भानगढ़ फोर्ट की कहानी | Bhangarh Fort Story in Hindi

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Bhangarh Fort Story in Hindi : राजस्थान के अलवर जिले में भानगढ़ नाम के गांव में एक किला है जिसे भानगढ़ का किला कहा जाता है. आज से करीब 500 साल पहले जब 1573 में आमेर के भगवंत दास ने अपने पुत्र माधोसिंह के लिए भानगढ़ का यह किला बनवाया था और Bhangarh नामक इस शहर को बसाया था. इस दुर्ग का नाम भान सिंह के नाम पर है जो माधो सिंह के पिता थे.

भानगढ़ का किला तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है. इस किले की भूतिया कहानियों का खौफ इतना है कि सरकारी निर्देशानुसार सूर्यास्त के बाद इस किले में किसी भी व्यक्ति के जाने पर मनाही है. इस किले को भारत के भूतिया स्थानों में पहला स्थान प्राप्त है (India first haunted Place Bhangarh Fort).

Bhangarh Fort Story in Hindi

भानगढ़ के किले के बारे में इतनी कहानियां है कि इसे हमें भूतों का गढ़ कहा जाने लगा है, लोग अंधेरे में तो क्या यहां पर उजाले में आने से भी डरते हैं. एक खौफनाक खंडहर में सदियों का इतिहास झटपटा रहा है और घुटन की चारदीवारी में एक अनमोल विरासतका दम घुट रहा है.

कहते हैं करीब 300 साल पहले एक श्राप की वजह से पूरा भानगढ़ तबाह हो गया. यह कहानी कितनी सच्ची है इसका अभी तक कोई प्रमाण नहीं मिला है लेकिन सुनने में यह बहुत ही दिलचस्प है.

Bhangarh Fort Story in Hindi

भानगढ़ तबाह क्यों हुआ इसके पीछे की कहानी –

भानगढ़ की तबाह होने के पीछे सदियों से चली आ रही है एक कहानियाँ है. भानगढ़ के किले से एक दो नहीं सैकड़ों किस्से और कहानियां जुड़ी हुई है लेकिन इन कहानियो के सच का अभी तक कोई प्रमाण नहीं मिला है

राजकुमारी रत्नावती की खूबसूरती के कारण भानगढ़ के तबाह होने की कहानी


भानगढ़ किले में वहां की एक बेहद खूबसूरत राजकुमारी रहती थी जिसका नाम रत्नावती था. रत्नावती आसपास के राज्य में सबसे खूबसूरत महिला के रूप में जानी जाती थी. उसकी खूबसूरती की चर्चा हर जगह हो रही थी इसके कारण हर कोई उन्हें देखना चाहता था. उनकी उम्र लगभग 18 वर्ष की थी तब उनके लिए विभिन्न राज्यों से राजकुमारों के रिश्ते आने लगे थे. रत्नावती के विवाह की बातें चल रही थी.

एक दिन राजकुमारी रत्नावती अपनी सहेलियों के साथ Bhangarh के बाजार में घूमने के लिए निकली थी. वह पूरे बाजार में घूम रही थी कभी कपड़ों की दुकान पर तो कभी चूड़ियों की दुकान पर और आख़िर में वह एक इत्र की दुकान पर पहुंची. राजकुमारी को इधर बहुत पसंद था इसलिए वह तरह तरह के इत्र देख रही थी. वह उनकी खुशबू भी खुली हुई थी. लेकिन थोड़ी ही दूर पर एक व्यक्ति उनकी खूबसूरती मैं खोया हुआ था.

उस व्यक्ति का नाम सिंधिया सेवड़ा था. वह राजकुमारी को एकटक निगाहों से देखे ही जा रहा था मानव उसने किसी अप्सरा को देख लिया हो. उसे पहली नजर में राजकुमारी रत्नावती से बहुत प्यार हो गया था. वह उस समय का बहुत बड़ा तांत्रिक भी कहा जाता है जो कि अपने काले जादू से किसी को भी अपने वश में कर सकता था.

जब राजकुमारी ने इत्र खरीद लिया और दुकान वाले से कहा कि यह इधर उनके महल में भिजवा दिया जाए. इतना कहकर वह महल की तरफ जाने लगी लेकिन इसी बीच वह तांत्रिक भी खड़ा था. लेकिन राजकुमारी ने उसकी तरफ ध्यान भी नहीं दिया था. इसलिए तांत्रिक बहुत ही गुस्सा हो गया था.

तांत्रिक सिंधिया सेवड़ा ने राजकुमारी रत्नावती का प्यार पाने के लिए एक योजना बनाई. उसने इत्र की दुकान पर जाकर उत्तर की बोतल पर काला जादू कर दिया जिसको राजकुमारी रत्नावती नहीं खरीदा था. एक तरह का वशीकरण मंत्र उस बोतल पर कर दिया था जिससे जो भी उस बोतल के इत्र को लगाता वह उस तांत्रिक के पीछे पीछे चला आता था.

राजकुमारी रत्नावती को इस बात का पता चल गया था तो उन्होंने उस इत्र की बोतल को एक चट्टान के ऊपर दे मारा जिससे पूरा इत्र उस चट्टान के ऊपर लग गया. और वह चट्टान लुढ़कते हुए तांत्रिक के ऊपर जा गिरी जिससे उसकी मृत्यु हो गई. लेकिन तांत्रिक ने मरते-मरते पूरे भानगढ़ को श्राप दे दिया कि कुछ ही दिनों में पूरा भानगढ़ तबाह हो जाएगा यहां के सभी लोग मर जाएंगे.

तांत्रिक की इस बात में कितना सच था यह तो किसी को नहीं पता था लेकिन कुछ ही महीनों वादे भानगढ़ और अजबगढ़ राज्य में युद्ध हो गया था. जिसके कारण वहां के सभी व्यक्ति मारे गए और इसमें राजकुमारी रत्नावती की भी मृत्यु हो गई.

और पूरा भानगढ़ सुनसान हो गया था इसीलिए लोग कहते हैं कि वहां पर मारे गए लोगों की आत्माएं अभी भटकती हैं. इसीलिए भानगढ़ किले को भुतहा किला भी कहा जाने लगा है.

लेकिन इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ऐसी कोई कहानी हुई थी या फिर ऐसा कोई युद्ध भी हुआ था.

ऋषि मुनि के श्राप से भानगढ़ के तबाह होने की कहानी


जिस जगह पर आज Bhangarh Kila स्थित है वहाँ से कुछ ही दुरी पर एक ऋषि की कुटिया थी. किले का निर्माण करने से पूर्व राजा भगवंत दास इस किले के निर्माण की जगह कौन देखने आए थे. तब उन्हें वहां एक महान ऋषि की कुटिया दिखाई दी. उस ऋषि का नाम ऋषि बालू नाथ.

राजा भगवंत दास ने अपने किले के निर्माण की योजना को उन ऋषि को बताया. तब ऋषि बालू नाथ ने कहा कि आप यहां पर किले का निर्माण तो करवा सकते हैं लेकिन उस किले की ऊंचाई इतनी नहीं होनी चाहिए कि उस किले की परछाई मेरी कुटिया पर पड़े. नहीं तो पूरा किला तहस-नहस हो जाएगा.

लेकिन राजा भगवंत दास ने इस बात को इतनी तवज्जो नहीं दी और महल का निर्माण करवाने लगी किला करीब 7 मंजिल ऊंचा बनाया गया था. जिसके बाद उस किले की परछाई ऋषि बालू नाथ की कुटिया पर पड़ गई. फिर क्या था कुछ दिनों में पूरा किला टूटकर तहस-नहस हो गया और वहां पर कोई नहीं बचा.

भानगढ़ किले के भूतिया होने के पीछे तीसरी कहानी –


भानगढ़ को लेकर एक मान्यता और है वह यह है कि सदियों पहले जब यह शहर बर्बाद हुआ था तब इसी मलबे में यहां का सारा खजाना दफन हो गया था. इसको उस वक्त कहीं और ले जाया जाना संभव नहीं था इसलिए उस खजाने से दुनिया को दूर रखने के लिए भूतों का भ्रम फैलाया गया है.

भानगढ़ किले के बारे में रोचक बातें-

1. कहा जाता है कि भानगढ़ किले के गलियारों में इंसानी आवाजें सुनाई देती हैं.
2. दिल के मंदिर में किसी अदृश्य शक्ति का वास है.
3. नृतकियों की हवेली से घुंघरू की आवाज आती हैं.
4. राजा के तहखाने में प्रवेश करने वाला परलोक सिधार जाता है.
5. दरबार में राजा आज भी फैसले सुनाता है.
6. और गांव के कुए पर लोग पानी भरने आते हैं.
7. इस किले में सूर्यास्त के बाद प्रवेश करने की मनाही है.
9. कहा जाता है कि इसके लिए मैं जो भी रात को रुकता है वह या तो मृत पाया जाता है या फिर पागल हो जाता है.

Disclaimer : हिंदी यात्रा किसी प्रकार के अंधविश्वास का समर्थन नहीं करती है. यह देखो लोगों द्वारा बताई गई बातों और कहानियों पर आधारित है. इन कहानियों का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है.


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दोस्तों भानगढ़ किले की तबाही की कहानियां आपको कैसी लगी और अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके बताएं

17 thoughts on “भानगढ़ फोर्ट की कहानी | Bhangarh Fort Story in Hindi”

  1. this is very interesting place to see. i will definitely to see this place at least once … i hope i see all the voices and and all the creativity behind the bhangarh fort …

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  2. I’m Ankit from New Delhi… I was visiting the Bhangarh Kila 19-10-19.

    Meri dili khawish thi. Ki Mein ise kile ko deku or jau. Or Rani Ratnawati ki story I liked it. Ye Kila na Jaane Kitni salo se mujhe Mano bula raha ho. Or aaj Jake ek Alag sa sakun mila.

    Ise kile mein entre karte Waqut Jaise hi Hanuman Ji ka mandir cross kiya.. Or kile ke andar gaya Mano ek ajeeb se ghutan hui or specially kile ke andar ek ajeeb sa mahol mahhusus Hua….. Or oxgiyan level toa bahaut Kam sa laga.

    But jab kile ke andar Gaye toa Jaise pada or wo diware dekhi toa laga. Haan aisaa hi kuch Hua hoga Jaise aap ne story mein likha tha…… I liked the javeri Bazar…… Maan aaj bhi wahan mandi Lagata Hai… Thoda sa government ko yanha ki khubsoorati or dharohar ko Shambhala ke rakh a chaiye.

    Please contact me any information about this Kila…

    Ankit
    New Delhi
    Email :[email protected]

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  3. Is kile me khajana bhi h ye sch h ya jhoot ye to nhi pta pr is me bhoot jarur h ye me manta hu pr is kile ki Jo sachayi h bo sch h or me is kile ko dekhne ek bar jarur jaunga

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