजार ना करें क्योंकि यह पानी कभी भी बढ़ सकता है और फिर आप का घर से निकलना नामुमकिन हो जाता है.
पानी उबालकर पिए – बाढ़ आने पर उस स्थान का पानी दूषित हो जाता है क्योंकि उसमे नालों का पानी और मरे हुए मवेशी और इंसानों के शव पड़े रहते है जिसके कारण पानी में सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया फैल जाते है. इसलिए जब भी आप ऐसे इलाके में फंस जाते हैं तो हमेशा पानी को उबालकर ही पिए और हो सके तो अपने साथ स्वच्छ जल की कुछ बोतले रखें.
बाढ़ में फंसे होने का संकेत दे – कभी-कभी बाढ़ इतनी तेजी से आती है कि लोग घरों में ही फंसे रह जाते है. और बाद में भी घरों की छतों पर चले जाते है लेकिन अधिक समय तक बाढ़ के पानी वाले घरों में रहना खतरे से खाली नहीं है क्योंकि बाढ़ के कारण इमारतें गिरने का खतरा बना रहता है.
इसलिए हमेशा छत पर लाल कपड़े से मदद के लिए चिन्ह बनाएं. जिससे सरकार द्वारा चलाई जा रही है बाढ़ राहत के हेलीकॉप्टरों को पता चल जाएगी आप कहां पर फंसे हुए है. अगर आप ऐसा करते हैं तो आप को बचाए जाने की संभावना और अधिक हो जाती है
प्रशासन की चेतावनी – बरसात के दिनों में प्रशासन द्वारा समय समय पर चेतावनी जारी की जाती है की भारी बारिश होने के आसार हैं और बाढ़ आ सकती है लेकिन कुछ लोग इन चेतावनियों को नजर अंदाज कर देते है जिसके कारण वह अपना घर छोड़कर ऊंचे स्थानों की ओर नहीं जाते है.
और बाढ़ की चपेट में आ जाते है. इसलिए हमेशा प्रशासन द्वारा दी गई चेतावनी पर ध्यान बनाए रखें. और जहां पर हर साल बाढ़ आती है उन इलाके के लोगों को अपने घरों में एक रेडियो जरूर रखना चाहिए क्योंकि जब भी बाढ़ आती है तब बिजली कटौती हो जाती है.
और सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं अभियान की सही जानकारी प्राप्त करने के लिए आप रेडियो का उपयोग कर सकते है.
बाढ़ के समय क्या सामग्री साथ रखें –
बाढ़ आने पर कोशिश जरूरी सामान अपने साथ जरूर रखें और जिन इलाकों में हर साल बाढ़ आती है वे लोग हमेशा यह सामान घर में स्टोर करके रखें. सामान की लिस्ट निम्नलिखित है –
स्वच्छ जल – बाढ़ आने पर हमेशा अपने साथ स्वच्छ जल की तीन चार बोतल अवश्य रखें और अगर आप घर में अधिक सदस्य हैं तो अधिक स्वच्छ जल की व्यवस्था करके रखें क्योंकि बाढ़ के पानी का पता नहीं चलता है कि वह कितने दिन तक रहेगा.
भोजन सामग्री – भोजन सामग्री अपने साथ रखें और भोजन में ऐसी सामग्री अपने साथ रखें जिसे पकाने की आवश्यकता नहीं हो.
प्राथमिक उपचार पेटी (First aid box) – जहां पर हर साल बाढ़ आती है उन्हें इलाके के लोगों को हमेशा अपने रूम में प्राथमिक उपचार पेटी रखनी चाहिए जिससे अगर बाढ़ के समय किसी को छोटी मोटी चोट आ जाती है तो उसका इलाज किया जा सके क्योंकि बाढ़ के समय कोई भी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं रहती है.
और बाढ़ वाले इलाके में अगर छोटी सी भी चोट लग जाती है तो उस में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है इसलिए हमेशा अपने साथ प्राथमिक उपचार पेटी अवश्य रखें.
रोशनी एवं संचार के साधन – बाढ़ वाले क्षेत्र के लोगों को अपने घरों में रोशनी के लिए टॉर्च की व्यवस्था करनी चाहिए साथ ही रेडियो और मोबाइल जैसे संचार के साधन हमेशा अपने पास रखनी चाहिए. जिससे प्रशासन द्वारा बाढ़ के समय जब भी कोई जानकारी दी जाए तो आपके पास में जानकारी पहुंच जाए.
सूखे कपड़े – बाढ़ के समय अपने साथ कुछ सूखे कपड़े हमेशा साथ लेकर चले क्योंकि अगर आप अधिक समय तक गीले कपड़ों में रहेंगे तो आप बीमार पड़ सकते है.
भारत में बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र –
भारत में हर साल किसी न किसी इलाके में बाढ़ जरूर आती है बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के नाम इस प्रकार है – असम, बिहार, गुजरात, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, बंगाल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र और केरल आदि ऐसे राज्य है जिनमे हर साल बाढ़ आने की संभावना बनी रहती है.
इस साल 2018 में केरल राज्य में सबसे भयंकर बाढ़ आई है केरल राज्य की सभी 14 जिलों में बाढ़ का पानी आ चुका है इससे बहुत ज्यादा जन धन की हानि हुई है. केरल राज्य में यह बाढ़ 100 सालों की सबसे बड़ी और सबसे अधिक तबाही मचाने वाली बाढ़ आई है.
बाढ़ को फैलाने वाली नदियां –
हमारे भारत देश में बहुत बड़ी बड़ी नदियां हैं जिनमें हर साल अधिक मात्रा में पानी आने के कारण बाढ़ आ जाती है उनके नाम इस प्रकार है – गंगा, यमुना, रावी, गंडक, घग्गर, कोसी तीस्ता, ब्रह्मपुत्र, सतलज, दामोदर, साबरमती, गोदावरी आदि नदियों के कारण हर साल बाढ़ आती है.
बाढ़ नियंत्रण हेतु सरकार द्वारा किए गए उपाय –
जलाशयों का निर्माण – भारत सरकार द्वारा बाढ़ को नियंत्रण करने के लिए बड़े बड़े जलाशयों और बांधों का निर्माण किया गया है जिसे विनाशकारी बाढ़ से बचा जा सकता है इस क्षेत्र में सरकार ने बांध दामोदर नदी घाटी परियोजनाओं सतलुज पर भाखड़ा बाँध, हीराकुंड बाँध, व्यास पर पोंग जैसे बड़े बांधों का निर्माण किया है.
राष्ट्रीय बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम – भारत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को बचाने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम की घोषणा की है जिसके अंतर्गत इस योजना को तात्कालिक, अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक तीन भागों में बांटा गया है. इस योजना के तहत अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएंगे और निचले इलाकों में बसे लोगों को ऊंचे स्थानों पर बताया जाएगा.
जल निकास के लिए उचित व्यवस्था की जाएगी. इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए सरकार हर पंचवर्षीय योजना में बाढ़ के लिए अलग से बजट रखती है.
पूर्वानुमान एंव चेतावनी – सरकार द्वारा समय-समय पर लोगों को मौसम की जानकारी दी जाती है साथ ही अगर कहीं पर बाढ़ आने की संभावना होती है तो वहां पर चेतावनी जारी की जाती है इसके कारण लाखों लोगों की जिंदगी बच जाती है.
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